Mere Ishq me Shamil Ruhaniyat he - 2 in Hindi Love Stories by kajal jha books and stories PDF | मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 2

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मेरे इश्क में शामिल रूहानियत है - 2


मेरे इश्क़ में शामिल रूहानियत है 

एपिसोड 2 : "दिल की अनकही दस्तक"

मुंबई की सुबह हमेशा भागदौड़ भरी होती है।
ट्रैफिक का शोर, लोकल ट्रेनों की सीटी और भागते लोग… लेकिन आज सुबह कुछ लोगों की ज़िंदगी में यह शोर पीछे छूट गया था, क्योंकि उनके दिलों में कुछ और ही गूँज रहा था।


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अनाया की बेचैनी

पिछले दिन की घटना बार-बार अनाया के दिमाग़ में घूम रही थी।
वह जब भी आँखें बंद करती, उसे आर्यन की ठंडी लेकिन गहरी नज़रें याद आ जातीं।

“क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कि उनकी नज़रें मुझे पढ़ रही थीं…? मैंने ऐसा क्यों महसूस किया कि जैसे ये मुलाक़ात पहले भी हो चुकी हो…”
अनाया आईने के सामने खड़ी खुद से सवाल कर रही थी।

काव्या ने पीछे से आकर उसका कंधा थपथपाया —
“क्या हुआ दीदी? आजकल आप बहुत खोई-खोई रहती हो।”

अनाया ने चौंककर खुद को सँभाला —
“न-नहीं… बस ऐसे ही।”

लेकिन उसकी आँखें झूठ नहीं बोल रही थीं।


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आर्यन की बेचैनी

वहीं दूसरी तरफ़, राजवंश टॉवर के ऊँचे फ्लोर पर बैठा आर्यन भी चैन से नहीं था।
उसकी ज़िंदगी में जहाँ काम ही सबसे बड़ा मकसद था, वहाँ पहली बार किसी की मासूमियत ने उसकी सोच में हलचल पैदा कर दी थी।

उसने फाइल खोली, लेकिन उसकी नज़रें पन्नों पर नहीं टिक पा रही थीं।
हर पन्ने के पीछे उसे वही चेहरा नज़र आता —
वह लड़की, जिसके हाथ काँप रहे थे, लेकिन आँखों में अजीब सी गहराई थी।

सिद्धार्थ, जो आर्यन का बचपन का दोस्त था, कमरे में आया और मज़ाकिया अंदाज़ में बोला —
“क्या हुआ भाई? आज बिज़नेस छोड़कर किसी और ख्यालों में हो क्या?”

आर्यन ने गुस्से से नज़रें घुमाईं —
“बकवास मत करो। काम है।”

लेकिन सिद्धार्थ, आर्यन की आँखों की बेचैनी समझ चुका था।
उसने मुस्कुराते हुए कहा —
“लगता है इस बार कोई फाइल नहीं, कोई चेहरा तुम्हारे दिल को भा गया है।”

आर्यन ने बिना जवाब दिए खिड़की से बाहर देखा।
दिल की हलचल उसने किसी से नहीं बाँटी, लेकिन सच्चाई यह थी कि उसकी दुनिया में पहली बार कोई दस्तक दे चुका था।


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रूहानी और विवान की मुलाक़ात

इसी बीच, मेहरा परिवार की सबसे छोटी बेटी रूहानी कॉलेज से लौट रही थी।
रास्ते में उसकी गाड़ी अचानक ख़राब हो गई।

वह गुस्से में गाड़ी को ठोकने लगी —
“ये बेकार की मशीन! हमेशा मुसीबत में धोखा देती है।”

तभी वहाँ से गुजरता हुआ विवान रुक गया।
उसने अपनी महँगी कार का शीशा नीचे किया और व्यंग्य में कहा —
“ओह… तो मिस पार्टी क्वीन भी सड़कों पर फँस सकती हैं?”

रूहानी ने पलटकर देखा और तुनक कर बोली —
“तुम! यहाँ क्या कर रहे हो?”

विवान गाड़ी से उतरकर पास आया —
“मदद करने आया हूँ। लेकिन तुम जैसी अकड़ू लड़की तो शायद यही कहेगी — ‘मुझे तुम्हारी मदद की ज़रूरत नहीं।’”

रूहानी ने भौंहें चढ़ाकर कहा —
“बिल्कुल सही कहा तुमने। मुझे तुम्हारी मदद नहीं चाहिए।”

लेकिन गाड़ी स्टार्ट न होते देख, उसने मजबूरी में मुँह फेर लिया।
विवान ने मुस्कुराते हुए उसकी गाड़ी स्टार्ट कर दी।

“देखा? कभी-कभी दुश्मनों की भी ज़रूरत पड़ जाती है।”
विवान ने चिढ़ाया।

रूहानी ने पलटकर ताना मारा —
“तुम दुश्मन नहीं हो… बस एक परेशान करने वाली आदत हो।”

उनकी यह नोकझोंक, जो बाहर से झगड़ा लगती थी, दरअसल भीतर एक अनजाने आकर्षण की शुरुआत थी।


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आदित्य और काव्या

घर पर आदित्य और काव्या भी अपनी-अपनी दुनिया में व्यस्त थे।
आदित्य अपने करियर की चिंता में डूबा था।
“पता नहीं कब मुझे अच्छी नौकरी मिलेगी… पापा पर इतना बोझ है।”
उसकी आँखों में जिम्मेदारी का बोझ साफ़ दिखता था।

वहीं काव्या खिड़की के पास बैठकर अपनी डायरी में कुछ लिख रही थी।
उसके ख्वाब बहुत बड़े थे। कभी वह खुद को लेखिका मानती, कभी गायिका।
काव्या के सपनों की उड़ान अभी बाकी थी।


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किस्मत का दूसरा खेल

अगले दिन अनाया को फिर से ऑफिस जाना पड़ा।
पापा ने कहा —
“बेटा, ये रिपोर्ट भी दे आना। आर्यन सर को खुद हाथों से देना। ये बहुत जरूरी है।”

अनाया के दिल की धड़कन तेज़ हो गई।
वह सोच रही थी —
“क्या मैं फिर से उनसे आमने-सामने हो पाऊँगी?”

जब वह ऑफिस पहुँची, तो रिसेप्शनिस्ट ने उसे सीधे आर्यन के केबिन में भेज दिया।

दरवाज़ा खुलते ही सामने वही शख्स बैठा था —
सूट में, ठंडी नज़रों के साथ, लेकिन आज उसकी आँखों में कुछ नरमी थी।

अनाया ने धीरे से कहा —
“गुड मॉर्निंग सर… ये रिपोर्ट पापा ने भेजी है।”

आर्यन ने फाइल ली और उसकी तरफ़ देखे बिना कहा —
“बैठो।”

अनाया घबराकर कुर्सी पर बैठ गई।
कमरे में सन्नाटा था।
आर्यन फाइल पढ़ रहा था, लेकिन बार-बार उसकी नज़रें अनाया की तरफ़ चली जातीं।

कुछ पल बाद उसने अचानक पूछा —
“तुम्हारा नाम…?”

अनाया ने काँपती आवाज़ में कहा —
“अनाया… अनाया मेहरा।”

यह नाम सुनते ही आर्यन का दिल अजीब-सा धड़क उठा।
उसे लगा जैसे यह नाम उसने कहीं सुना है… या शायद महसूस किया है।


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रूहानी और विवान का दूसरा टकराव

इसी समय, विवान और रूहानी फिर से आमने-सामने आ गए।
इस बार कॉलेज कैंटीन में।

रूहानी अपने दोस्तों के साथ हँस रही थी, तभी विवान वहाँ आ गया।
उसने चिढ़ाते हुए कहा —
“अरे वाह! पार्टी क्वीन के तो यहाँ भी फैन क्लब हैं।”

रूहानी ने मुँह बनाकर कहा —
“कम से कम मैं नकली दिखावा तो नहीं करती।”

विवान हँस पड़ा —
“सच कहूँ, तुम्हारी ये अकड़ ही तुम्हें सबसे अलग बनाती है।”

रूहानी चुप हो गई।
दिल की गहराई में कहीं न कहीं उसे भी यह महसूस हो रहा था कि यह लड़का सिर्फ़ परेशान करने वाला नहीं है… इसमें कुछ तो है, जो उसे बार-बार खींचता है।


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एपिसोड का ट्विस्ट

शाम को जब अनाया घर लौटी, तो प्रमोद बहुत परेशान दिख रहे थे।
उनकी आँखों में डर साफ़ झलक रहा था।

अनाया ने चिंतित होकर पूछा —
“पापा, सब ठीक है?”

प्रमोद ने धीरे से कहा —
“नहीं बेटा… मुझे लगता है हम एक बड़ी मुसीबत में फँसने वाले हैं। राजवंश कॉर्पोरेशन में कुछ ऐसा चल रहा है, जो किसी को पता नहीं होना चाहिए।”

अनाया चौंक गई —
“मतलब?”

प्रमोद ने धीमी आवाज़ में कहा —
“मुझे डर है कि ये सब तुम्हें, काव्या और रूहानी को भी प्रभावित करेगा…”

अनाया का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।
क्या किस्मत ने सचमुच उसे और उसके परिवार को आर्यन की दुनिया से बाँध दिया है?


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हुक लाइन (एपिसोड 2 का अंत)

अनाया खिड़की से बाहर देख रही थी।
शहर की भागदौड़ के बीच उसे सिर्फ़ वही आँखें याद आ रही थीं — आर्यन की आँखें।
और दूसरी तरफ़, आर्यन भी अपने ऑफिस में अकेला बैठा उन्हीं आँखों की तस्वीर दिल में सँजोए था।

दोनों की सोच में एक ही सवाल था —
“क्या ये मुलाक़ातें महज़ इत्तफ़ाक़ हैं… या हमारी रूहों की जुड़ी हुई कहानी का हिस्सा?”


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