🌑 एपिसोड 38 — “स्याही का श्राप”
(कहानी: किताबें अब सांस लेने लगी हैं…)
---
1. हवेली की नई साँस
दरभंगा की हवेली पर फिर वही नीली धुंध छा गई थी।
सुबह का सूरज कहीं नहीं था — बस हवा में स्याही की गंध थी।
टेबल पर रखी पाँचों किताबें अब शांत नहीं थीं।
The Final Chapter अपने आप खुली पड़ी थी,
और उसके पहले पन्ने पर लिखा उभर रहा था —
> “हर शब्द एक जन्म है… हर पंक्ति एक मौत।”
दीवारें हल्की-हल्की धड़क रही थीं,
जैसे हवेली अब किसी दिल की तरह जीवित हो।
गाँव के लोग दूर खड़े काँप रहे थे।
किसी ने धीरे से कहा —
“अब ये हवेली नहीं… एक श्राप बन चुकी है।”
---
2. स्याही का जीवित होना
रात के दूसरे पहर में हवेली की लाइट्स अपने आप जल उठीं।
टेबल पर रखी The Final Chapter से नीली लकीरें बाहर निकलीं।
वो लकीरें धीरे-धीरे दीवारों, फर्श और छत पर फैलने लगीं।
हर लकीर एक शब्द बनती जा रही थी —
कभी “जीवन”, कभी “मृत्यु”, कभी “तन्वी”।
फिर पन्ने खुद ब खुद पलटे,
और किताब ने खुद लिखा —
> “लेखक नहीं मरा… वो बस स्याही में बदल गया।”
उसी पल हवेली की खिड़कियों से ठंडी हवा का झोंका आया,
और उस हवा के साथ तन्वी की परछाई वापस लौटी —
लेकिन अब उसकी आँखों में इंसानी चमक नहीं थी,
बल्कि स्याही की गहराई थी।
---
3. स्याही की रानी
तन्वी धीरे-धीरे हवेली के बीचोंबीच पहुँची।
वो अब इंसान नहीं लग रही थी —
उसकी नसों में खून नहीं, काली स्याही बह रही थी।
उसने मेज़ पर रखी बाकी किताबों को छुआ,
और फुसफुसाई —
> “अब कहानी मेरी होगी…”
The Inked Souls ने हल्की आवाज़ में जवाब दिया —
> “तो तू ही स्याही की रानी कहलाएगी…”
उसके बाद चारों किताबों के पन्ने तेज़ी से पलटने लगे,
और हवा में शब्द बनने लगे —
हर शब्द एक रूह की चीख़ था,
हर वाक्य एक मौत की घोषणा।
हवेली काँप उठी,
फर्श के नीचे से नीला धुआँ उठा,
और दरवाज़े पर एक नया नाम उभरा —
“The Cursed Reader.”
---
4. गाँव का शापित दिन
अगले दिन गाँव में अजीब घटनाएँ होने लगीं।
जिसने भी हवेली की ओर देखा,
उसे अपनी परछाई किसी और के रूप में दिखी।
किसी ने कहा, “पंडित जी, अब वो किताब गाँव तक पहुँच चुकी है।”
पंडित रामकांत ने कंपकंपाती आवाज़ में कहा —
> “वो किताब अब रूह नहीं ढूंढती… रूहें उसे ढूंढती हैं।”
रात में कई घरों के दरवाज़ों पर स्याही के निशान मिले।
लोगों ने कहा कि हवेली से स्याही की लहरें बाहर आ रही हैं,
और जो भी उस लहर को छूता है —
वो सुबह तक गायब हो जाता है।
गाँव की नदी में अब पानी नहीं,
काली स्याही बह रही थी।
---
5. हवेली की पुकार
तन्वी अब पूरी तरह हवेली की आत्मा बन चुकी थी।
वो बैठी थी उस कमरे में जहाँ पहले “The Soul Script” लिखी गई थी।
उसके सामने दीवार पर चमकते शब्द उभरे —
> “हर कहानी का अंत नहीं होता,
कभी-कभी वो बस नया लेखक चुनती है।”
उसने मुस्कुराकर जवाब लिखा —
> “तो मैं ही वो अंत बनूँगी।”
और तभी दीवारों से चार परछाइयाँ निकलीं —
आरव, आर्या, अनन्या और अंशुमान।
पर इस बार वे तन्वी के आगे झुके हुए थे।
आरव बोला —
> “अब तू हमें नहीं, हम तुझे लिखेंगे।”
आर्या ने स्याही की रेखा उसके माथे पर खींची —
और उसके साथ हवेली में गूँज उठी आख़िरी आवाज़ —
> “स्याही का श्राप पूरा हुआ…”
---
6. अंत… या शुरुआत?
सुबह जब गाँव वाले पहुँचे,
हवेली शांत थी।
टेबल पर सिर्फ एक ही किताब बची थी —
The Cursed Reader.
पहला पन्ना खुला था,
और उस पर लिखा था —
> “By: Tanvi Raghav
Dedicated to: Those who tried to end the story.”
नीचे एक चेतावनी थी —
> “अगर तुमने ये पंक्तियाँ पढ़ीं,
तो कहानी अब तुम्हारे भीतर शुरू हो चुकी है।”
और जैसे ही पंडित रामकांत ने वो पन्ना बंद किया,
उनकी उंगलियों पर काली स्याही फैल गई —
धीरे-धीरे उनके हाथ काँपने लगे,
और उनकी आँखों में नीली रोशनी उतर आई।
हवा में फिर वही फुसफुसाहट गूँजी —
> “स्याही सूखती नहीं… वो बस नया जीवन खोजती है।”
---
🩸 एपिसोड 38 समाप्त
🔮 आगामी एपिसोड 39 — “किताब का पुनर्जन्म”
जहाँ The Cursed Reader गाँव के लोगों की ज़िंदगी में प्रवेश करती है,
और हर व्यक्ति खुद को अपनी मौत लिखते हुए पाता है…
> “कहानी अब हवेली में नहीं, इंसानों में जी रही है।”