*अदाकारा 45*
मेतो दीवानी हो गई
प्यार में तेरे खो गई
शर्मिला के मोबाइल की रिंग बज उठी।
"हाँ।उर्मि बोलो।"
शर्मिला*हो गए बरबाद*की शूटिंग के लिए निकल चुकी थीं अभी कार में वो बैठी ही थी फ़ोन की रिंग बजी।उसने फ़ोन कलेक्ट किया।
"सुनील सत्ताईस तारीख को बैंगलोर टूर पर जाएँगे और वहाँ से पहली दिसंबर को लौटेंगे।"
उर्मिलाने शर्मिला को सुनील के आउटडोर के कार्यक्रम के बारे में बताया।
"ठीक है।तो मैं तीस या इकतीस तारीख तय करती हूँ।ये डेट ठीक है ना?क्या तु रेड्डी हो शूटिंग पर जाने के लिए?क्या तु तैयार है?"
"हाँ भई।मैं तैयार ही हूँ।इसीलिए तो तुझे फ़ोन करके बता रही हु।लेकिन शर्मि। आगे चल कर कोई परेशानी तो नहीं होगी ना?"
उर्मिला को अभी भी डर लग रहा था।उसके मन में अभी भी संदेह था कि क्या सब कुछ ठीक-ठाक चलेगा?सुनील को अगर पत्ता चल गया तो क्या होगा?
उसे हिम्मत बंधाते हुए शर्मिला बोली।
"इतनी चिंता मत कर उर्मी।सब ठीक ही होगा। कहते है ना हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा।मैं तारीख तय करके तुजे बता दूँगी ठीक है?"
उर्मिला से फ़ोन पर बात खतम करने के बाद, शर्मिलाने अपने मेनेजर निर्मल झा को फ़ोन किया।
"हेलो निर्मल।30 या 31 तारीख को सुमधुर डेयरी वाले के साथ शूटिंग फाइनल करो और मुझे तुरंत बताओ।"
"ठीक है मैडम।मैं फ़ोन करता हूँ।"
"आप कहाँ हैं?क्या सेट पर पहुँच गए।"
"जी मैडम।बस में मैं अभी अभी पहुंचा हूं”।
"ठीक है।मैं भी पंद्रह-बीस मिनट में आती हूँ।"
शर्मिला जब सेट पर पहुँचीं,तो रंजन उन्हें बड़ी-बड़ी आँखों से घूर रहा था मानो कोई भूत देख रहा हो।कल रात जो खतरनाक सपना उसने देखा था।वो याद आते ही उसके शरीर मे इक कंपकंपी सी कौंध गई।वो टकटकी लगाए शर्मिला को देखे जा रहा था।
जब शर्मिला उसके पास पहुंच कर जब उसने रंजन के आँखों के सामने चुटकी बजाई तो वह जल्दी से ऐसे बोले पड़ा जैसे गहरी नींद से जागा हों।
"गुड।गुड मॉर्निंग शर्मिला... सो।सॉरी मैडम।"
उसकी इस तरह की हड़बड़ाहट देखकर शर्मिला हँस पड़ीं।
"क्या हुआ हीरो साहब।कहा खो गए?"
पिछली रात का सपना रंजन की आँखों के सामने घूमने लगा।बिना कपड़ों की शर्मिला मोम की तरह पिघलकर एक तरल पदार्थ में बदल गई।और रंजन को वह तरल पदार्थ निगलने लगा था।कितना डर गया था वह जब उस तरल पदार्थ में वह गले तक डूब चुका था। और चीखते हुए बिस्तर से नीचे गिर पड़ा था।
"क्या हुआ?तुम कुछ बोल क्यों नहीं रही हो?"
शर्मिला ने फिर पूछा।
"नहीं।कुछ नहीं।"
रंजनने बस इतना ही कहा।
तभी डायरेक्टर मल्होत्रा वहाँ आया और बोला।
"मैडम। पता नही क्यूं आज रंजन भाई थोड़े परेशान लग रहे हैं।इसलिए अभी हम आपके ही कुछ शॉट्स लेंगे।लंच ब्रेक के बाद अगर रंजन को ठीक लगे गा तो हम आप दोनों का एक साथ शूट करेंगे।"
शर्मिला ने आश्चर्य से रंजन की ओर देखा और कहा।
"कोई बात नहीं।"
और वह तैयार होने के लिए मेकअप रूम में चली गईं।
शूटिंग नौ बजे खत्म हुई।तो निर्मल शर्मिला के पास आए।
"मैडम।तीस तारीख को शाम आठ बजे मीडिया प्रोडक्शन में सुमधुर डेयरी का शूट है।"
"बहुत बढ़िया।मैं साढ़े सात बजे शूटिंग खत्म करके सीधे वहाँ जाऊँगी।ठीक है ना?"
"बिल्कुल ठीक है मैडम।"
निर्मलने शर्मिला की हाँ में हाँ मिला ली।
शर्मिला घर जाने के लिए कार में बैठ गईं। और उन्होंने जयसूर्या को फ़ोन किया।जैसे ही स्क्रीन पर शर्मिला का नाम दिखा जयसूर्या खुशी से उछल पडा।
"वाव!शर्मिला क्या बात है?आज तुने सामने से फ़ोन किया?क़त्लेआम करने का प्रोग्राम है क्या?"
शर्मिलाने चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा।
"सौ प्रतिशत यही योजना है।क्या बकरा अपने आप को क़त्ल कराने के लिए तैयार है?"
"बिलकुल जब तुम कहो।बकरा क़ुर्बानी के लिए तैयार है।"
"तो ग्यारह बजे के बाद कभी भी आ जाना।"
शर्मिलाने जयसूर्या को आमंत्रित किया लेकिन जयसूर्या को अब भी उस पर विश्वास नहीं हुआ।उसने धड़कते दिल से दुबारा पूछा।
"सच में?"
"हाँ,भाई,हाँ।सच मे।क्या मुझे अभी लिख कर देना होगा?"
"नहीं।नहीं।लेकिन मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुजसे मिलने का दिन इतनी जल्दी आ जाएगा।"
जयसूर्याने कहा।शर्मिला के निमंत्रण से उसकी साँसें दोगुनी गति से चलने लगीं थी।और फ़ोन पर बात करते करते शर्मिला को भी इसका एहसास हुआ था।
इसलिए उसने ताना मारते हुए कहा।
"ध्यान रखना कहीं दिल का दौरा न पड़ जाए।"
जयसूर्या की रगों में खून तेज़ी से दौड़ने लगा।
वह नशे में चूर स्वर में बोला।
"एक बार मैं तुम्हारा आनंद तो लेलू।फिर मौत भी आ जाए तो परवा नहीं।मुझे लगता है कि वो मौत भी मोक्ष के समान होगी।"
और शर्मिला खिलखिलाकर हँस पड़ी।
"तुम सच में पागल हो।"
(क्या जयसूर्या आज रात अपनी इच्छा पूरी कर पाएँगे?या शर्मिला फिर उसे उलझाएगी)