Bandhan - 66 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 66

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 66

chapter 66 

जब संवि शेखर जी के आंखों में उदासी देखती है तो वह अपनी आंखों को गोल-गोल घूमकर अपने एक उंगली को अपनी होठों पर टाइप करते हुए कुछ सोच रही थी। 

संवि कि यह हरकत देखकर शेखर जी को अनुज और प्रिया की याद आती है क्योंकि जब भी अनुज या प्रिया दोनों को भी कुछ सोचना होता तो वह भी से ऐसे ही करते थे।

 तभी संवि के दिमाग में कुछ आता है तो वह एक चुटकी बजाती है और जल्दी से बहर भाग  जाती है।
शेखर जी को तो समझ नहीं आया कि संवि ऐसे क्यों भाग है। 

ab aage ‌

कुछ ही देर में संवि वापस कमरे में आती है इस बार उसके साथ रमन जी भी थे वह रमन जी के हाथ को पकड़ कर कमरे में आती है।

रमन जी को भी समझ नहीं आता कि संवि क्यों उन्हें खींचकर  यहां लाई है वह तो बस उसके पीछे-पीछे आ रहे थे।
 
शेखर जीबी उन दोनों को यहां देखकर थोड़ा सा हैरान रह जाते हैं।

रमन जी शेखर जी एक दूसरे को आश्चर्य से देख रहे थे ,तभी कोई दरवाजे को knock करता है‌।

  संवि जल्दी से अंदर आने के लिए कहती है तो यह एक सर्वेंट और थी और साथ में डॉक्टर भी थे। 
सरवन के हाथों में राखी की थाली थी। 

 संवि जल्दी से डॉक्टर के पास जाती है और उनसे रिक्वेस्ट करती  है कि बेड को थोड़ा सा एडजस्ट करें।
डॉक्टर को ना चाहते हुए भी उसकी बात माननी पड़ती है क्योंकि वह इतनी मासूमियत से बोल रही थी कि कोई भी मान जाता।
 
डॉक्टर सिमरन जी का बेड 35 डिग्री थे एडजस्ट करते हैं जिसकी वजह से सिमरन जी थोड़ी सी ऊपर आ गई थी। 
 संवि रमन जी और शेखर जी को सिमरन जी के बाजू में बीत आता है। 

और खुद भी सिमरन जी के बाजू बैठ जाती है।
।(रमन और शेखर जी तो बस संवि को देखे जा रहे थे उन्हें तो समझ नहीं आ रहा था कि संवि भी करना क्या चाहती है बस वह उसके इंस्ट्रक्शंस को किसी हिप्नोटाइज आदमी की तरह मान रहे थे)

संवि बी बेड पर चढ़ जाती है और वह सर्वेंट को थाली लेकर उसके करीब आने के लिए कहती है।
सर्वेंट उसकी बात मानकर उसके करीब आता हैं।
संवि धीरे से थाली के कुमकुम को सिमरन जी के उंगली पर लगती है फिर वह शेखर जी को नीचे झुकने का इशारा करती है और उनके माथे पर कुमकुम लगती है वह सेम चीज रमन जी के साथ भी करती है। 

फिर वह राखी को सिमरन जी के हाथों से बनवाने की कोशिश करती है पर उसे बांधने नहीं आता है। उसकी हरकत देखकर शेखर जी और रमन जी के दिल में एक अलग सा एहसास हो रहा था और उनके चेहरे पर खुशी नजर आ रही थी। 
लेकिन वह सर्वेंट की मदद से उन दोनों के हाथों में राखी बांध देती है। 

फिर आरती की थाली को सिमरन जी के हाथों को पकड़ कर दोनों की आरती कर रही थी, या थोड़ा सा अजीब लग रहा था और फनी भी पर इस मूवमेंट में वहां चीज शेखर जी और रमन जी के लिए तो बहुत इमोशनल हो गई थी।

सर्वेंट ने आरती की थाल ले ली थी उसके बाद संवि धीरे से सिमरन जी के हाथों में स्वीट पकड़ कर दोनों को खिलाती है। दोनों भी स्वीट को खा लेते हैं। इस समय दोनों का दिल बहुत ही ज्यादा भारी हो चुका था। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह अपनी फिलिंग्स को कैसे बयां करें उनके गले से एक शब्द नहीं निकल रहा था ना ही उनके आंखों से आंसू।

सब कुछ होने के बाद, संवि एक सेटिस्फेक्शन वाली मुस्कुराहट देखकर अपने हाथों को बंधती है और उन दोनों को देखकर बोली अब आप दोनों को अपसेट होने की जरूरत नहीं है, आप दोनों के हाथों में भी अब सब की तरह रखी है।

उसकी बात सुनकर रमन जी और शेखर जी अपनी राखी को देखते हैं और फिर एक साथ संवि को गले लगाते हैं। 
यह मूमेंट बहुत ही ज्यादा खुशनुमा बट इमोशनल था। 
 संवि की यहां हरकत रमन जी और शेखर जी के आंखों में आंसू नहीं लाया बल्कि दरवाजे से बाहर खड़े हुए पूरे परिवार के आंखों में आंसू लाया था।
 
पूरा परिवार दरवाजे के बाहर खड़े होकर यह सब देख रहा था। सबके आंखों में आंसू थे पर होंटों पर नहीं छुपाने वाली मुस्कुराहट।।।

खुशी जी धीरे से सबसे रहती है यहां से चलो इस समय हमें उन दोनों को अकेला छोड़ना होगा ना बोलकर वह वहां से सबको ले जाती है।।

कुछ देर बाद 

सब लोग हाल में बैठे हुए थे। एक दूसरे से गपशप कर रहे थे। 

तभी श्री शेखावत और मिसेज शेखावत खुशी जी और इशिता जी के पास बैठी है और उनसे कुछ कहना चाहती थी मगर नहीं कह पा रही थी। 

तो वहीं दूसरी तरफ मिस्टर शेखावत की भी हालत कुछ ऐसी ही थी वह भी बहुत देर से अरनव जी से कुछ कहना चाहते थे पर का नहीं पा रहे थे।

उनकी ऐसी कशमकश देखकर तीनों लोग समझ जाते हैं की बात बहुत ही ज्यादा अर्जेंट है और सीरियस भी जिसकी वजह से संजना जी और नवीन जी को बोलने में इतना झिझक महसूस हो रही है।

तभी संजना जी बड़ी हिम्मत कर कर बोली "मां जी, एक नजर खुशी जी को देखकर फिर दूसरी नजर इशिता जी को देखते हुए बहन जी मैं आप लोगों से आपकी बेटी का हाथ अपने बेटे कार्तिक के लिए मांगना चाहती हूं!

उनकी बात सुनकर इशिता जी और खुशी की उन्हें हैरानी से देखने लगते हैं सिर्फ वह दोनों ही नहीं बाकी सब लोग भी संजना जी को अजीब नजरों से देख रहे थे। 

तो वही कार्तिक का दिल बाइक के स्पीड से ज्यादा भी - स्पीड में धड़क रही थी।
वही दुर्गा की भी हालत कुछ ऐसी ही थी। 

उनकी बात सुनकर, खुशी की उनकी टांग खींचते हुए बोलती है यह कैसी बात कर रही हो संजना, अभी तो पालकी ने कार्तिक को राखी बांधी है और तुम अभी उसे उसके रिश्ते की बात कर रही हो।

अरनव की भी अपनी बीवी की बातों के पीछे छुपे मतलब को समझ कर उनके साथ देते हुए बोले हां संजना बहू हमें आपसे यह उम्मीद नहीं थी आप भूल रही हो क्या पालकी तो बचपन से कार्तिक को अपना भाई कहती है और आप पालकी का रिश्ता कार्तिक के लिए लाई हो।

उन दोनों की बात सुनकर नवीन जी और संजना जी का चेहरा अजीब सा हो गया था उनके एक्सप्रेशन बहुत ही ज्यादा बिगड़ चुके थे क्योंकि वह तो पहले से ही नर्वस थे और अब उनकी बात सुनकर और भी ज्यादा नर्वस हो गए। 

नवीन जी बात को जल्दी से संभालते हुए बोले "नहीं अंकल हम पालकी और कार्तिक का रिश्ते के बारे में बात नहीं कर रहे हैं हम तो दुर्गा और कार्तिक के रिश्ते के बारे में बात कर रहे हैं।
वैसे भी आप लोग कैसे सोच सकते हैं कि हम ऐसा कुछ करेंगे हम भी जानते हैं कि पालकी कार्तिक को हमेशा से अपना बड़ा भाई मानती है और बचपन से उसे राखी बनती आती है,,।

नवीन जी यह सब हड़बड़ा कर बोल रहे थे, जिसे देखकर सबको हंसी आने लगती है और सब लोग हंसने लगते हैं।🤣😂😂

उन सबको यूं हंसते देखकर नवीन जी और संजना जी एक दूसरे को उल्लू की तरह देखते रहते हैं फिर उन्हें समझ में आता है कि अब सब लोग उनकी टांग खींच रहे थे।

कार्तिक की भी हालत अपने मॉम दाद की तरह ही हो गई थी वह भी अरनव और खुशी जी की बात सुनकर सदमे में चला गया था लेकिन जब उसे समझ में आया कि वह लोग तो मजाक कर रहे हैं तब जाकर उसके साथ में सास आई थी।
 
इस बार संजना जी बात को पूरे क्लियर तरीके से बोलती है, अंकलजी और माझी मैं अपने बेटे कार्तिक शेखावत का रिश्ता आपकी बेटी दुर्गा के लिए लाई हूं,क्या आपको यह रिश्ता मंजूर है?

 इतना बोलकर उम्मीद भरी नजरों से खुशी जी और अर्णव जी को देख रही थी। तो वही कार्तिक भी टुकुर-टुकुर उन दोनों को देख रहा था वह तो मन ही मन भगवान से प्राय कर रहा था कि उनका जवाब हाँ ही हो।

खुशी जी संजना जी से बोली" बेटा इस रिश्ते से हमें कोई भी समस्या नहीं है।(उनकी यह बात सुनकर सब लोग एक राहत भरी सांस लेते हैं तभी खुशी की बात को आगे बढ़ती है जिसे सुनकर सबके साथ बीच में ही रुक जाती है) पर बेटा हमें भी पहले बच्चों से पूछना चाहिए अगर उन्हें यह रिश्ता मंजूर है तो हम आगे रिश्ते में बढ़ पाएंगे।

वह इतना बोलकर सांस ले ही रही थी कि कार्तिक बीच में कूदते हुए बोला" मुझे मंजूर है रिश्ता मैं तैयार हूं ,शादी के लिए। बोलीए कब करनी है शादी।

कार्तिक की ऐसी बात सुनकर सभी लोग कार्तिक को ऐसे देख रहे थे मानो किसी बेवकूफ को देख रहे हो आई मीन किसी को अपनी शादी की इतनी जल्दी कैसे हो सकती है यह बात किसी को समझ नहीं आ रही थी।

 शिवाय अपने दोस्त की यू बेसब्री देखकर उसे अपनी तरफ खींच कर उसका मुंह बंद करता है और उसे वहां से खींच कर ले जाने लगता है वह जाने से पहले उन सब से कहता है लड़के की तो मंजूरी अब लड़की से पूछिए इतना बोलकर वह वहां से चला जाता है क्योंकि अगर वह कुछ और देर वहां रहता तो कार्तिक सभी से अभी के अभी शादी करने का डिमांड कर देता।

कार्तिक के वहां से जाते ही सबको कार्तिक की हालत और बात सुनकर हंसी आने लगती है और वह सब लोग एक बार फिर से ठहाका मार कर जोर-जोर से हंसने लगते हैं उनकी हंसी की आवाज सुनकर शेखर जी और रमन जी भी सिमरन जी के कमरे से बाहर आते हैं सबको यू पागलों की तरह हंसते देखकर वह लोगों को समझ नहीं आता कि वह क्यों हंस रहे हैं।

खुशी की अपनी हंसी को कंट्रोल कर कर दुर्गा को अपने पास बुलाती है और उसे सवाल करती है 

बच्चा आपको यह रिश्ता मंजूर है, अगर आपको यह रिश्ता मंजूर है तो ही हम आगे बढ़ेंगे, ठीक है।

उनकी बात सुनकर दुर्गा पहली बार शर्म आती है उसके होंठ पर हल्की मुस्कान आती है जिसकी वजह से उसके गाल पर एक छोटी सी डिंपल पड़ती है दुर्गा अपनी पलकों को नीचे झुका कर रखती है। क्योंकि अभी उसे इतनी शर्म आ रही थी कि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले। 

आखिर क्या होगा दुर्गा का जवाब जानने के लिए पढ़ीए अगला चैप्टर।
हां कमेंट में रिव्यू देना मत भूलना आपको आज का चैप्टर कैसा लगा। 
गैस मेरे दूसरे कहानी भी पढ़िए प्लीज।