Tere Mere Darmiyaan - 9 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 9

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तेरे मेरे दरमियान - 9

भरत :- सॉरी बेटा आदित्य मुझे माफ कर दो । कल से तुम सब ऑफिस आ सकते हो । 



आदित्य: - नही सर । अब जब आपने हमे नौकरी से निकाल दिया है तो अब हममे से कोई भी कल से ऑफिस नही जाएगा ।



आदित्य के इस तरह से कहने पर विकी मोनिका और भरत हैरान थे ।  अशोक और जानवी विद्युत के इस तरह से विकी को माफी मंगवाने से दोनो के नजर मे विद्युत का सम्मान और बड़ जाता है ।



मोनिका मन ही मन सोचती है ।



मोनिका :- आखिर इसमे कुछ तो बात है । वरना ये इस तरह से इतनी अच्छी नौकरी को नही छोड़ता । पर जो भी है अच्छा ही हूआ । अब ये बिना नौकरी के सड़क पर आ जाएगा ।



विद्युत: - आदित्य अगर तुम चाहो तो हमारी कंपनी मे तुम आ सकते हो ।



आदित्य: - नही सर । अब मैं जो करना चाहता था वो वक्त आ गया है । 



विद्युत के ऑफर को ठुकरा देने से सभी बहोत ही ज्यादा हैरान था । खास करके विकी और मोनिका । अशोक और जानवी भी बहोत हैरान था । के ये आखिर ऐसा क्या करना चाहता है के इसने हिंदुस्तान के सबसे अमिर आदमी का ऑफर ठुकरा दिया । 



आदित्य रमेश और कृतिका से कहता है ।



आदित्य :- रमेश , कृतिका मुझे माफ करना यार मैंने अपने साथ तुम लोगो का भी करियर खराब कर दिया । पर तुम दोनो चाहो तो मैं भरत सर से बात करके तुम लोगो के लिए काम मांग सकता हूँ ।



तभी कृतिका कहती है ।



कृतिका :- कैसी बात कर रहे हो आदित्य । दोस्ती मे तेरा मेरा क्या । और वैसे भी ये जॉब भी तो तुम्हारी ही वजह से था ।



रमेश :- वैसे आदी ! तुम अब ऐसा क्या करने वाले हो जो तुमने कहा के अब तुम्हें भरत सर की नौकरी नही चाहिए ।




रमेश के इतना के बाद आदित्य उसे कहता है । जिसके लिए मैने अपना घर छोड़ा था वो पूरा हो चुका है । 



आदित्य के ये कहने के बाद कृतिका कहती है ।



रमेश :- क्या ! तुम्हारा प्रोजेक्ट कम्पलीट को गया ?



आदित्य :- हां ( खुश होकर कहता है )



रमेश :- मतलब तु अपना नया कंपनी स्टार्ट करने वाला है ?



आदित्य: - हां भाई । कर दिया है ।



कृतिका :- एक मिनट । ये कौन सी कंपनी की बात हो रही है जो मुझे अब तक नही पता ।




रमेश :- इसने इसके बारे मे किसीसे भी नही कहा था इतना तक के मुझे भी नही । एक दिन मैने इसे किसी से बात करते हूए सुना के कपड़े का क्वालिटी और ब्रांडिंग अच्छी होनी चाहिए । उस दिन मैने इससे पूछा तब जाके इसने बताया के इस महाराज ने अपना चार सॉपिगं मॉल खोल रहा है ।




कृतिका :- इतनी बड़ी बात हमसे भी छुपाया हरामखोर । हम क्या दुशमन है तुम्हारे ।



आदित्य: - नही बात वो नही है ।



कृतिका: - कितने दिनो से प्लानिंग कर रहे थे ?



आदित्य :- चार साल से ।




आदित्य के इतना कहने पर रमेश और कृतिका आदित्य के पिठ पर प्यार से मार रहे थे ।




रमेश :- साले चार साल से तु मॉल बना रहा है और हमे अब बता रहा है ।



आदित्य: - अच्छा सॉरी यार माफ कर दे । अब बता दिया ना ।




कृतिका :- तो हम दोनो को कब आना होगा , इंटरव्यू के लिए ? आदित्य सर ! 




कृतिका के इतना कहने पर आदित्य और रमेश हंसने लगता है । तब आदित्य कहता है ।




आदित्य: - तुम दोनो की नौकरी पक्की । पर हां एक शर्त है । 




रमेश :- शर्त ! पर कैसी शर्त ।




आदित्य :- तुम दोनो मुझे पार्टी देनी होगी ।




कृतिका :- वाह रे कंपनी के मालिक । कंपनी बनाओ तुम और पार्टी दे हम । अरे पार्टी क्या पुरा का पुरा रेस्टोरेंट बूक कर दूंगी मैं ।




रमेश :- यार इन सबका फंडिंग तो बहोत होगा । तुम्हें इन्वेस्टर कहां मिला ?




आदित्य: - तुम लोग इतना सोचो मत मैने सारा इंतेजाम कर दिया है । Infrastructure cost  , Marketing and Branding , Miscellaneous cost इन सब के लिए बहोत फंड चाहिए था पर वो सब अरेंज हो गया है और काम सुरु भी हो गया है । बस अब सिर्फ ओपनिंग करनी है ।



रेमश :- आदित्य , तुम अपने पापा से क्यों नही बात करते ? उनके हाथ से ओपनिंग कराओ तो उन्हें भी अच्छा लगेगा ।



आदित्य: - यार चाहता तो मैं भी यही हूँ  , पर मुझे पता है वो नही आएगें ।  



कृतिका :- तो फिर ठिक है , हम कल हम उनके पास चलते है और उनसे बात करते है । अगर वो माने तो ठिक है वरना हम ही कर देंगे ।



तभी वहीं पर अनय आ जाता है और कहता है ।



अनय :- अरे भाई कहां जाने की बात हो रही है ।



अनय को दैखकर कृतिका कहती है ।



कृतिका :- आपके घर भईया । पता है आदि ने अपना नया प्रोजेक्ट बना लिया है और उसका ओपनिंग हम विद्युत सर से तराना चाहते है ।



अनय खुश होकर कहता है ।



अनय :- अरे वाह आदि । Congrats भाई । आखिर पापा से किया हूआ वादा तुमने पुरा कर ही दिया । 



अनय और आदित्य को ऐसे बात करते हूए दैखकर अशोक उन दोनो को दैखता ही रह जाता है । तभी जानवी अपनो पापा से कहती है ।



जानवी :- पापा आप ऐसे क्या दैख रहे हो ?



अशोक :- बेटा ये जो आदित्य है ना , मैने इसे कही तो दैखा है । पर मुझे याद क्यों नही आ रहा है ।




जानवी :- ओ हो पापा । आप फिर से सुरु हो गए ।




अशोक :- ये कोई सिंपल आदमी तो है । पर यो कौन है ?




कृतिका :- भईया । ये इतना छुपा रुस्तम है के , यो 4 साल से अपनो प्रॉजेक्ट मे काम रहा है और हमे इसकी भनक तक नही लगने दिया ।



अनय :- ये है ही ऐसा । ये कब क्या करेगा किसी को नही पता । अच्छा तुमलोग इंज्वाई करो मैं पापा के पास जाता हूँ ।



कृतिका :- वाह । आज तो मजा ही आ गया । पार्टी मे इंज्वाई दुगनी हो गई । 



कृतिका के इतना कहने पर आदित्य और रमेश हंसने लगते है और वहां से चला जाता है ।



दुसरे दिन अशोक और जानवी एक साथ ब्रेकफास्ट के टेबल मे बैठकर बात कर नास्ता कर रहा था । तभी अशोक जानवी से कहता है ।



अशोक :- बेटी जानवी । ये आदित्य कुछ अजीब सा नही है ।