Tera Lal Ishq - 14 in Hindi Crime Stories by Kaju books and stories PDF | तेरा लाल इश्क - 14

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तेरा लाल इश्क - 14






काला भंडार, पुलिस चौकी:

एक गुप्त बार जहा किराज और मुरीद ड्रिंक कर रहे हैं। क्योंकि ये बार पुलिध चौकी के अंदर ही जमीन के नीचे बना है। 
ऐसे ही कई गुप्त रूम है जिसके बारे में इनके गैंग के सिवा किसी को कुछ अता पता नहीं अपने इसी गुप्त अड्डे पर ये अपना सारा काला धंधा छुपाए बैठे हैं। 
तभी किसी को कुछ पता नहीं चल रहा बिना किसी सबूत के तो कोई किसी पर इल्जाम तक नहीं लगता आखिर ये तो पुलिस है फिर कैसे पुलिस के ही इलाके में छान बीन कर ले वो भी शक के दायरे में


ड्रिंक करते करते किराज ने मुरीद को बताया की कैसे उसकी एक गलती को उसने अकेले हैंडल किया।

"अरे वाह,,,तुमने तो बड़े चालाकी से अपने रास्ते के काटे को हटा दिया,,," मुरीद ड्रिंक का एक शिप लेकर चहकते हुए बोला। 

किराज उसकी बात का जवाब देने ही वाला था की वो तीनो निकम्बे टपक पड़े
कबाड़ी मुसकुराते हुए "इस बात को बिलकुल सही बोले सर,,," 

जंगली कन्फ्यूज होकर सर खुजलाते हुए "कौन सी बात,,,???

चमड़ी गर्व से "किराज सर ने तो चालाकी की सारी हदें लांघ दी" 

"चालाकी की हदें नही लघता तो तुम निम्म्बे लोगों के साथ मै भी मरता" किराज एक ही घुट में ड्रिंक खत्म कर उसे ताना मारते हुए बोला।

"वैसे काफी सॉलिड प्लान था,,,बॉस को भनक तक नहीं लगी,,,मानना पड़ेगा तुम्हारी चालाकी को" मुरीद उसकी कड़वी बात को इग्नोर कर जबरदस्ती मुस्कुराते हुए किराज के पीठ को थपथपाते हुए बोले।

किराज उसे घूरते हुए "ये मेरी तारीफ थी या फिर तुम्हारे जिंदा बचने की खुशी,,,?" 

"मेरे विचार से बेज्जती" जंगली बीच में बोला। तो चमड़ी और कबाड़ी ने उसका मुंह चाप दिया। 
क्युकी किराज गुस्से में उन्हे घूर रहा था।
उसे गुस्से में देख मुरिद 
तीनो को फटकार कर "ए तुम लोगो तो मैंने काम पर लगाया था ना,,, सालो काम धाम नही करना बस मुफ्त में दारू गटकना है,,,जाओ पहले वो काम करो फिर दारू गटकने आना,,,"
वो कुछ बोलते की मुरीद आखों ही आखों उन्हे जाने का इशारा करता है। 

किराज उसे घूरते हुए "मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया" 

"हे हे हे,,, दोनों" किराज का सवाल सुन और उसे घूरता देख मुरीद उसके कंधे पर हाथ रख नखली हसी हस्ते हुए बोला।

किराज अपने कंधे पर से उसका हाथ झटक "मैं अच्छे से समझ रहा हूं,,, पर याद रखना मैने ये सब तुम्हे बचाना के लिए नही किया" 

मुरीद अपना गुस्सा कंट्रोल करतें हुए "हा पता है पता है,,,तुम्हारा और निराज का छत्तीस का आगड़ा वाला मेंटर,,," मुरीद की बात सुन 

किराज डेंजर स्माइल कर "छत्तीस का आगड़ा वाला मेंटर तो हम दोनों का भी है,,,तो इसका मतलब,,," 

"क्या मतलब,,,?" मुरीद उसे आखें बड़ी बड़ी कर घबराते हुए सवाल किए।

किराज बेपरवाही से "मतलब मुझे तुम्हारा भी किस्सा खत्म करना पड़ेगा"

"येएएए,,,ज्यादा उड़ मत,,,अगर बॉस को पता चला की तुमने खुद को बचाने के लिए उनके सबसे भरोसे मंद साथी को मरवा दिया,,,तो तुम्हे भी उनके पैरों के नीचे आने में देर नहीं लगेगी,,,बड़ा आया मेरा किस्सा खत्म करने" मुरीद किराज की बात सुन भड़कते हुए बोले।

उसका भड़कना सुन किराज की हसी छूट गई "अरे यार तुम तो सीरियस होकर भड़क गए,,,मैं तो मजाक कर रहा था" 

मुरीद झुंझलाकर हस्ते हुए "हे हे हे,,,बहुत फनी मजाक था,,,हो गया अब निकल यहां से,,," 

किराज तिरछी स्माइल कर उसे डराते हुए "ठीक है जा रहा,,,अगली बार ध्यान रखूंगा की जब आऊ तो इस बार के गोली से भी अच्छे गोलियों से स्वागत करू तुम्हारा" 

"अगली बार जरा तमीजदार बनकर यहां कदम रखियो,,,वरना मैं भी तुम्हारे स्वागत में नीचे बम वाले कारपेंट बिछा कर रखूंगा" मुरीद उसी की भाषा में उसे जवाब दिया।

"पहले इस कचरेखाने को थोड़ा साफ सुथरा करो,,,तब शायद तमिजदार बनने की सोचू" ये बोल वो बिना मुरीद की तरफ देखे ताव से वहा से चला गया। 

मुरीद बस उसे जाते हुए घूरता रह गया।

"ए साला खुद को समझता क्या है,,,,," वो इतना ही बोला  था की 

"बॉस,,,," मुरीद  ये आवाज सुन चौक कर देखता है सामने किराज दात दिखाते हुए खड़ा था।

मुरीद चिढ़ते हुए "तू अभी तक गया नही,,,?अब भी कुछ बाकी है,,,?" 

"हा बॉस का फोन,,," किराज की बात पूरी भी नही हुई की 
मुरीद बीच में झुंझलाए "अबे निराज को मार के सठिया गया है क्या,,,? बॉस का फोन मेरे पास कैसे होगा"

किराज उसे मुंह पर एक मुक्का जड़ गुस्से में "चुप साले,,,पहले पूरी बात सुन फिर अपने गंदे मुंह का सीटारा खोलना,,," 
मुरीद दर्द से मुंह सहलाते हुए "आह,,,अबे जल्दी बोल ना तो,,,"
"अभी पाच मिनट में  बॉस का फोन आएगा मेरे फोन पर,,,," किराज इतना ही बोला था की फिर

"अबे इतने कम समय में बॉस का फोन ऐसे कैसे तेरे फोन में आ जाएगा,,,? तू यहां बॉस वहा,,,अपने फोन का साइज तो देख पहले फिर ऐसे कैसे बॉस का फोन तेरे फोन में समा जाएगा,,,?" उसकी बात सुनकर किराज अपना सिर पीट लिया।

फिर उसे एक और मुक्का जड़  "साले कन्फ्यूजिंग इंसान,,,अपने साथ मुझे भी कन्फ्यूज कर रहा,,, फोन आएगा मतलब कॉल आएगा,,, बॉस कॉल करेंगे मेरे फोन पर क्योंकि तुमसे बात करनी है उन्हे इसलिए भेजा है मुझे  समझा" 
उसकी बात जैसे ही खत्म हुई फिर एक तड़डाक,,,की आवाज आई और ये तड़डाक की आवाज की थी इस्पेक्टर मुरीद ने किराज के गाल पर 
और चिल्लाते हुए "साले बॉस के चमचे,,,सीधा सीधा नही बोल सकता था की बॉस कॉल करेंगे,,,उन्हे बात करनी है मुझसे इसलिए मुझे भेजा है,,,पर नही तुझे तो अपना अलग अकड़गिरी झाड़ना है" 

वही किराज जिसके गाल पर पड़े तप्पड़ से होश खो बैठा मुरीद को आखें फाड़े देख रहा था। उसका चिल्लाना सुन होश में आते ही झुंझला उठा "तुमने मुझे मारा,,,तेरी इतनी हिम्मत कचरेखाने के इस्पेक्टर,,,
यहां इनकी बात बात पर हाथा पाई चल रही थी और वहा लिवा अपार्टमेंट में हमारे जासूसों की खटिया खड़ी होने वाली थी।

लिवा अपार्टमेंट: 

सभी कनंत को घेर के अजीब तरह से घूरे जा रहें थे जैसे दुनिया का सबसे अजीब प्राणी वही है और कनंत ऐसे बैठा था जैसे कोई आतंकवादी संगठन से घिरा हुआ हो
सबसे ज्यादा तो काशी ही घूर रही थी उसे,,,,

वो उसे शक की नजर से घूर कर बोली "ऑफिस के अंदर तेरा वाला फ्रीज तो खाली पड़ा है फिर कौन सी आइस्क्रीम खाने की बात कर रहे थे तुम,,,?" 

"क,,कृभि,,न कृभिन के फ्री,, फ्रिज की" कनंत डर से हकलाते हुए बोला। कृभिन कुछ कहने ही वाला था की

आवाज आई  "पर हम सबका फ्रिज भी तूने ही साफ किया,,,अब तो सिर्फ काशी की ही फ्रिज आइस्क्रीम से भरी है" 
ये आशना की आवाज थी जिसे सुन सभी के चहरे रंग उड़ गए फिर रिहा को घूर कर देखने लगे "

"क्या? ऐसे क्या आखें फाड़ रहे,,,? अब इतना ही आखें फाड़ रहे तो दिखना भी चाहिए की तुम लोगो के ठीक सामने बैठी हु,,,कुछ नहीं बोली मैं आवाज तो दरवाजे,,,,," अपने बचाओ में सफाई 
अभियान भाषण दे ही रही थी की उसकी नजर दरवाजे की तरफ गई और अब उसकी आखें बाहर आने को थी वो नजारा देख। 
कृषि को छोड़ सब उसे गौर से देखने लगे और उसकी नजरो का पीछा कर जब उनकी नज़र भी दरवाजे की ओर पड़ी उनकी हालत भी रिहा की तरह हो गई।

तो कृषि सबसे अलग अभी भी रिहा को ही शक भरी नजरो से घूरे जा रहा था
ये सोच कर की इसी ने आशना की आवाज निकाली और अब पिटाई से बचने के लिए झूठ बोल रही हैं। 

और वो बोल ही पड़ा "ये आवाज बदलने की मशीन,,,सबको बुद्धू बना सकती हो मुझे नही समझी,,, मैं बोल रहा हूं  ये इस आवाज बदलने वाली मशीन की ही करतूत है,,,इस बार इसे बच कर जाने मत देना,,,इसे भी पीटो बहुत तेज चलती हैं ये मशी,,,," 

वो बक बक किए जा रहा था की उसके 
आखिरी शब्द पूरे होने से पहले ही रिहा ने बिना उसकी तरफ देखे एक थप्पड़ जड़ उसका मुंह दरवाजे
की तरफ कर दिया अब कृषि का भी वही हाल हो गया जो बाकी सब का था।

क्या प्लान बनाया था किराज ने,,,?

आखिर क्या क्या क्या हुआ होगा ऐसा जो सभी आखें फाड़े देख रहे थे,,,,?😱😱🤣🤣😂😂

इन सवालों के जवाब मिलेंगे आगे आगे आगे अगले भाग में। मिलते हैं अगले मजेदार भाग के साथ 🤩🤩🤩🤣