Hum safarnama - 2 in Hindi Drama by Neetu Ruhil books and stories PDF | हम सफरनामा - 2

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हम सफरनामा - 2


ईशान जल्दी से अपने कमरे में भाग जाता है तैयार होने के लिए.
वेदिका. मां हम सब का लंच मत बनाना हम सब बाहर खा कर आएंगे.
मुस्कुराते हुए निशा और अवनी का हाथ पकड कर बाहर चली जाती है, थोडी देर बाद ईशान भी अपने हाथ में गाडी की चाबी घूमते हुए बाहर निकल जाता है.

थोडी देर में वो तीनों गाडी में बैठकर वहां से निकल जाते हैं वेदिका गाडी में बैठकर अपने भाई से कल स्कूल जाने के लिए ढेर सारी बातें बताती है और उसकी खुशी उसके चेहरे पर ही नजर आ रही थी.

उसकी खुशी देखकर उसका भाई ईशान भी बहुत खुश होता है तभी उसकी नजर पीछे बैठे निशा पर जाती है तो वो अपने फोन से एक मैसेज करता है और फोन रख देता है थोडी देर बाद वो सब एक बडे से मॉल में जाते हैं वेदिका थोडी बहुत शॉपिंग करती है जो उसे कल स्कूल जॉइन करने के बाद जरूरी सामान चाहिए.

इधर घर पर.

नंदिनी अपना project तैयार कर रही थी तभी उसे कुछ सामान चाहिए होता है जो उसके पास नहीं मिलता तो जल्दी से अपने कपडे चेंज कर कर नीचे आती है अपनी मां से कहती है मां मुझे जरूरी सामान लेकर आना है।
मैं ये छोटे से पास वाले मॉल में ही जा रही हूं कल मुझे मेरा project सबमिट करना है इसीलिए जरूरी है।
लता, जी बेटा पहले पता होता तो तू भी ईशान और वेदिका के साथ ही चली जाती।
नंदिनी, मां मुझे अभी याद आया है मुझे जरूरी चाहिए। ये सामान कोई बात नहीं मेरा बस दस मिनट का काम है अभी आ जाऊंगी मैं आप चिंता मत कीजिए और आप भी थोडा आराम कर लीजिए लंच की तैयारी मैं आपके साथ आकर करवा लूंगी.

लता जी, बेटा लंच तो बस मेरा और तुम्हारा ही बनेगा ईशान और वेदिका तो मना करके गए हैं। वो दोनों बाहर कुछ खा लेंगे, नंदिनी, मम्मी फिर आप हमारा भी रहने दीजिए।
मैं हम दोनों के लिए कुछ ले आऊंगी आप भी आराम कर लीजिए वैसे भी काफी दिनों से आपके पैरों की स्वेलिंग बढ रही है अगर आप ज्यादा देर किचन में खडी रहेगी, तो आपके पैर सूज जाएंगे।

लता जी हां बेटा तू मेरा कितना ख्याल रखती है अच्छा चल ठीक है मैं आराम कर लेती हूं तू जा और जल्दी आ जाना फिर लता जी किचन समेट कर अपने Room में जाकर आराम करने लगती है। नंदनी स्कूटी बाहर निकलती है वो स्कूटी लेकर पास वाले एक छोटे से मॉल में ही चली जाती है।

जिसमें उसकी जरूरत का सामान आसानी से मिल जाता है जब वो शॉपिंग करती है तभी उसकी किसी से टक्कर होती है वो सामने वाले इंसान को एक बार देखती है और उसे Sorry बोलकर आगे निकल जाती है।
लेकिन वो इंसान बार- बार नंदिनी को ही देख रहा था नंदिनी को एहसास होता है कि कोई उसे देख रहा है वो पीछे मुडकर देखती है तो वो इंसान उसे ही देख रहा था।

लेकिन नंदिनी इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं देती और अपना सामान लेकर बिल पे करती है और बाहर आकर स्कूटी पर बैठकर थोडी सी दूर जाकर एक रेस्टोरेंट में अपने और अपनी मम्मी के लिए छोले भटूरे उसके साथ रायता और कुछ सलाद और हल्का सा कुछ मीठा पैक करवा लेती है।

जब नंदिनी ये सब सामान पैक करवा रही थी वो इंसान दूर खडा होकर नंदिनी को ही देख रहा था जैसे वो नंदिनी को पहचानने की कोशिश कर रहा हो नंदिनी भी जल्दी से सामान लेकर एक बार पीछे मुडकर मॉल की तरफ देखती है और वापस स्कूटी पर बैठकर वहां से निकल जाती है.

नंदिनी के जाने के बाद वो इंसान अपनी जेब से अपना फोन निकाल कर एक फोटो देखता है और फिर उसे तरफ देखता है जहां पर नंदिनी गई थी और अपने मन में कहता है।

अब तो तुमसे मिलने के लिए मेरा दिल भी बेकरार है आज ही पापा को जाकर कहता हूं कि मैं मिलने के लिए तैयार हूं और चेहरे पर हल्की सी स्माइल लेकर वापस मॉल के अंदर चला जाता है जहां पर उसका दोस्त सिद्धार्थ सिंघानिया उसका इंतजार कर रहा था।

सिद्धार्थ अर्जुन को देखकर क्या हुआ अर्जुन तुम बाहर क्या देखने गए थे नहीं कुछ नहीं वो मुझे लगा मैं किसी को जानता हूं लेकिन शायद मेरा वहम था।
कोई नहीं चलो जल्दी से शॉपिंग करो उसके बाद मैं तुम्हें ऑफिस छोड दूंगा, और मुझे भी हेड क्वार्टर जाना है.

वैसे तू इतने छोटे से मॉल में शॉपिंग करने के लिए कैसे आ गया सिद्धार्थ अर्जुन अपने हाथ में एक बुक उठाकर उसे पढते हुए सिद्धार्थ से कहता है सिद्धार्थ अरे मुझे ज्यादा कुछ नहीं बस वो पीहू के लिए एक ड्रेस लेनी थी।

अगर मैं बिना डाल के डैस लिए घर चला जाता तो आज मेरी डॉल मुझे ही घर से बाहर निकाल देती ये सुनकर अर्जुन और सिद्धार्थ दोनों जोर- जोर से हंसते और कहते हैं हां यह तो तूने सही कहा.

प्लाजा शॉपिंग मॉल.

भाई हो गई है मेरी शॉपिंग चलिए अब कुछ कैंटीन में खा लेते हैं लंच का टाइम भी हो गया है ईशान हां हां चलो तुम जाकर बैठो और खाना ऑर्डर करो मैं अभी आया मुझे अपना कुछ जरूरी सामान लेना हं


वेदिका, निशा और अवनी एक हल्की- सी खिलखिलाहट के साथ मॉल की कैंटीन में घुसती हैं। वेदिका की आंखें चमक रही थीं—स्कूल की नई शुरुआत का उत्साह, कुछ नया करने की ललक और भाई के साथ बिताया वक्त—ये सब उसकी मुस्कान में साफ झलक रहा था।

निशा, ऑर्डर दे दो न. मुझे तो इतनी भूख लग रही है कि मैं मेन्यू भी नहीं देख सकती, वेदिका ने हँसते हुए कहा और टेबल की एक कुर्सी पर बैठते ही अपने बैग से अपनी डायरी निकाल ली।

निशा और अवनी मुस्कुराते हुए काउंटर की ओर बढ गईं। वेदिका डायरी में कुछ- कुछ लिखने लगी — शायद वह अपनी पहली क्लास का टाइम टेबल बना रही थी या कोई खास नोट्स। तभी ईशान पीछे से आकर उसकी बगल वाली कुर्सी खींच कर बैठ गया।

बस कर वेदु! ये प्लानिंग- वलानिंग स्कूल में काम नहीं आने वाली, ईशान ने चिढाते हुए कहा।

वेदिका ने मुंह बनाते हुए उसकी तरफ देखा, भैया, आप समझ नहीं रहे, ये सब बहुत जरूरी है। टीचर बनने का सपना ऐसे ही थोडी न पूरा होता है।

अच्छा अच्छा, मैडम टीचर! ईशान ने झुककर सिर झुकाया, हमें माफ करें, हम कौन होते हैं आपकी योजना में दखल देने वाले!

दोनों भाई- बहन हँसने लगे।

इसी बीच निशा और अवनी खाने की ट्रे लेकर वापस आ गईं। छोले- कुलचे, चीज टोस्ट, और दो बडी ग्लास में आम पना देखकर वेदिका की आंखें चमक उठीं।

ओह वाओ! ये तो मेरे फेवरिट हैं! वेदिका ने चहकते हुए कहा।

हम जानते हैं, निशा ने मुस्कराकर कहा, पहले दिन की तैयारी है तो खाना भी थोडा स्पेशल होना चाहिए।

तीनों खाने में मस्त हो गए, और ईशान भी उनका कैमरा बनकर मस्तीभरी तस्वीरें खींचने लगा।

उधर. मॉल की दूसरी तरफ.

सिद्धार्थ और अर्जुन अभी भी बुक शॉप के पास खडे थे। सिद्धार्थ ने एक सुंदर सी बेबी ड्रेस उठाई और मुस्कराया, बस यही सही है। पीहू को गुलाबी रंग बहुत पसंद है।

अर्जुन की आंखें कुछ पल के लिए शांत हो गईं। उसकी नजरें उस जगह टिक गईं जहां कुछ देर पहले नंदिनी थी। उसके दिल में हलचल थी, उसे नंदनी के पास जाने के लिए कह रही थी लेकिन अर्जुन ने अपने आप को रोक लिया.

क्या हुआ अर्जुन? सिद्धार्थ ने उसकी ओर देखा।

कुछ नहीं. बस. चलो न, अब निकलते हैं, अर्जुन ने हल्की मुस्कान दी लेकिन उसकी आंखों के सामने अभी भी नंदिनी का चेहरा था जिससे उसके दिल की धडकन तेजी से धडक रही थी

इधर. घर पर.

लता जी नींद में थीं। उनकी आंखें हल्की खुलीं तो देखा, पास में नंदिनी ने चुपचाप ट्रे में खाना रखा था। छोले भटूरे की खुशबू से लता जी की आंखों में चमक आ गई।

अरे बेटा, तू आ गई?

हां मां, देखिए मैं क्या लाईं हूं आपके लिए, नंदिनी ने धीरे से कहा।

तेरे हाथ से लाया खाना तो दवा से भी बढकर है, लता जी ने प्यार से नंदिनी के सिर पर हाथ फेरा। मां- बेटी साथ बैठकर खाना खाने लगीं।

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कौन है अर्जुन ने नंदनी को देखकर ऐसे रिएक्ट क्यों किया क्या नंदिनी शादी के लिए हां कर देगी क्या वेदिका का दिन स्कूल में अच्छा बीतेगा जानने के लिए पढ़ते रहिए " हम सफरनामा"