Hum safarnama - 4 in Hindi Drama by Neetu Ruhil books and stories PDF | हम सफरनामा - 4

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हम सफरनामा - 4

हम किसी पर दबाव नहीं डालते। कल तुम बस मिल लो, उसके बाद फैसला तुम्हारा, लता जी ने नंदिनी का हाथ थामते हुए कहा।

हां मां, पापा. मैं मिलूंगी। लेकिन. मैं वही करूंगी जो दिल कहेगा, नंदिनी ने नजरों में संजीदगी और चेहरे पर मासूम मुस्कान लिए कहा।

ईशान ने चुटकी लेते हुए कहा, बस अब मुझे DIG साहब से डर लगने लगा है!
सब हँस पडे।


नंदिनी पापा अपने नील से बात की अशोक जी बेटा अभी कर लेता हूं अगर उसे छुट्टी मिल जाएगी तो वह भी कल आ जाएगा नहीं तो सगाई वाले दिन आ जाएगा यह कहने के साथ ही वह अपनी जेब से फोन निकलते हैं।

और अपने बेटे नील के पास फोन मिलाते हैं। उधर से नील बात करता है और सारी बातें सुनने के बाद खुशी से कहता है। पापा मैं बहुत खुश हूं लेकिन मैं कल नहीं आ पाऊंगा।

क्योंकि कल मेरा प्रैक्टिकल है। आप जो भी बात हो मुझे शाम को बता देना और अगर रिश्ता पक्का होता है। तो मैं सगाई से पहले ही छुट्टी के लिए अप्लाई कर दूंगा।

अशोक जी, हां बेटा ये ठीक है वैसे भी ईशान अभी यही है तो वो काम संभाल लेगा उसे भी परसों पुणे के लिए निकलना है नील हां पापा मेरी ईशान भाई से बात हुई थी।

वो पहले मुझसे मिलने के लिए आएंगे, मेरा कुछ सामान रह गया था। वो देने आएंगे। अशोक जी अच्छा ठीक है। बेटा तो अभी मैं फोन रखता हूं, तुम भी जाकर अपना डिनर कर लो और कल शाम को बात करते हैं।

नील से बात होने के बाद सब डिनर कंप्लीट करके अपने Room में सोने के लिए चले जाते हैं! क्योंकि सुबह सबके लिए बहुत ज्यादा काम थे और उन्हें जल्दी उठना था।


सुबह की पहली किरण जैसे ही वेदिका के कमरे की खिडकी पर पडी, उसकी नींद खुद- ब- खुद खुल गई। अलार्म की जरूरत ही नहीं पडी थी आज—क्योंकि आज पहला दिन था उसके सपने की ओर पहला कदम रखने का। स्कूल में पहली बार टीचर बनकर जाना, बच्चों को पढाना और खुद को साबित करना।

मम्मा! देखो ना मेरी ड्रेस कैसी लग रही है? वेदिका ने गले में आई. डी. कार्ड लटकाते हुए लता जी के कमरे में झांका।

वो अपनी बेटी को देखकर बहुत खुश होती हैं क्योंकि इस वक्त वेदिका ने एक ब्लू रंग का पेंट वाला सूट पहना था बालों को लंबी चोटी में गुथ हुआ था।
आंखों में गहरा काजल होठों पर पिंक Color की लिपस्टिक दुपट्टे को साइड में डाला हुआ था जिसमें वह बहुत सुंदर लग रही थी उसकी वह बुरी बुरी आंखें अलग से चमक रही थी।

जिसे देख कर लता जी की आंखें भर आईं, बिलकुल मेरी गुडिया परी लग रही है. जैसे उसकी किस्मत में ही बच्चों को संवारना लिखा हो।

ईशान भी बाहर निकला, और थोडी मस्ती के मूड में बोला, डायरेक्ट प्रिंसिपल बन जा न वेदु, पूरा स्कूल लाइन में लग जाएगा ऑटोग्राफ के लिए।

वेदिका ने तकिया फेंक कर जवाब दिया, और तीनों खिलखिलाकर हँस पडे।
वेदिका अपनी मम्मी का हाथ पकड कर नीचे आती है और मंदिर में जाकर राधा कृष्ण जी की मूर्ति के आगे हाथ जोडकर प्रार्थना करती है।
वो सबको प्रसाद बाटती है फिर वो अपने पापा के पास जाकर उनका आशीर्वाद लेती है और अपनी मां का भी उसके पापा कहते हैं चलो आज मैं भी तुम्हें स्कूल छोडता हूं तुम्हारा आज शिक्षक के रूप में पहला दिन है.

ईशान, पापा आज मैं घर पर हूं आज मैं इसे छोड देता हूं वैसे भी उसके बाद तो यह अपनी स्कूटी से ही जाएगी।
इसे कुछ डॉक्यूमेंट जमा करने हैं! जो मैं करवा दूंगा, आज आपको वैसे भी शाम को बहुत सारे काम करने! आप ऑफिस जाइए और जल्दी घर आने की कोशिश कीजिए.

वेदिका, हां पापा ईशान भाई ठीक कह रहे हैं मैं भाई के साथ चली जाती हूं और भाई को भी जल्दी भेज दूंगी. आप सब लोग शाम को मेहमानों की तैयारी कीजिए! ये कहने के साथ वेदिका और ईशान वहां से निकल जाते हैं.

स्कूल के बाहर...

वेदिका जब स्कूल के गेट के पास पहुँची, तो एक हल्की घबराहट सी महसूस हुई—पर उसी पल बच्चों की आवाजें, स्कूल बेल की टन- टन और प्रांगण में दौडते मासूम चेहरे देखकर उसकी सारी घबराहट खुशी में बदल गई।

मिस वेदिका, आपका वेलकम है, प्रिंसिपल ने मुस्कराकर कहा।
वेदिका भी मुस्कुराते हुए प्रिंसिपल के पास जाती है! और उन्हें नमस्ते करती है ईशान भी उनके साथ जाता है और कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट पर Sign कर देता है।
प्रिंसिपल, आयुर्वेदिक का जी मैं आपके स्टाफ Room तक छोड देता हूं ईशान बाई का कर वहां से निकल जाता है वेदिका स्टाफ Room की तरफ जाती है।

जैसे ही वो स्टाफ Room की ओर बढी, एक और नया टीचर उससे टकरा गया। उसके हाथ से किताबें गिर गईं।

सॉरी! वेदिका जल्दी से झुकी किताबें उठाने के लिए।

इट्स ओके, वो आवाज जानी- पहचानी सी लगी। जब वेदिका ने चेहरा ऊपर देखा तो उसकी आंखें चौंक गईं। वह उसके Collage में साथ पढता था रमेश को देखकर वेदिका है।

हैरानी से रमेश तुम यहां रमेश से हां जब मैंने तुम्हें प्रिंसिपल ऑफिस में जाते देखा तो मैं भी तुम्हें देखकर हैरान हो गया था लेकिन अब मेरी समझ में आया तुम्हें भी यहां पर टीचर की Job मिल गई है।

और इत्तेफाक देखो मुझे भी पिछले साल ही यहां पर टीचर की Job मिली है चलो पुरानी जान पहचान है साथ मिलकर अच्छा काम करेंगे।

लेकिन उसका देखना कुछ अजीब था जिसे महसूस कर वेदिका उसे थोडा पीछे हट जाती है और हल्का सा मुस्कुरा कर एक टीचर के पास जाकर उनसे कुछ बातें करने लगती है और अपनी क्लास के बारे में पूरी जानकारी लेती है।

स्टाफ Room में सब नहीं मैडम को देखकर खुश थे तभी एक मैडम पूछता है आप कौन से सब्जेक्ट की टीचर हैं। वेदिका“ मैं मैथ्स टीचर हूं.


उधर नंदिनी...

Collage में उसकी project सबमिशन के बाद उसकी दोस्त रीना ने पूछा, तेरे चेहरे पर अलग सी चमक है आज, क्या बात है?

नंदिनी थोडा झिझकी, वह आज वेदिका को उसकी Job मिल गई और उसका स्कूल में पहला दिन है बस इसीलिए मैं थोडी खुश हूं तू बता तू इतनी खुश क्यों है रीना अरे मेरा रिश्ता पक्का हो गया है और कुछ दिन बाद मेरी शादी भी है।


नंदिनी, यह रिश्ता पक्का हो गया और कुछ दिन बाद शादी भी और तूने मुझे बताया भी नहीं रानी अरे गांव में रिश्ता पक्का हुआ था और कल हम सब गांव ही जा रहे हैं वहां पर मेरी शादी पक्की हो गई है और मैं जानती थी तुम गांव नहीं आओगी इसीलिए मैंने तुम्हें पहले यह सब नहीं बताया।

नंदनी तो चलो कोई बात नहीं तुम्हें बहुत- बहुत बधाई हो रानी मुस्कुरा कर थैंक You। नंदिनी अपने मन में इसका मतलब सभी के साथ यह सब होता है मैं तो ऐसे ही परेशान हो रही थी।

ये सोचते हुए, उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ जाती है और वो अपना project सबमिट करने के लिए ऑफिस जाती है रानी चलो आज कहीं रेस्टोरेंट जाकर कुछ खा लेते हैं।

नंदिनी नहीं आज मुझे घर जल्दी जाना है मम्मी ने कहा था कोई मेहमान आने वाले हैं। रीना चलो कोई बात नहीं बाहर आइसक्रीम तो खा ही सकते हैं।
नंदिनी हां ये ठीक रहेगा, दोनों Collage से बाहर आती है और आइसक्रीम लेकर रोड पर चलते हुए खाती है उसके बाद नंदिनी अपनी स्कूटी लेकर वहां से घर के लिए निकल जाती है


शाम को...

जब वेदिका अपने पहले दिन की थकान और रोमांच के साथ घर लौटी, उसने ईशान को दिनभर की सारी बातें सुनाई—बच्चों के साथ उसकी पहली क्लास, टीचर्स का बर्ताव, और... रमेश

ईशान ने चौंककर पूछा, रमेश? कौन?

वेदिका मुस्कराई, नया टीचर है... और अजीब बात ये है कि क्लास में ही मेरे Collage में पढता था! लेकिन मुझे पहले भी वह इतना पसंद नहीं था और अभी पता नहीं क्यों मुझे उसका बर्ताव अजीब लगता है.

ईशान, कोई बात नहीं जब तक वह कुछ उल्टी सीधी हरकत ना करें तब तक देख कर तुझे कोई परेशान करें या तेरे साथ बदतमीजी करें तो मुझे बता देना।

अशोक जी, बच्चों क्या कर रहे हो जल्दी से तैयार हो जाओ मिश्रा जी का फोन आया था वह लोग बस दस मिनट में पहुंचने वाले हैं।



आखिर वेदिका को रमेश से मिलकर अजीब क्यों लगा क्या लडके वाले नंदनी को पसंद करेंगे जानने के लिए  पढ़ने रहिए स्टोरी" हम सफरनामा" .