Adalat-Mukadma aur Vakil - 2 in Hindi Anything by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अदालत-मुकदमा और वकील - 2

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अदालत-मुकदमा और वकील - 2

कहानी तो मैं सुनाऊंगा, लेकिन पहले आज के हालात पर तो नजर डाल लें।कुछ घटनाएं जो सब की नजर में है,

राहुल गांधी को ले ले कितनी अदालतों में उनके खिलाफ केस चल रहे है और निचली अदालतों के बुलावे को नजरअंदाज करते रहते है, और जब निचली अदालतें उन्हें कोई राहत नही देती, तब सुप्रीम कोर्ट में बड़े बडे वकील उनकी तरफ से दलील देकर उन्हें राहत दिलवा ही देते है।

केजरीवाल प्रकरण सबको ध्यान होगा।ईमानदारी की बड़ी बड़ी बातें करने वाला ई डी के सम्मन को इग्नोर करता रहा और जब गिरफ्तार हो गया तब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के नाम पर जमानत दी और तरह के हथकंडेअपनाए।जेल में रहने पर भी इस्तीफा नही दिया।

अब आम आदमी की बात,

जब पैसा ही नही होगा तो बेचारा न हाई कोर्ट जा सकता है, न ही सुप्रीम कोर्ट।मतलब न्याय पाने के लिए पैसा जरूरी है।कोर्ट में फीस के अलावा भी पैसा देने के लिये चाहिए।और केस लड़ने के लिय आपको वकील की जरूरत पड़ेगी।जितना बढ़िया वकील करोगे, उतना ही ज्यादा पैसा चाहिए।यायह तो आपने भी सुना होगा।सिब्बल, सिंघवी, जेठमलानी आदि कितनी फीस लेते थे या लेते है एक पेशी क़े ये मीडिया के द्वारा सब को पता है।आजकल सोशल मीडिया से कुछ भी छिपा नही है।

 सर्वोच्च अदालत आजकल अपने को श्रेष्ठ समझने लगी है।राष्ट्रपति और राज्यपाल को आदेश देने लगी है, न्याय के नाम पर आतंकवादी और देशद्रोही के लिए रात में खुलने लगी है और इनके समर्थक वकीलों की भी हमारे देश मे कोई कमी नही है।अलगाववादी, आतंकवादी,और गुंडों के केस लड़ने वाले वकीलों की हमारे यहाँ कमी नही है और इन लोगो के केस लड़कर ये लोग मोटी कमाई करते है।

राहुल गांधी को मानहानि केस में दो साल की सजा हुई, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने अभी रोक लगा रखी है। क्या किसी आम आदमी को सुप्रीम कोर्ट ऐसी रियायत देता है।

राम रहीम को आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है लेकिन बार बार उन्हें पेरोल मिल जाती है।लालू यादव पेरोल पर है मेडिकल ग्राउंड पर पर राजनीति कर रहे है।इन पर भी कोर्ट मेहरबान है।

आप पैसे वाले हो या रसूखदार तो आप पर न पुलिस रॉब जमा सकती, न ही अदालत आप का कुछ बिगाड़ सकती।असल मे ये आम लोगो के लिये ही है।

पुलिस को पैसा चाहिए,चाहे सही काम हो या गलत।चाहे पुलिस वाला आपका दोस्त या रिश्तेदार ही क्यो न हो।यहाँ में जो भी बाते बता रहा हूँ,आप भी सब जानते हैं।आपने भी देखी है या भुगताहै 

वैसे हमारे ेे में लोकतंत्र है और सब कानून की नजर में बराबर है।

अदालतें कुछ धर्म पर टिप्पणी करने से बचती है पर  हिन्दू धर्म पर नही।

आपने आये दिन अखबार में पढ़ा होगा कर्जदार से परेशान होकर आत्महत्या की।कहने को देश से जमीदारी व सूदखोरी खत्म हो गयी पर वास्तव में ऐसा नही है।आज भी अनाप सनाप ब्याज पर पैसा देकर खून चूसने वालो की कोई कमी नही है।और प्रशासन सब कुछ जानकर भी मौन है।मतलब कानून कुछ नही करता।

अगले भाग में ऐसी ही धोखा धड़ी की एक दास्तान  सुनाऊंगा।कैसे झूठे सबूत बनाये जाते हैं और कोर्ट में सब मिली भगत है।

बस अगले भाग में