Adalat-Mukadma aur Vakil - 1 in Hindi Anything by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अदालत-मुकदमा और वकील - 1

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अदालत-मुकदमा और वकील - 1

जब चीफ जस्टिस की और से एक कॉन्फ्रेंस में यह कहा गया कि हमे और जेले बनाने कि जरूरत है, तब हमारे देश की महामहिम राष्ट्रपति महोदया द्वारा कहा गया कि आखिर हम कैसा समाज बनाना चाहते है?हमे ऐसा समाज बनाना चाहिए जहां जेल की जरूरत न पड़े।

एक पिक्चर है jolly LLB इसके एक दृश्य में जज साहब कहते है-आज भी लोगो को अदालत पर विश्वास है, जब कोई बात ऐसी हो तो कहते है-I will see you in  court

अब वो जमाना गया जब प्रेम चंद ने पंच परमेश्वर लिखी थी।अब पंच परमेश्वर नही रहे।पहले न्याय मिलता था, अब आपकेपास पैसा  हो तो न्याय खरीद सकते है।आप कहेंगे मे गलत बोल रहा हूँ।जी  नही।अरे आप किसी पर केस करे या आप पर कोई कर दे तो आपको वकील करना पड़ेगा।और जितना बड़ा वकील उतना ही ज्यादा पैसा देना होगा।सुना है कुछ नामी वकील एक पेशी के दस लाख या ज्यादा लेतेहै।

गवाही देने से पहले कसम खानी पड़ती है गीता की और गवाह बोलता है-मैं जो कुछ कहूँगा,सच कहूंगा,सच के सिवाय कुछ नही कहूंगा--और याद आता है वो गाना कसमें वादे--वादों का क्या-

गवाह झरीदे और बेचे जाते है, वह कसम चाहे सच बोलने की खाते हो,लेकिन क्या सच बोलते है?

महामहिम राष्ट्रपति ने भी कहा था कोर्ट कचहरी के चक्कर मे घर बर्बाद हो जाते है।कोर्ट में जगह जगह टिकट लाओ, कभी कौनसा कागज लाओ उसमें पैसे लगते है।

अब आते है भरस्टाचार पर एक शब्द है, रक्षक ही भक्षक

कदम कदम पर रिश्वत देनी पड़ती है, जज के सामने बैठा पेशकार तारीख देने व अन्य काम के पैसे लेता है।रिश्वत के मामलों में सजा सुनाने वाले खुद रिश्वतखोर है।

और आप अगर कुछ अदालत के बारे में बोल दे तो क्या होगा।अदालत की अवमानना का मुकदमा आप पर लग सकता है।

अभी जस्टिस वर्मा का केस आप भूले नही होंगे।जिनके बंगले में रखे नोटो में आग लग गयी। इतने नॉट आये कहा से, कोई भी समझ सकता है, रिश्वत के होंगे और इन नोटों के बारे में न पुलिस बोली, न फायर ब्रिगेड वो तो भला हो एक अखबार का जिसने समाचार छापा और मामला जनता की नजर में आ गया।

जज के घर मे नोट मिलने पर यह बात साफ हो गयी न्याय के दरबार मे रिश्वत चलती है।

अब दिलचस्प मोड़ देखिए अगर किसी आम आदमी या सरकारी कर्मचारी के पास इस तरह रु मिलते तो ई डी, इनकम टैक्स, सी बी आई और न जाने कौन कौन सी जांच एजेंसी ने उसे धर दबोचा होता

और इसी केस के समाचार सुनते व टीवी के ऊपर बहस सुनते समय एक नई बात सामने आई कि जज के खिलाफ एफ आई आर नही हो सकती।इसका मतलब जज चाहे जो करे, चाहे जिस गतिविधियों में शामिल रहे उसके खिलाफ एफ आई आर नही हो सकती तो फिर न जांच होगी, न मुकदमा चलेगा

जय बोलो लोकतंत्र की।

हमारे यहाँ जज हर तरह से स्वतंत्र है, आप उनका कुछ नही बिगाड़ सकते लेकिन वह आपका सब कुछ बिगाड़ सकते है।

(यह सीरीज में आपको यह बताने के लिए लिख रहा हूँ कि सबसे बड़ा आज भी रुपया ही है, उसके आगे सब फेल