Adakaar - 34 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 34

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अदाकारा - 34

अदाकारा 34*

   शर्मिला की शूटिंग शाम सात बजे खत्म हुई।प्रियतम द्वारा प्रियतमा को मनाने वाला सीन बड़ी मुश्किल से पूरा हुआ था।आज पूरे दिन उस एक ही सीन की शूटिंग हो पाई थी। अठारह रीटेक के बाद भी वह सीन केवल ठीक-ठाक ही हुआ था।शर्मिला पुरी तरह से थक चुकी थीं।
वह स्टूडियो से निकलकर अपनी कार में बैठ गईं।और फिर उसने उर्मिला को फ़ोन किया।
"हेलो उर्मि।"
जैसे ही फ़ोन की स्क्रीन पर शर्मिला का नाम दिखा उर्मिलाने खुशी से झूमते हुए फ़ोन कलेक्ट किया और बोली।
"तुम्हें यकीन हो या ना हो शर्मि?मैं तुम्हारे ही फ़ोन का इंतज़ार कर रही थी।"
"अरे तुझे इंतज़ार करने की जरूरत क्या है? तुम जब चाहो मुझे फ़ोन कर सकती हो।"
शर्मिलाने प्यार भरे लहजे में कहा।
"हाँ ये तो सही है।लेकिन मुझे लगा कि तुम अपनी शूटिंग में व्यस्त होगी।"
उर्मिलाने अपना बचाव करते हुवे कहा।
"हाँ मैं तो व्यस्त थी।लेकिन फिर भी अगर तुम फोन करती तो तुम्हारा फ़ोन जरूर कलेक्ट करती। तेरा फोन ना उठाऊं अइसा तो हो नही सकता।और हा मैं तुमसे मिलना चाहती हूं।"
"तो कल घर आ जाना।"
"नहीं बाबा।क्या तुम्हें पता है कि तुमने परसो तेरे पति ने पार्किंग में कैसी रामायण की थी?"
"हाँ उसने घर आकर मुझसे पूछा कि तुम क्यों आए थी।मैंने कहा कि वो मेरी बहन है।और पिछली बात भूलाकर उसने माफ़ी मांगी और मैंने भी उसे माफ़ कर दिया।"
"उर्मि।मैंने उनके आगे भी कान पकड़ कर माफ़ी माँगी।लेकिन वो माफ़ करने के बजाय, मुझे जान से मारने की धमकी देने लगे।तो अब तूही बता मैं वहाँ कैसे आ सकती हूँ?"
"उसने मुझसे कहा कि अगर तुम उसके साथ रिश्ता रखना चाहती हो तो तुम उसे बाहर जाकर मिल लेना लेकिन वो यहाँ नहीं आनी चाहिए।"
उर्मि ने शर्मिला को बताया कि सुनील ने क्या कहा था।
 तो शर्मिला बोली।
"अब तुम ही बताओ कि मैं तुम्हारे वहां कैसे आ सकती हूँ?"
"कल से सुनील कंपनी में काम के सिलसिले में आठ दिनों के लिए बैंगलोर जा रहा है।तुम आ जाओ।"
"पक्का ना?देख फिर कोई मगजमारी ना हो जाए ।"
शर्मिला जो दूध की जली थी इसलिए वो छाछ भी फूंक कर पी रही थी।
"चिंता मत करो।ये एकदम पक्का है।"
उर्मिला ने यह आश्वासन दिया तो शर्मिला उत्साह से बोली।
"तो ठीक है,कल शूटिंग खत्म होते ही मैं वहाँ आ जाऊँगी।रात को हम साथ में डिनर करेंगे। ठीक है।"
"ठीक है।शर्मिला,मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी।"
शर्मिला घर आई और सबसे पहला काम उसने शावर लेने का सोचा।उसने शॉवर चालू किया और शॉवर के नीचे खड़ी ही थी कि तभी उसका मोबाइल बज उठा।
मैं तो दीवानी हो गई
प्यार मे तेरे खो गई।
वह तुरंत समझ गई कि यह जयसूर्या का ही कॉल होगा इसलिए उसने इस समय उसे इग्नोर करना ही उचित समझा।फ़ोन तीन चार बार बजा,लेकिन वह आराम से नहाती रही। करीब आधे घंटे बाद वह बाथरूम से बाहर आई और तौलिये से अपना शरीर पोंछते हुए, उसने पुष्टि की कि किसका फ़ोन था।तो वो जयसूर्या का ही फ़ोन था।अब उसने कॉल बेक किया।
"नमस्ते मैडम।"
दूसरी तरफ से जयसूर्याने फौरन कहा।
"मैं कब से फ़ोन कर रहा था?क्या तुम घर पहुँच गई?"
"हाँ।मैं नहा रही थी।में नहाकर तुम्हें फ़ोन करने वालीं थी।क्या वाकई कोई ज़रूरी बात है?"
शर्मिला को शक था कि जयसूर्या उससे मिलने के लिए बस झूठे बहाने बना रहा हे।इसलिए वह उससे जितना हो सके दूरी रखना चाहती थी।
"ज़रूरी ही बात है मैडम जब आप मेरी बात सुनेंगी तो आपके पैरों तले से ज़मीन खिसक जाएगी।"
"हूँ?"
शर्मिला ने आश्चर्य से आँखें चौड़ी करते हुए कहा।
"तो फिर आ जाओ।"
शर्मिला ने उसे आमंत्रित किया।और जयसूर्या इसी सहमति के तो इंतेज़ार मे था।
"मैं आधे घंटे में पहुंचता हूँ मैडम।"
"आपको देखे हुए कितने दिन हो गए शर्मिला?"
जयसूर्याने शर्मिला की दहलीज मे कदम रखते हुए कहा।
शर्मिलाने ये नोटिस किया की जयसूर्या जो हमेशा मैडम कहकर बुलाता था वो अब शर्मिला पर आ गया है।
शर्मिला बोलीं।
"आप मेरे कुछ फ़ायदे की बात कर रहे थे?"
"तुम दो दिन पहले बृजेश साहब से मिली थीं, तो क्या तुमने उनसे कोई गैरकानूनी काम करने को कहा था?"
जयसूर्या ने बिना लाग-लपेट के सीधे मुद्दे पर बात की।लेकिन शर्मिला जयसूर्या की बात सुनकर चौंक गईं।
"तो इंस्पेक्टर ने तुम्हें सब कुछ बता दिया?"
"मैं साहब का दाहिना हाथ हूँ।"
"अब?"
शर्मिला ने धड़कते दिल से पूछा।
"अब साहब क्या करने वाले है वो मैं तुम्हें बतादु।लेकिन मुझे इससे क्या फ़ायदा होगा?"
जयसूर्याने अपने मन की बात कही।
"मैं तुमसे पैसो से नहला दूंगी।"
शर्मिला ने उसे पैसे का लालच दिया,लेकिन जयसूर्या को पैसे कहाँ चाहिए थे?उसने शर्मिला के चेहरे को वासना भरी नज़रों से देखा।ओर मुस्कुराते हुए कहा।
"मुझे पैसो से नहीं नहाना है मैं तो तुम्हारे साथ नहाना चाहता हूँ।"

(क्या शर्मिला जयसूर्या का प्रस्ताव स्वीकार करेगी?या वह बृजेश की ही शरण में जाएगी)