Tera Lal Ishq - 9 in Hindi Crime Stories by Kaju books and stories PDF | तेरा लाल इश्क - 9

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तेरा लाल इश्क - 9

"इतनी देर हो गई है,,, कर क्या रहे हो तुम सब नामुरादो जल्दी ढूंढो उसे,,,और जहां मिले वही से यमलोक पहुंचा दो,,, साले की हिम्मत तो देखो,,,इतनी खर्चा पानी खाई फिर भी भागने में अव्वल दर्ज का खिलाड़ी निकला साल्ला,,,तुम सब जल्द से जल्द ढूंढो उसे पूरा काला भंडार के चप्पे चप्पे पर छान मारो" वो इस्पेक्टर फोन पर किसी से गुस्से से चिल्लाते हुए बोला।

"सर हम हर जगह अच्छे से छान मार रहें है,,,पर उसका कोई नामो निशान नहीं,,,कही वो बच तो,,," फोन की दूसरी तरफ से एक आदमी डर से इतना ही बोला।
उसने हवलदार के कपड़े तो पहन रखे है पर काम क्या ही बताए

"हो ही नहीं सकता,,,जब चूहा जख्मी हो,,तो कही न कही किसी कोने का सहारा लेकर जरूर ठहरता है"इस्पेक्टर मुरीद ने गुस्से हस्ते हुए कहा।

"हा हा हा,,,जी सर समझ गया" वो आदमी भी हस्ते हुए बोला।

"समझ गया तो दात दिखाना बंद कर,,, फ़ोन रख और जो काम दिया वो कर,,,वरना तेरे सारे दात के साथ तेरी हड्डियां भी तोड़ दूंगा समझा" उसकी हसी सुनकर मुरीद ने गुस्से में झल्लाते हुए कहा। 

और फोन ऑफ कर दिया।

हवलदार जिसका नाम कबाड़ी है वो यही था जो ये बताने भागते हुए मुरीद के पास आया था  कि मीडिया का वो चमचा भाग गया है।

ये सुनकर इस्पेक्टर मुरीद बौखला गया और तभी से अपने आदमियों को उसकी खोज में लगा दिया और जल्दी से न मिलने पर पागलों की तरह अपने आदमियों पर चिल्लाए जा रहा है। 

तभी उसे एक कॉल आया उसने बिना देखे कॉल रिसिव किया
"अब क्या है,,,? बोला था ना चूहा मिल जाए तभी फोन करना" वो गुस्से में फट पड़ा।

"आवाज नीचे,,, वरना तुम्हे ऊपर पहुंचाने में देर नहीं लगेगी मुझे" इस आवाज को सुनकर इस्पेक्टर मुरीद के कान खड़े हो गए ये किराज था। 

"की,,, किराज तू,,,तुम,,वो so,,,sorry वो,,वो,,मैं,,,मैने no ठीक से देखा नही,,,,"
वो हकलाते हुए इतना ही बोल पाए
की किराज़ उसकी बात बीच में
काटकर बोला "ठीक से देखा नहीमतलब,,,? क्यों नहीं देखा,,,? अब क्या कान के साथ आंखे भी खराब हो गई?इससे पहले की अंधे हो जाओ,,,अच्छा होगा की आखों का भी जल्दी इलाज करा लो" 

"मेरी छोड़ो,,,पहले अपने मुंह का इलाज कराओ,,,जब देखो मुंह से जहर ही उगलते हो,,,मेरी सीधी बात का सीधी तरह से जवाब दिया करो,,,वरना आवाज तक निकालने के लायक नहीं रहोगे" 
मुरीद ने उसे मुंह तोड़ जवाब दिया। 

"अपनी धमकी अपने फटे जेब में रखो,,,किसी गली के कुत्ते को डराने के काम आएगा"  किराज ने उल्टा जवाब दिया।

"तुम में और उसमे कोई फर्क है क्या,,,?" मुरीद ने भी पलटवार जवाब दिया।

उसका जवाब सुनकर किराज का पारा  गर्म हो गया वो गुस्से से आगबबूला होकर "जबान इतनी लंबी मत करों,,,की मुझे खींचना पड़े,,,तुम लोगो को मैने जो काम करने के लिए कहा था
वो करने के बजाय तुम लोग बिल में छिपा चूहा पकड़ने में लगे हो,,, समय कितना हुआ है पता भी है तुम्हे,,,15मिनट में  बॉस को जवाब देना था
और अब 1 घंटे से ज्यादा हो गया है,,, अब क्या जवाब दूं,,,बोलो,,,," 

कीराज फोन पर भड़के जा रहा था और मुरीद उसकी बात सुनकर डर से कापने लगा। उसकी तरफ से जवाब न मिलने पर 
किराज ने डर और गुस्से से फोन ऑफ कर दिया।वो समझ गया कि उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई है अब वो कुछ नही बोलेगा।
आखिर दोनो अपने बॉस के गुस्से से वाकीफ थे जो इस वक्त कही और अपना कहर बरसाए बैठा था। 

मुंबई बीच 
समय 11:12 
समुंदर किनारे एक बड़ी सी शिप वैसे तो बहुत सारी शिप थी पर सब उसके मुकाबले छोटी थी और इस शिप की खासियत थी की इस का नाम भी दिया गया था। जो शिप के साथ सूट भी करता था "गन फ्लावर शिप" यही नाम था ।
क्योंकि शिप के चारो तरफ तरह तरह के रंगबिरंगे खूबसूरत  फ्लावर लगे थे।
बाहर से जितना खूबसूरत नजारा दिखता है अंदर से बिलकुल उलट

"क्या,,,? क्या कहा,,,? तुम सब बेवकूफ हो क्या,,,? एक आदमी को नही मार पाए,,," एक आदमी जो अंधेरे में एक चेयर पर बैठा फोन में बात करते हुए गुस्से से चिल्ला रहा था।
अंधेरा इतना था की पता ही नही चल रहा था कमरा है भी या नहीं,,,बस थोड़ी सी रोशनी जो खिड़की से आ रही थीं। उसमे उसकी गुस्से और नफरत से भरी लाल आखें ही दिख रही थी। 
फोन की  दूसरी तरफ से जवाब सुने बगैर उसने फ़ोन काट दिया।

"मेरे सपने के बीच कोई नहीं आ सकता,,,मुझे जो चाहिए मै वो हासिल कर के ही रहूंगा,,,अपने मुकाम को हासिल कर के ही रहूंगा,,, और जो भी मेरे रास्ते में आएगा,,, मैं उसे कुचल दूंगा,,, चाहे वो कोई भी हो,,, तुम 
भी काशना" 
उसने बेहद गुस्से और नफरत से कहां। 

और अपनी मुठिया भींच लीं,,, 

ये कौन है,,,? अभी कोई नहीं जानता,,,? हर काले धंधे में एक नाम से जानते हैं इन्हें सब बॉस,,,😎

लिवा अपार्टमेंट

काशना और कृषभ का बहस बंद होने का नाम ही नहीं ले रहा था। 
और सब काशी, कनंत, कृभिन, रिहा आखें बड़ी बड़ी कर के तमाशा देख रहे थे।
कृषि तो अभी भी जमीन
पर पड़ा हुआ था "तुम सब का  कब तक ऐसे आखें फाड़ कर तमाशा देखते रहने का इरादा है,,,आखों को इतना सुकून मिल रहा है क्या,,,,?" 
उसकी बात सुनकर सब हड़बड़ा गए और उसे घूर कर देखने लगे।

"इतने सालो में पहली बार देख रहे हैं,,, काशना को हमारे लीडर no.1 से ऊंची आवाज में बात करते हुए" कृभिन ने हैरानी से कहा।

"अरे ऊंची आवाज छोड़ो,,, डायरेक्ट फुल्ल बेज्जती कर दी आशना ने तो" काशी एक आइज विक कर बोली।

कनंत धीरे से बोला "यही सही समय है,,, यहां से अतिथि की तरह अपने अपने विश्राम कक्ष में प्रवेश करने का,,, वरना हमारे ये दोनो गुरुवर हम सब पर अपनी क्रोध की वर्षा कर देंगे"

सब उसकी बात से सहमत हो गए और धीरे धीरे दरवाजे की तरफ बढ़ने लगे। 
सब ने कृषि को देखा जो उनका रास्ता छेक कर लेटा हुआ था।

सबने उसे घूरा और धीरे से 
सब ने एक साथ कहा "हमे जाने दे,,,वरना इतना मारेंगे की जिंदगी भर ऐसे ही लेटा रहेगा" 





कहा गया वो मीडिया का आदमी,,,? कौन है ये बॉस,,,?क्या कृषि उन सब को जाने देगा,,,? क्या होगा आगे,,,?जानने के लिए बने रहिए । "तेरा लाल इश्क"❤️🥰🥰