Adakaar - 18 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 18

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अदाकारा - 18

अदाकारा 18*

       "अरे।ये क्या कर रहे हो?चलो दूर हटो।"

  उर्मिला ने सुनील को जो उसके चेहरे पर किस करने को झुका हुआ था उसे धक्का देकर दूर धकेलते हुए कहा।

  "अरे मैं तो बस किस कर रही हूँ।मुझे एक बार किस तो करने दो।"

  "नहीं।बिल्कुल नहीं।"

  "लेकिन क्यों?"

  सुनील ने परेशान स्वर में पूछा।

  "क्यों क्या?शादी से पहले नो किस और नो टच।ओके?"

  उर्मिला ने बड़ी-बड़ी आँखें दिखाते हुए कहा।

  "यह क्या बचपना है?इसमें प्रोबलेम क्या है?"

सुनील की आवाज़ में बहुत नाराज़गी थी।

 "तुम्हें अगर यह बचपना लगता हे तो लगे। लेकिन मुझे प्रोबलेम है।"

  "रमेश और मंजू को देखो।हर वीकेंड मे वे दोनों किसी ना किसी रिसॉर्ट में जाते हैं।और रमेश अपने साथ दो दिन और एक रात के लिए कम से कम दस कंडोम साथ ले जाता है।"

सुनील ने गुस्सा निकालते हुवे कहा।सुनील की इस तरह की बात सुनकर उर्मिला नाराज़ हो गईं।

"क्या तुम मेरी तुलना मंजू से कर रही हो?उस मंजू से?जो मंजू सिर्फ़ रमेश के साथ ही नहीं, बल्कि अरुण के साथ भी होटलो मे जाती है। विनोद और कार्तिक के साथ भी होटल जाती हैं समज़े?"

इतना कहते कहते उर्मिला की साँस फुल गई। गुस्से से उर्मिला का चेहरा लाल हो गया यह देखकर सुनील को भी एहसास हुआ कि उसने कुछ ज्यादा ही बोल दिया है।इसलिए उसने उर्मिला के कंधे पर हाथ रखा और कहा।

"ओह मुझे माफ़ करना उर्मी।प्लीज शांत हो जाओ।"

उर्मिला ने गहरी साँस ली।और फिर आराम से बोली।

"ठीक है सुनील।लेकिन तुजे अपने आपको थोड़ा कंट्रोल करना चाहिए।"

"ओके मैं कंट्रोल मे रहूँगा।लेकिन मैं भी क्या करूँ यार?ये दिल है कि नहीं मानता नही।"

सुनील ने मुस्कुराते हुए कहा।

"तो तुम्हें अपने दिल पर काबू रखना सीखना चाहिए।जब तक हमारी शादी नहीं हो जाती, हमें ऐसे ही लुका-छिपी ही खेलनी पड़ेगी ठीक है?"

"उर्मिला।अब बहुत हो गई लुपा छुपी।अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता मेरी जान।"

 "बस थोड़ा सा इंतज़ार करो सुनील।इस बार जब मैं छुट्टियों में घर जाऊँगी तो घर पर अपने माता-पिता से तेरे बारे में ज़रूर बात करूँगी।"

उर्मिला ने सुनील को दिलासा देते हुए कहा।

"और अगर तुम्हारे परिवार ने हमारे रिश्ते को स्वीकार नहीं किया तो क्या होगा?"

सुनील इस तरह चिंतित था जैसी चिंता आमतौर पर हर प्रेमियों को होती है।लेकिन उर्मिला ने उसे बहुत ही शांति से जवाब दिया।

"तो सुनील यह समझना कि हमारी किस्मत मे हमारा साथ इतना ही लिखा था।”

उर्मिला की बात सुनकर सुनील चौंक गया। वह लगभग चीख पड़ा।

"ओह मैडम।आपका क्या मतलब है?"

उर्मिला सुनील के सवाल का जवाब नहीं दे सकी।उसने अपना सिर नीचे झुका लिया।

"उर्मि।इस तरह सिर नीचे कर लेने से कुछ नहीं होगा।तुजे साफ शब्दों में कहना होगा कि अगर तुम्हारे परिवार ने हमारे रिश्ते को स्वीकार नहीं किया तो तुम क्या करोगी?"

उर्मिला ने गहरी साँस ली और सुनील की आँखों में देखते हुए दृढ़ता से बोली।

"मैं उन्हें अपने तरीके से समझाने की पूरी कोशिश करूँगी सुनील।और अगर वे फिरभी नहीं माने तो मैं उनसे अगेंस्ट नहीं जा पाऊँगी, तु अपने रास्ते चले जाना और मैं अपने रास्ते।"

"नहीं।नहीं।नहीं उर्मिला।प्लीज़ ऐसा मत कहो।"

सुनील की आँखों में आँसू छलक आए। उर्मिला के चेहरे पर भी उदासी छा गई थी। उसने अपनी नाज़ुक हथेली में सुनील का हाथ मज़बूती से थाम रखा था।उसकी आँखों से भी आँसुओं की धाराएँ बहने लगी थीं और उनकी बूँदें उसके सुर्ख गालों से फिसलकर ज़मीन पर गिरने लगी थीं।

   लेकिन तभी अचानक उर्मिला ज़ोर-ज़ोर से ठहाका मारकर हँसने लगी।सुनील उसे अचंभित होकर की उसे हंसता हुआ देख रहा था।उसको लगा कही ये लड़की पागल तो नहीं हो गई हमारे बीच भविष्य के अलगाव के बारे में सोचकर?उसने उर्मिला के दोनों हाथ पकड़े और उसे झंझोड़ते हुए डरी हुई आवाज़ में पूछा।

"तुजे क्या हो गया है उर्मि?होश में आओ, उर्मि।होश में आओ।"

उर्मि ने अपनी हँसी को मुश्किल से रोकते हुए कहा।

"मैं पूरी तरह से होश में ही हूँ सुनील।"

"तो फिर तु उदास थी और अचानक इस तरह ज़ोर-ज़ोर से क्यों हँसने लगी?"

"हँसने की वजह ये है कि मैंने अभी तक अपने घरवालों को हमारे बारे में बताया भी नहीं है। वे लोग हाँ कहेंगे या ना हमें इस बात का कुछ पता भी नहीं है और अभी से हम नकारात्मक सोच कर रोने धोने लग गए। ओर इसे ही कहते हैं..."

सुनील ने उर्मिला की बात पूरी की।

"शेख चिल्ली के अंडे।"

(क्या सुनील और उर्मिला का प्यार हो जाएगा?क्या उर्मिला के माता-पिता इस रिश्ते को स्वीकार करेंगे?)