Vashikarini - 3 in Hindi Thriller by Pooja Singh books and stories PDF | वाशिकारिणी - 3

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वाशिकारिणी - 3

मुझे याद है हमारे सात साल पहले ज़ब मैं औऱ इच्छा पहली बार कॉलेज गए थे , ये तब की फोटो है..काश! मैंने अपने प्यार को तभी बता देना चाहिए था.. शक्ति अभी खुद से बाते कर रहा था.... तभी कुछ गिरने की आवाज आती है जिससे उसका ध्यान बाहर हॉल की तरफ जाता जहाँ पर कम्बल लपेटे एक शख्स उसे हीं देख रहा था, अंधेरा होने की वजह से शक्ति उसे ठीक से देख नहीं पा रहा था इसलिए वो अपनी फोन की फ़्लैश लाइट उसकी तरफ करता है, जैसे लाइट की रौशनी उसके चेहरे पर पड़ती वो उसे देखकर हैरानी भरी आवाज कहता है.. " तुम जिन्दा हो रति.... " 

रति कम्बल को खुदसे दूर करके उसके पास जाकर कहती है... " हा मैं जिन्दा हूँ ,.. " शक्ति उसे अचम्भे से देखते हुए कहता है... " तो फिर तुम्हारे मरने की झूठी खबर क्यू फैली..?.. " 

रति अफ़सोस भरी आवाज में कहती है... " अगर मैं ऐसा नहीं करती तो इच्छा की मेहनत बर्बाद हो जाती.. " इच्छा का नाम सुनते हीं शक्ति उत्साहित होकर पूछता है.. " रति इच्छा कहाँ है..?.. मुझे उससे मिलना है... " रति उसे गुस्से में घूरते हुए कहती है... " इच्छा जहाँ भी है  मैं तुम्हे उसके बारे क्यू बताऊ, तुम तो उसे छोड़कर गए थे औऱ एक बार भी पूछा इच्छा ठीक है या नहीं वो कितना तड़पी तुम्हारे लिये, अगर तुम पांच साल पहले आगये होते तो इच्छा यहां होती औऱ माँ भी सुसाइड नहीं करती... सब कुछ बिखर गया शक्ति कुछ नहीं बचा अब, क्या मालूम अब इच्छा जिन्दा भी होंगी या नहीं.. " इतना कहकर रति रोने लगती है , शक्ति उसे चुप कराते हुए कहता है... " मैं सिर्फ इतना कहूंगा रति मुझे माफ़ कर दो, बस ये बता दो इच्छा कहाँ है..?... बाकि उसे लाने का काम मेरा है, अब मैं कुछ भी करूँगा बस इच्छा को वापस लाऊंगा... " रति उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे समझाती हुई कहती है... " तुम वहाँ कैसे जाओगे... " शक्ति जोर देते हुए कहता है .. " बताओ पहले इच्छा कहाँ है..?.. " रति उससे कहती है.. " तुम्हे इच्छा के बारे में सिर्फ तुम्हारी बहन प्रिया हीं बता सकती है, वो औऱ इच्छा साथ में हीं गए थे.. " 

" क्या उसे पता है इच्छा के बारे में... " 

" हा. " रति सिर्फ हा कहकर चुप हो जाती है. शक्ति उससे कहता है... " तो मुझे जाना चाहिए फिर, मैं प्रिया से पूछूंगा.. " रति हा कहकर उसके सामने से अचनाक गायब हो गई.. जिसे देखकर शक्ति हक्काबका रहा गया, उसके चेहरे पर डर से पसीने की बुँदे छलक गई, शक्ति इधर उधर देखते हुए कहता है... " ये सब क्या था, सच था या कुछ औऱ.. " तभी पीछे से आवाज आती है सच था, वही आदमी उसके सामने था जिसने रति के बारे में जानकारी शक्ति को दी थी...

 शक्ति के हाव-भाव बिल्कुल बदल चुके थे वह बिल्कुल हक्का-बक्का होकर उसे देख रहा था जिसे देखते हुए वह आदमी कहता है डरो मत मैं तुम्हें बताता हूं सच्चाई क्या है..


...... To be continued....