Vashikarini - 1 in Hindi Horror Stories by Pooja Singh books and stories PDF | वशीकारिणी - 1

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वशीकारिणी - 1

" इच्छा... तुम... नहीं नहीं तुम मेरी इच्छा नहीं हो सकती... " 

जोरो से हॅसते हुए आवाज गूंजती है.... "  सही पहचाना में तेरी इच्छा नहीं हूँ मै.. वो हूँ जो तू सोच भी नहीं सकता..... तेरी ये इच्छा अब मेरे वश में है.... ""

.... इच्छा... " ओह! ये एक सपना था पर ये अजीब सपना क्यों आया मेरी इच्छा ठीक तो है न.. मुझे उसे इस तरह छोड़कर नहीं आना चाहिए था.... में वापस इंडिया जाऊंगा मेरी इच्छा मेरा इंतजार कर रही होंगी.... " 

" शक्ति.. बेटा उठ गया तू... " शक्ति अपनी माँ के गले लगते हुए कहता है... " माँ मुझे वापस इंडिया जाना है... अब मेरा काम भी पूरा हो चुका है, और इच्छा से किया हुआ वादा वो पूरा करना है... " उसकी माँ उसे उलझन भारी आवाज में कहती है.... " वो ठीक है बेटा तू चला जा लेकिन क्या अब भी इच्छा तेरा इंतजार कर रही होंगी... तुझे इंडिया से आये सात साल हो चुके है.. जबकि तूने उससे कहा था की तू दो साल बाद वापस आएगा... " 

शक्ति अपने दिल पर हाथ रखते हुए कहता है... " माँ मुझे विश्वास है वो मेरा इंतज़ार कर रही होंगी.... " इतना कहकर वो इंडिया जाने की तैयारी करने लगा.... लेकिन उसे क्या पता था जो उसने सोचा है वैसा नहीं होगा....

अगले दिन सुबह की फ्लाइट से शक्ति कम्बोडिया से इंडिया पहुँचता है... उसे तो बस अपनी इच्छा से मिलने की ख़ुशी थी.... शक्ति इच्छा से मिलने की लिया उसके घर की तरफ बढ़ रहा था.. उसे इच्छा से मिलने की बहुत ज्यादा खुशी थी..... रास्ते में बढ़ते हुए वो खुद से बोल रहा था... " थोड़ी नाराज़ तो होंगी पक्का,, लेकिन मनाने की कोशिश करूंगा... यहां तो काफ़ी कुछ बदल चुका है... पहले जैसा कुछ नहीं है.... " तभी शक्ति किसी से पूछते हुए कहता है... " एक्सक्यूज़ मी... क्या मिसिस शुभनी जी का घर यही है नहीं... " वो आदमी शक्ति को घूरते हुए देखकर कहता है... " तुम्हे कुछ नहीं पता यहां क्या हुआ है...?.. " शक्ति थोड़ा परेशान सा होकर कहता है.... " नहीं पता... क्या हुआ है यहां..?.. " वो आदमी उदासी से कहता है... " उन्होंने सुसाइड कर लिया है... " शक्ति हड़बड़ा जाता है और चौकंकर कहता... " क्यों किया उन्होने ऐसा और उनकी बेटियां कहाँ है.. इच्छा और रति... " वो आदमी कहता है.. " इच्छा कहाँ है और उन्होंने सुसाइड क्यों किया अगर कोई जनता है तो वो रति है.. और रति तो पूरी तरह पागल सी हो गयी है... " 

शक्ति परेशान सा पूछता है... " रति कहाँ है , मुझे उससे मिलना है... " वो आदमी उसे रुकने के लिये कहकर अपने घर में जाता है और वापस आकर एक कागज का टुकडा पकड़ाकर कहता है ये उस जगह का पता है जहाँ रति है.... बस और किसी से मत पूछना तुम्हे वो हीं सब कुछ बता देगी.... " इतना कहकर वो आदमी वहां से चला जाता है और शक्ति उसके पेपर को पकड़े खुद से कहता है... " काश में पांच साल पहले आ जाता... मेरी इच्छा कहाँ होंगी.. वो ठीक होंगी न.. कही वो सपना... नहीं नहीं.. वो सिर्फ एक सपना था और कुछ नहीं में अपनी इच्छा को ढूंढ कर रहूँगा... "

......... To be continued.......