Matsya Kanya - 13 in Hindi Adventure Stories by Pooja Singh books and stories PDF | मत्स्य कन्या - 13

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मत्स्य कन्या - 13

मगरपुरुष... " 

त्रिश्का डरते हुए पीछे मुड़ती है  सामने खड़े मगरपुरुष को देखकर  काफ़ी डर चुकी थी, वो मगरपुरुष आधे इंसान जैसा था लेकिन चेहरा मगर की तरह था.. त्रिश्का घबराई सी उससे दूर जाने लगी थी, अचनाक उसका पैर शिकारी जाल में फस गया, उसके काटे त्रिश्का के पैर में गड़ चुके थे जिसकी वजह से त्रिश्का दर्द से चिल्ला उठी... एक पैर में गड़ा जाल औऱ सामने मगरपुरुष को देखकर मदद के लिये चिल्लाती है.. वो मगरपुरुष त्रिश्का पर अपने हथियार से वार करने के लिये उसकी तरफ बढ़ाता है तभी एक एक भाला आकर उसके आर पार हो गया , जिसे देखकर अपना चेहरा साइड में कर लेती है... उसके गिरते हीं त्रिश्का हल्की सी नज़रे घुमाकर देखती है , एक जलपरी जैसा शख्स उसके पास आकर उसके पैरो को जाल से बाहर निकलने लगता है... त्रिश्का उसे बस हैरानी भरी नज़रो से देख रही थी, त्रिश्का हकलाते हुए कहती है... " त.. त . तुम कौन हो औऱ मेरी मदद क्यू कर रहे हो... वो शख्श उसे देखते हुए कहता है.. " आपको बहुत जल्द सब कुछ पता चल जायेगा है... " त्रिश्का उसे देखकर सोचते हुए कहती है... " वन मिनट.. मैं तुम्हे जानती हूँ... तुम तो वही हो जो बार बार मेरे सपनो में आकर डराता है... " वो शख्स कृष्ण को देखकर सोचता है इसने मुझे कैसे पहचान लिया, वो शख्श बिना कुछ बोले त्रिश्का को किनारे लेकर छोड़कर चला गया.. त्रिश्का अपलक बस उसे हीं देख रही है ,.. तभी कोई उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे बुलाता है... " तृषा... " 

 त्रिश्का ख्याल से बाहर आते हुए कहते हैं  " सिद्धार्थ तुम आ गए इतनी जल्दी.. "  सिद्धार्थ उसे सवालिया नजर से देखते हुए कहता है " हम अपने टाइम पर ही तो आए हैं तुम इतनी हैरान क्यों हो रही हो...! " इसका सामने लगे घड़ी को देखते हुए तुम सही कह रहे हो .. सिद्धार्थ से समझाते हुए कहता है तुम काफी थक गई हो लगता है तुम्हें आराम की जरूरत है.. उसका उसे मना करते हुए आगे बढ़ती है लेकिन तभी लड़खड़ाते हुए गिरने लगती है जिसे सिद्धार्थ संभालते हुए कहता है संभलकर तृषा क्या हुआ है तुम्हें.. सिद्धार्थ की नजर त्रिश्का के पैरों पर जाती है जहां से काफी खून निकल रहा होता है.. सिद्धार्थ परेशान से होते हैं उसे कहते हैं इसका तुम्हारे पैरों पर  खून कैसे निकल रहा है, तुम्हें चोट कब लग गई.. " त्रिश्का एक गहरी सांस लेते हुए कहती है रिलैक्स सिद्धार्थ मुझे कुछ नहीं हुआ यह बस मामूली से खरोच है जो जल्दी ठीक हो जाएगी.. सिद्धार्थ बिना उसकी बात सुन उसे जाकर रेस्टिंग चेयर पर बिठाते हैं और फर्स्ट एड किट लाकर उसके पैरों पर बैंडेज लगता है और उसे डांटे हुए कहता है तुमसे संभाल के चला नहीं जाता क्या देखो कितना खून बह रहा है तुम्हारे पैरों से.. त्रिश्का मुस्कुराते हुए उसे देखते रहती है.. तभी देवांश शेट्टी किसी को लेकर उसके पास पहुंचकर कहते हैं...मिस गौतम इनसे मिलिए आज से ये आपके बॉडीगार्ड है, इनका नाम अतिक्ष है... त्रिश्का उसे देखकर हैरानी से कहती है... "  तुम.. " वह शख्स बिना देर करें उसके पास जाकर कहता है.... " मैं आपको सारी बातें बताता हूं, बस आप अभी के लिये शांत रहिये...