Matsya Kanya - 12 in Hindi Adventure Stories by Pooja Singh books and stories PDF | मत्स्य कन्या - 12

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मत्स्य कन्या - 12

तभी पीछे से आवाज आती है... ". बिल्कुल है..." 

अब आगे..........

त्रिश्का हैरानी से पीछे मुड़कर कहती है... " तुम..?.. " सामने वही ब्लैक कैपे पहने शख्स त्रिश्का को देखते हुए कहता है... " आप यहां तक आगई.." त्रिश्का भौहे चढ़ाते हुए कहती है.... " कौन हो तुम..?... क्यू परेशान कर रखा है मुझे...?... क्यू सपने में आकर मुझे परेशान करते हो....?...क्या रिश्ता है मेरा यहां से..?... " वो शख्स त्रिश्का को चुप होने का इशारा करते हुए कहता.... " इतने सारे सवाल है आपके पास.. जिसका जवाब सिर्फ मेरे पास इतना है की आप जललोक की राजकुमारी मैथिलि है... " त्रिश्का हैरानी से कहती है... " ये जललोक क्या है...?... " तभी उसका फ़ोन रिंग होता है जिसे देखते हुए कहती है... " माँ.. "त्रिश्का फ़ोन को रखती हीं, जैसी हीं सामने की तरफ देखती है वो शख्स वहाँ नहीं था, जिसे देख झिल्लाते हुए कहती है..." अब ये कहाँ चला गया...?.... कहाँ हो मिस्टर ब्लैक लोक वाले....?... " त्रिश्का उसे सब तरफ ढूंढ़ते हुए कहती है..... " बड़ा हीं अजीब है ना नाम बताया न चेहरा और उलझन में डालकर चला गया... क्या कहा था राजकुमारी मंनी.. " त्रिश्का पैर पटकते हुए वापस आकर अपनी रेस्टिंग चेयर पर बैठ जाती है.... " त्रिश्का अपनी सोच में हीं गुम हो रखी थी की जभी उसका ध्यान किसी में हटाया था..... " हेलो मिस त्रिश्का... " त्रिश्का उसकी आवाज सुनकर अपने ख्यालो है बाहर आती है और सामने खड़े इंसान को देखते हुए कहती है.... "मिस्टर शेट्टी आप...."देवांश हाथ बांधते हुए कहा है...." मिस त्रिश्का आज आप इतनी जल्दी यहां.... वैसे कोई बात नहीं आज आपको किसी से मिलवाना भी है... " त्रिश्का अपनी भौहे सीमेटे हुए कहती है... " किससे मिलवाना है...?.." देवांश मुस्कुराते हुए कहता है.... " आपके बॉडीगार्ड से.... " त्रिश्का चौकते हुए पुछती है... " बॉडीगार्ड... क्यू...?... " देवांश अपनी परेशानी बताते हुए कहता है.... " कल आप बहुत मुश्किल से बची थी... वो तो अच्छा हुआ उस स्टरेंजर का जो आपको बचा लिया वरना क्या पता हम आपको खो देते... " त्रिश्का देवांश की पेशानी समझते हुए कहती है.... " आपकी बात ठीक है लेकिन इन सबका भी एक रीज़न है.. " देवांश  त्रिश्का की बातों को बीचमे हीं रोकते हुए कहता है.... " रीज़न छोड़िये.. जिसने आपकी जान बचायी थी वही आपके बॉडीगार्ड है.... " 

त्रिश्का हैरानी से पूछते हुए कहती... " जिसने कल मुझे बचाया था.. ब्लैक कैपे पहने...?... " 

देवांश अपनी सहमति जताते हुए कहता है.... " बिल्कुल... "  त्रिश्का उसके जवाब को सुनते हुए सोचती है.... " क्या सच में वही होगा या कोई झूठ बोलकर यहां आना चाहता है...?.. " अब ये तो उससे मिलने के बाद हीं पता चलेगा... " 

" ठीक है फिर मिस्टर शेट्टी बताइए कौन है वो..?.. " 

देवांश अपनी घड़ी को देखते हुए कहता है... " अभी सात हीं बजे है वो नो बजे तक आ जायेगा... " 

देवांश की बात सुनकर त्रिश्का हां बोलकर वहाँ से जाकर विजिटर के एंटरन्स पर टिकट स्टाम्प करने लगती है....धीरे धीरे एक घंटा बीत चूका था, त्रिश्का पानी में जाने के लिये बैचने होने लगी थी... उसकी जान जल में बसती है... स्टाम्प पूरा करके त्रिश्का समुन्दर में जा चुकी थी... समुन्दर की लेहरो ने उसे सुकून पहुंचा दिया... धीरे धीरे वो गहराई में जा चुकी थी, लेकिन अनजाने में वो गलत जगह पहुंच गई... जिसे देखते हुए एक बड़ा कछुआ हड़बड़ा कर कहता है.... " राजकुमारी जी... आप यहां से चली जाइये.. यहां खतरा है... " उसके बोलने से त्रिश्का का ध्यान उसकी तरफ जाता जिसे वो हैरानी से देखती हुई कहती है... " तुम बोल सकते हो...?... " वो कछुआ घबराकर इधर उधर देखते हुई कहता है... "आपको सब पता चल जायेगा लेकिन अभी आप यहां से चली जाइये... यहां बहुत बड़ा खतरा है...." त्रिश्का नासमझी भरी आवाज में कहती है... " कैसा खतरा...?.. अब जबतक मुझे सब कुछ नहीं पता चलता मैं कही नहीं जाउंगी.... " वो कछुआ त्रिश्का की बात से और ज्यादा बैचैन हो गया....

तभी त्रिश्का की कमर पर किसी नुकिली चीज ने दस्तक दी, जिसे देखकर वो कछुआ कहता है.... " मगरपुरुष... "


........ To be continued.....