Matsya Kanya - 7 in Hindi Adventure Stories by Pooja Singh books and stories PDF | मत्स्य कन्या - 7

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मत्स्य कन्या - 7

आगे की बात अ‌शवीश्वर महाराज अपने आप से कहते हैं..." उस कन्या का जन्म किसी खास उद्देश्य से हुआ है, ये उसके उद्देश्य को अवरोध कर रही है प्रभु जाने आगे इनका क्या होगा.....?..."

अब आगे...............

मालविका जी अशवीश्वर महाराज से कहती हैं....." महाराज जी आगे बताईए मैं कैसे उसे उसके सपनों से दूर करू....?.."

अशवीश्वर महाराज उन्हें एक बाजूबंद देते हुए कहते हैं ..." ये कोई साधारण बाजूबंद नहीं है इसके मोती अभिमंत्रित है जो विशेषकर समुद्री रेत को अभिमंत्रित करके बनाया गया है

इससे कोई भी जल जीव आपकी बेटी के पास नहीं आएगा लेकिन...

अशवीश्वर महाराज की पूरी बात सुने बिना मालविका जी उस बाजूबंद को लेकर हाथ जोड़कर कहती हैं...." आपका धन्यवाद महाराज जी मैं इसे त्रिशू को जरूर पहना दूंगी..."

इतना कहकर मालविका वहां से चली जाती हैं और अशवीश्वर महाराज अपने अधूरे सवाल को पूरा करते हुए कहते हैं....." ये स्त्री अत्यधिक स्वार्थी है, अपनी बेटी को नुकसान पहुंचा देगी...आधी अधूरी जानकारी लेकर गई है.....अब तो भगवान ही उसकी रक्षा करें...."

उधर त्रिशिका और बाकी सब रेसिंग ट्रैक पहुंचते हैं... सिद्धार्थ ने पहले ही त्रिश्का और अपना नाम रजिस्टर करवा दिया था.....

सिद्धार्थ त्रिश्का के पास जाकर कहता है...." त्रिशा तुम्हारे लिए मैंने पहले ही बाइक बुक कर दी ...."

त्रिश्का सिद्धार्थ को देखकर कहती हैं...." हारने के रेडी हो जाओ...."

सिद्धार्थ अपने आप से कहता है...." तुम्हारे चेहरे की मुस्कान के लिए तो तुमसे हारने का मजा ही अलग है ...." पायल उसके सामने आकर उसकी नजरों का पीछा करते हुए कहती हैं...." ओए जमीन पर आ जा इतनी ऊपर बाइक लेकर जाएगा तो पेट्रोल खत्म हो जाएगा फिर रहना हमेशा के लिए हवा महल में....." सिद्धार्थ उसके इस मजाक से उससे कहता है....." हवा महल किसका बनेगा देखती जा , सिद्धार्थ इतनी जल्दी हारने वालों में से नहीं है...."

पायल कमर पर हाथ रखते हुए कहती हैं...." देखते है...."

थोड़ी देर में सब रेडी होकर रेसिंग ट्रैक पर अपनी अपनी बाइक के साथ पहुंचते हैं.......

पायल चीयर अप करते हुए कहती हैं....." आॅल द बेस्ट बेस्टी तुझे ही जीतना है इस बार भी...."

रौनक उसे चिढ़ाते हुए कहता है....." जितेंगे तो हम तूफान ही तुम्हें यूंही चूटकी बजाकर हरा देंगे...."

पायल से खिझाते हुआ कहती हैं...." चूप कर बड़बोले...देख वाटर रेंजर ही जीतेगी....."

रेसिंग स्टार्ट होती है सभी पूरे जोश के साथ अपनी बाइक्स की स्पीड बढ़ाते हैं.... लेकिन सबको पीछे करती हुई त्रिश्का आगे निकल रही थी,, जिसे देखकर पायल खुब उछल उछल कर चीयर अप कर रही थी.... सिद्धार्थ अपनी पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन त्रिश्का के आगे किसी की भी बस की बात नहीं थी वो आगे आ सके ..... धीरे धीरे त्रिश्का फिनिशिंग लाइन तक पहुंचने वाली ही थी कि अचानक उसके कानों में आवाज गूंजती है...."बचाओ ... कोई हमें बचाओ..."

अचानक त्रिश्का का बेलेंस बिगड़ने लगता है जिसे न संभाल पाने के कारण त्रिश्का की बाइक स्लिप हो जाती है... अचानक इस तरह बाइक के स्लिप होने से वहां पर शोर मच जाता है.... सिद्धार्थ तुंरत अपनी बाइक को साइड में करके त्रिश्का के पास पहुंचता है....

सिद्धार्थ काफी घबरा जाता है उसके चेहरे पर हल्के से थपकाते हुए कहता है......." त्रिशा उठो ..." सिद्धार्थ उसे गोद में उठाकर अंदर चेंजिंग रूम में ले जाकर लेटाता है......

पायल उसके पास आती है और उसे देखते हुए कहती हैं...." सिद्धार्थ इसे हाॅस्पिटल ले चलो...."

सिद्धार्थ हां में सिर हिलाता है लेकिन रौनक तभी कहता है..." सिद्धार्थ इसे ज्यादा चोट नहीं आई है देखो बिल्कुल ठीक लग रही है...."

सिद्धार्थ हैरानी से उसे देखता हुआ कहता है...." तूने बिल्कुल सही कहा लेकिन इतनी जोर से गिरने पर सिर्फ (हाथ को देखते हुए कहता है)हल्की सी खरोंच आई है..."

पायल पानी की बोतल देती हुई कहती हैं...." इस पर पानी की छिटे मार क्या पता होश आ जाए ...."

सिद्धार्थ वैसा ही करता है जिससे त्रिश्का की पलके हिलने लगती है.....

पायल एक्साइटेड होकर कहती हैं...." सिद्धार्थ इसे होश आ रहा है...."

त्रिश्का होश में आकर अचानक उठकर बैठती हुई चारों तरफ देखती हुई कहती हैं..." कौन है...?...."

सिद्धार्थ उसके अचानक ऐसे बोलने से सवालिया नज़रों से उसे देखते हुए कहता है...." कौन त्रिशा...?..."

पायल जल्दी से उसके गले लगते हुए कहती हैं....." बेस्टी तूने कितना डरा दिया था हमें ....हम यही सोच रहे आंटी से क्या कहेंगे इतनी मुश्किल से मना कर लाए हैं और अचानक ऐसा हो गया......"

त्रिश्का उसे रिलेक्स करते हुए कहती हैं...." मैं ठीक हूं पागल मुझे कुछ नहीं हुआ..."

सिद्धार्थ उसे अलग करता हुआ कहता है ...." वो ठीक है उसे सांस लेने दे ..." सिद्धार्थ पायल को गले लगते देख बस यही सोच रहा था कि त्रिश्का होश में आते ही उसके गले लग जाएगी लेकिन उसकी ये इच्छा अधूरी रह गई....

पायल उसके अचानक गिरने के बारे में पूछती है....." त्रिशा तू अचानक अनब्लैंस कैसे हो गई...?..."

त्रिश्का अपने आप से कहती हैं....." अचानक ये क्या हुआ था जैसे कोई बचाओ बचाओ चिल्ला रहा था लेकिन अचानक..."

पायल उससे दोबारा पूछती...." त्रिश्का बता क्या हुआ....?... कहां खो गई....?..."

त्रिश्का : पता नहीं पायल अचानक मेरे आसपास किसीके बचाओ की आवाज गूंजने लगी थी इसलिए मैं अनबैलेंस हो गई...."

रौनक उसकी बात को मजाक में लेते हुए कहता है...." क्या त्रिश्का यहां सब चीयर करते हैं कोई बचाओ बचाओ क्यूं कहेंगे....?..."

त्रिश्का गुस्से में कहती हैं...." मैं झूठ बोल रही हूं...." इतना कहकर वहां से चली जाती हैं उसके गुस्से में जाने से सिद्धार्थ और पायल उसे घूरते हुए उसके पीछे चले जाते हैं...

पायल : त्रिशा रुक तुझे पता तो है रौनक कितना पागल है...."

सिद्धार्थ भी उसकी हां में हां मिलाते हुए कहता है...." बिल्कुल त्रिशा...." उसके जाकर कहता है..." त्रिशा हमें पता करना होगा आखिर ऐसा क्यूं हुआ है..?.."

पायल : शायद तुझे हराने के लिए किसी ने इस तरह की प्लानिंग तो नहीं की....

सिद्धार्थ जोश कहता है...." मैं उसे छोडूंगा नहीं जिसने ऐसा प्लान किया है..."

त्रिश्का : थैंक्स सिड .....

सिद्धार्थ : थैंक्स की जरूरत नहीं है (आगे की बात अपने आप से कहता है)..बस एक बार तुम प्यार से मुझे गले लगा लो ,, तुम्हारी इस प्यार के लिए तो मैं कुछ भी करूंगा..."

पायल उसके ख्यालों में दखलअंदाजी करती हुई कहती हैं..." अगर तेरी ख्याली पुलाव बन चुके हैं तो जरा हमें खिला देना..."

सिद्धार्थ मुंह बनाते हुए कहता है...." चल भुक्कड़ कहीं की.... वैसे त्रिशा लंच के लिए चलते हैं इस भुक्कड़ को भी साथ लेकर..."

पायल उसे गुस्से में घूर रही थी जिसे देखकर त्रिश्का हंस जाती है.... तभी उसका फोन रिंग होता है....

त्रिश्का काॅल रिसीव करती है..." हेलो..."

दूसरी तरफ से एक घबराई हुई आवाज आती है..." हेलो मिस गौतम जल्दी से बिच के पास पहुंचिए इमरजेंसी है...."

................to be continued...........