sisakati Wafa-ek adhuri Mohabbat ki mukmmal Dastan - 16 in Hindi Love Stories by Babul haq ansari books and stories PDF | सिसकती वफ़ा: एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्तान - 16

Featured Books
  • LOVE UNLOCKED - 9

    Love Unlocked :9Pritha :পরিবর্তন! শব্দটা পাঁচ অক্ষরের হলেও জ...

  • ঝরাপাতা - 16

    ঝরাপাতাপর্ব - ১৬দোকানে অনেকক্ষণ শাড়ি নিয়ে নাড়াচাড়া করে শ...

  • তুমি পারবে - 3

    অধ্যায় - ৩                          ব্যর্থতা মানেই শেষ নয়শ...

  • অচেনা আলো - 1

    পর্ব – ১ : প্রথম দেখাকলেজে নতুন সেমিস্টারের প্রথম দিন। চারপা...

  • Mission Indiana - 4

    পর্ব - 4********Invitation***********গাড়ির ভগ্নস্তূপটা পড়ে আ...

Categories
Share

सिसकती वफ़ा: एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्तान - 16

उपसंहार (Epilogue)


रचना: बाबुल हक़ अंसारी


सालों बीत चुके थे…

वक़्त की परतें कई कहानियों को ढँक चुकी थीं, लेकिन कुछ किस्से ऐसे होते हैं जो धूल में दबते नहीं, बल्कि और चमकते जाते हैं। आर्यन और उसकी मोहब्बत की दास्तान अब किताबों, काग़ज़ों और धड़कनों से निकलकर लोगों के जेहन का हिस्सा बन चुकी थी।


उस रोज़ जब शहर के बीचोबीच बने चौराहे पर आर्यन की याद में स्मारक का उद्घाटन हुआ, तो सैकड़ों लोग उमड़ आए। किसी की आँखें भीगी थीं, कोई अपने बच्चों को उसकी कहानी सुनाते हुए गर्व महसूस कर रहा था। संगमरमर पर उकेरी गई पंक्तियाँ दिल को चीर जाती थीं—

"मोहब्बत अगर सच्ची हो, तो मौत भी हार जाती है।"


वहाँ खड़ी आयशा ने अपनी हथेली स्मारक पर रखी और धीमे से फुसफुसाई—

“देखो आर्यन… तुम्हारी दास्तान अब सिर्फ़ मेरी नहीं, सबकी हो चुकी है।”


वक़्त ने उसके चेहरे पर रेखाएँ ज़रूर डाल दी थीं, लेकिन उसकी आँखों में वही चमक थी, जो आर्यन के इश्क़ को ज़िंदा रखे हुए थी। उसने अपने जीवन को मोहब्बत और संगीत की सेवा में समर्पित कर दिया। उसकी लिखी हुई किताबें, उसके गाए हुए नग़मे, हर एक सुर जैसे आर्यन की साँसों से जुड़ा हुआ लगता था।


कभी–कभी जब आयशा किसी महफ़िल में गाती, तो लोग चुपचाप सुनते और महसूस करते कि उन सुरों में कोई अनसुनी रूह शामिल है। जैसे आर्यन अब भी वहीं बैठा हो, सर हिलाता हुआ, मुस्कुराता हुआ।


दास्तान इतनी मशहूर हो चुकी थी कि नए कलाकार, लेखक और शायर अपने हुनर को इसी कहानी से प्रेरणा लेकर गढ़ने लगे। कॉलेज की दीवारों पर लिखी कविताएँ, नुक्कड़ नाटकों की पटकथाएँ और मंच पर गाए जाने वाले गीत—सबके पीछे वही एक नाम था: आर्यन।


समय ने भले ही कई और दास्तानें लिखीं, लेकिन “सिसकती वफ़ा” की खामोश पुकार कभी कम न हुई। यह दास्तान एक आईना बन चुकी थी—जो हर उस दिल को दिखाती थी जिसने मोहब्बत में कुछ खोया, कुछ पाया और कुछ सीखा।


आयशा ने आख़िरी बार अपने डायरी में लिखा—

"ज़िंदगी ने बहुत छीना, मगर तुम्हारी याद ने बहुत कुछ दिया। शायद यही हमारी मुकम्मल मोहब्बत है—कि अधूरी होकर भी पूरी लगती है।"


उसकी कलम रुकी, लेकिन दास्तान नहीं।


क्योंकि कहानियाँ कभी मरती नहीं,

वे आने वाली पीढ़ियों के दिलों में नई शक्ल लेकर जन्म लेती हैं।


आज जब कोई नौजवान लड़की अपनी डायरी में पहला इश्क़ लिखती है, या कोई लड़का अपने पहले गीत में तड़प भरता है, तो कहीं न कहीं इस अधूरी मोहब्बत की गूँज उनके शब्दों में सुनाई देती है।


और यही इस उपन्यास की सच्ची जीत है।

और यूँ, सिसकती वफ़ा सच और मोहब्बत का वो गीत बन गई,

जिसकी गूंज आने वाली सदियों तक सुनाई देती रहेगी।



---

********* इति — उपन्यास समाप्त ********




---


                 लेखक का संदेश.   

                 बाबुल हक़ अंसारी

प्रिय पाठकों

 

“सिसकती वफ़ा – एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल दास्तान” को लिखते हुए मैंने महसूस किया कि इंसान अपने हिस्से की मोहब्बत से कभी खाली नहीं रहता। किसी के हिस्से में मिलन आता है, तो किसी के हिस्से में जुदाई। मगर जो यादें दिल में बस जाती हैं, वे ही हमें जीना सिखाती हैं।


यह कहानी खत्म नहीं होती, बल्कि एक नए सफ़र की शुरुआत करती है—आपके दिल में, आपकी यादों में।


क्योंकि मोहब्बत, अपनी

हर शक्ल में,

हमेशा ज़िंदा रहती है।



यह उपन्यास लिखना मेरे लिए भी एक सफ़र रहा। इसमें दर्द भी था, मोहब्बत भी, और उम्मीद भी।

कहानी के किरदार भले ही काल्पनिक हों, मगर उनके जज़्बात हमारे अपने जैसे ही हैं।

अगर इस दास्तान ने आपके दिल को छुआ, आपकी आँखों को नम किया या आपकी यादों को जगा दिया —

तो मेरी मेहनत सार्थक हुई।


आपका साथ और हौसला ही मेरी कलम को आगे बढ़ने की ताक़त देता है।

मैं चाहता हूँ कि आप अपनी राय, सुझाव और एहसास ज़रूर साझा करें।

याद रखिए — हर कहानी दरअसल हम सबकी कहानी होती है।


प्यार और दुआओं के साथ,

-– बाबुल हक़ अंसारी ---