dharkano ke phar in Hindi Love Stories by kajal Thakur books and stories PDF | धड़कनों के पार

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धड़कनों के पार

पहला हिस्सा

आरव और अन्वी की मुलाक़ात किसी किताबों की दुकान पर नहीं, किसी कॉलेज कैंपस में भी नहीं हुई।उनकी पहली मुलाक़ात हुई — रेलवे स्टेशन पर, एक अनोखे ढंग से।

बारिश हो रही थी, आसमान काला बादल ओढ़े बैठा था। प्लेटफॉर्म पर भीड़ थी, लोग छतरियाँ तानकर भाग रहे थे। अन्वी अपने हाथ में एक पुरानी डायरी कसकर पकड़े थी — वही डायरी जिसमें उसके सारे राज़, सपने और डर लिखे थे।भागते-भागते वह फिसली और डायरी उसके हाथ से छूट गई।

डायरी किसी के पैरों से टकराकर ठहर गई।और वहीं पहली बार उसने आरव को देखा।

आरव ने डायरी उठाई, लेकिन पन्ने हवा से उलट-पलट होकर खुलने लगे। अन्वी ने घबराकर कहा,“कृपया… इसे मत पढ़िए।”

आरव ने मुस्कुराकर डायरी उसकी ओर बढ़ा दी,“मैं किसी के राज़ जानने से पहले, उसकी आँखों की सच्चाई देखना पसंद करता हूँ।”

उस एक वाक्य ने अन्वी को झकझोर दिया।क्योंकि यह वही लाइन थी, जो उसने अपनी डायरी के पहले पन्ने पर लिखी थी — लेकिन किसी को बताई नहीं थी।

दोनों चुप रहे। लेकिन उस चुप्पी में जैसे धड़कनों का संवाद हो रहा था।

दूसरा हिस्सा

ट्रेन छूट चुकी थी। भीड़ कम हो चुकी थी। मगर अन्वी अब भी वहीं खड़ी थी, और आरव भी।कभी कोई अजनबी हमारी ज़िंदगी में इस तरह दाख़िल होता है, जैसे वह पहले से हमें जानता हो।

आरव ने कहा,“अगर तुम्हें मंज़ूर हो… तो मैं तुम्हारे साथ अगली ट्रेन का इंतज़ार कर सकता हूँ।”

अन्वी ने पहली बार किसी अनजान पर भरोसा किया।शायद इसलिए क्योंकि उसकी आँखों में सवाल नहीं थे, बस सुकून था।

बरसते पानी में दोनों प्लेटफॉर्म की एक बेंच पर बैठ गए।चुप्पी फिर लौट आई, लेकिन अब यह चुप्पी बोझिल नहीं थी — यह किसी अनकहे रिश्ते की शुरुआत थी।

तीसरा हिस्सा

दिन बीतते गए।मुलाक़ातें अनजाने में, और फिर जानबूझकर होने लगीं।अन्वी की डायरी अब कभी खोई नहीं, लेकिन उसकी कुछ खाली पन्नों पर अब आरव की बातें लिखी जाने लगीं।

आरव कहता,“तुम्हारी आँखों में अधूरी कहानियाँ हैं।”अन्वी मुस्कुराती,“और तुम्हारी मौजूदगी उनमें पूरा सच लिख देती है।”

वे दोनों जानते थे कि उनकी कहानी किसी साधारण फिल्मी लव स्टोरी जैसी नहीं है।यह शुरुआत थी… धड़कनों के पार के रिश्ते की।

 – पार्ट 2

प्लेटफॉर्म वाली मुलाक़ात के बाद, आरव और अन्वी की बातें अक्सर होने लगीं।कभी स्टेशन पर अचानक टकरा जाते, कभी कैफ़े में, और कभी सिर्फ़ फोन पर।

अन्वी के लिए ये नया था। उसने कभी किसी पर इतना भरोसा नहीं किया था।उसकी डायरी उसके दिल का ताला थी, जिसे अब तक कोई नहीं खोल पाया था।लेकिन हैरानी की बात यह थी कि…आरव उसकी लिखी बातें बिना पढ़े ही समझ लेता था।

एक बार अन्वी ने पूछा,“तुम्हें कैसे पता चलता है कि मैं क्या सोच रही हूँ?”

आरव ने हँसते हुए कहा,“शायद… तुम्हारी खामोशी सबसे ज़्यादा बोलती है।”

उस पल अन्वी को पहली बार महसूस हुआ कि यह रिश्ता सिर्फ़ इत्तेफ़ाक़ नहीं है।यह कोई गहरी डोर है, जो शायद पिछले जन्म से बंधी हुई है।सस्पेंस का इशारा

एक शाम, अन्वी ने अपनी डायरी का एक पन्ना आरव को पढ़ने दिया।उसमें लिखा था —

"कभी-कभी मुझे लगता है कि मैं किसी का इंतज़ार कर रही हूँ…किसी ऐसे का, जिसे मैंने पहले कहीं देखा हो।पर याद नहीं आता कहाँ…"

आरव वह पन्ना पढ़कर चुप हो गया।उसकी आँखों में जैसे एक अनजानी पहचान की चमक थी।

अन्वी ने गौर किया कि उसके होंठ काँप रहे थे।वह पूछ पाती, इससे पहले ही आरव ने डायरी बंद कर दी और बोला —“कुछ इंतज़ार अधूरे ही रह जाने चाहिए… तभी वे हमेशा दिल में जिंदा रहते हैं।”

लेकिन अन्वी जानती थी, उसकी आँखें कुछ और कह रही थीं।

👉 अब अगला पार्ट (पार्ट 3) में मैं पिछले जन्म के रहस्य और धीरे-धीरे पनपते प्यार क