Soulmate - 3 in Hindi Drama by Kapil Kumar books and stories PDF | सोलमेट - पार्ट 3

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सोलमेट - पार्ट 3

पंखुड़ी परेशान तो नवीन को करना चाहती थी, पर उसके चक्कर में खुद बहुत बड़ी मुस्किल में फाश गई थी। इतनी रात को इस सुनसान से होटल पर जहां सिर्फ लड़के ही लड़के थे, उसके साथ कुछ भी हो सकता था।यही सब सोचकर उसका डर के मारे बहुत बुरा हाल हो रखा था, और ऐसे में किसी ने, पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखा। तो वो डर के मारे सूखे पत्ते ही तरफ कांपने लगी थी। फिर उसने हिम्मत करके फॉरन टेबल पर रखे चाकू को हाथ में उठा लिया, और गुस्से से एक दम उस शख्स पर चाकू से बिना देखे ही हमला कर दिया।
इससे पहले की वो चाकू उसे लगता, वो पंखुड़ी का हाथ पकड़ लेता हैं और उससे चाकू छीनकर टेबल पर वापिस रख देता हैं। पंखुड़ी ने अपनी आंखे बंद की हुई थी, पर जब वो उसका हाथ पकड़ता है और उससे चाकू छीनता है तो पंखुड़ी डरते डरते अपनी आंखे खोलती हैं और दोनो एक दूसरे की आखों में देखने लगते है। रूम में एक दम से खामोशी पसार जाती है।
वो शख्स कोई और नहीं नवीन था, जो उसके लिए गर्मा गर्म चाय लेकर आया था। 
जब पंखुड़ी देखती हैं की वो नवीन हैं, तो वो फॉरन ही उसे  गले से लगा लेती हैं। उसे उस वक्त नवीन के वहां होने की इतनी खुशी थी, की वो ये भी भूल गई थी, की वो उसने ही कुछ घंटे पहले उसे वाशरूम में बंद किया था।
वही दूरी तरफ जिस तरह से पंखुड़ी ने उसे गले लगाया था। वो उससे बहुत अचंभित था। आज से पहले उसे किसी भी लड़की में गले नही लगाया था, इसीलिए उसका चेहरा शर्म से लाल हो जाता हैं। वो भी पंखुड़ी को गले लगना चाहता था पर उसे इतनी ज्यादा शर्म आ रही थी की वो पंखुड़ी के सिर पर हाथ फेरते हुऐ।  उसे खुद से दूर कर देता हैं और उसकी आखों में देखकर कहता हैं, की अब सब ठीक हैं मैं हूं न यहां।  तुम्हे डरने की कोई जरूरत नहीं हैं।
पंखुड़ी को भी अब अपनी इस हरकत पर बहुत शर्म आ रही थी। वो उससे नजरे भी नही मिला पा रही थी, वो हिचकते हुऐ उससे कहती हैं, सॉरी तुम्हे ऐसे गले लगने के लिए, पर मैं उस वक्त बहुत डर गई थी। और मैने तुम्हे  गले लगा लिया।
वो भी अपनी नजरे चूरते हुऐ, कहता हैं कोई बात नहीं। और एक बार फिर से वेटिंग रूम में सन्नाटा पसर जाता हैं।
तभी नवीन उसे कुर्सी पर बैठाने को कहता हैं और उसे चाय पीने को बोलता हैं। और खुद भी उसके पास बैठकर चाय पीने लगता हैं।
तभी वो कुछ सोचकर बहुत जोर से हसने लगता हैं, उसकी हसी पंखुड़ी की समझ से बाहर थी। पंखुड़ी को लगता है की वो उस पर हस रहा हैं। यही सोचकर उसे नवीन पर बहुत गुस्सा आता हैं। 
वो उस पर झल्लाते हुऐ, कहती हैं। तुम्हे इस वक्त भी हसी आ रही हैं, और अगर आ भी रही है तो किस बात पर,,, मुझे भी बताओ, मैं भी हसू ?
पहले तो वो उसकी बात को टालने की कोशिश करता हैं, पर वो जितना भी बात को टालने की कोशिश करता हैं उतना ही पंखुड़ी को गुस्सा आता हैं।
वो झल्लाते हुऐ कहती हैं, अब बताओ भी किस बात पर हस रहे हो, मुझे जानना हैं ?
तभी वो कहता हैं, तुम मुझसे पीछा छुड़ाना चाहती थी। मुझे पता हैं तुम ने ही मुझे वाशरूम में बंद किया था, है ना?
और अब देखो हम दोनो ही यहां हैं और अब हम यहां से तीन दिनों तक कही जा भी नही सकते।
ये बात सुनते ही, पंखुड़ी हक्का बक्का रह जाती हैं और फॉरन उससे पूछती हैं तीन दिन क्यो? 
हम तो कल सुबह ही बस से यहां से निकल जायेगा।
तभी नवीन उसे हस्ते हुऐ बताता हैं, यहां से एक बस सप्ताह में सिर्फ दो बार ही गुजरती हैं और अब अगली बस तीन दिन बाद ही मिलेगी।
पंखुड़ी को उसकी बात पर यकीन नही होता, वो सोचती है की ये उसे परेशान करने के लिए ऐसी बात बोल रहा हैं।
तभी नवीन पंखुड़ी को टीस करते हुऐ, कहता है की मैने कही पड़ा था की जब आप किसी के लिए गड्ढा खोदते हो तो सबसे पहले आप ही उसमे गिरते हो। मैने आज ये देख भी लिया।
उसकी ये बात सुनकर पंखुड़ी को बहुत गुस्सा आता हैं, पर वो अपने गुस्से को अपने ही अंदर रखती हैं, और वहां से चुप चाप उठकर सोफे पर लेट जाती हैं।
और नवीन वेटिंग रूम से बाहर निकल कर होटल मालिक से बात करने लगता है। उससे जानने की कोशिश करता हैं की क्या वो यहां से किसी और तरफ से जा सकता हैं।
तब होटल मालिक बताता हैं की अब तो आप यहां से तीन दिन बाद ही जा सकते हो। वो उसे बताता है यहां से पचास किलोमीटर तक कोई भी गांव और शहर नही हैं।  और आप जहां से आए थे वो गांव भी यहां से बीस किलोमीटर दूर हैं। और चारो तरफ जंगल ही जंगल हैं, और जंगली जानवर अक्सर पैदल लोगो पर हमला कर देते हैं। तो ऐसे में आप लोगो का यहां से जाना बहुत खतरनाक होगा।
आप चाहे तो आज की रात वेटिंग रूम में रुक जाओ, कल आपके लिए किसी गाड़ी का इंतजाम कर दूंगा।
और अगर आपको कुछ खाना हो तो आप अभी बता दो, क्योंकि मैं और मेरा सारा स्टाफ फिर घर जा रहा हैं।
नवीन को भूख नही थी, पर फिर वो पंखुड़ी के बारे में सोचकर, कुछ पानी की बोतल और बहुत सारा खाने का सामान ले लेता हैं। साथ ही साथ अपनी और पंखुड़ी की जानकारी उसके टीचर को फोन से बताने को कहता हैं। और होटल मालिक उससे कहता है की वो उन्हे गांव पहुंच कर कॉल करके बता देगा।
कुछ ही देर में होटल मालिक होटल बंद करके वेटिंग रूम की चाबी नवीन को देकर वहां से चला जाता हैं।
और नवीन वेटिंग रूम में आकर रूम को अंदर से अच्छी तरह लॉक कर लेता हैं। और वो फर्श पर कपड़े बिछाकर सोने की कोशिश करता हैं।
पर उसे नींद नहीं आ रही थी, वही पंखुड़ी बहुत आराम से सो गई थी। अभी रात के बारह ही बजे होगे की हल्की हल्की ठंडी हवाएं चलना शुरू हो जाती हैं।
पंखुड़ी इन ठंडी हवाओ से कांपने लगती हैं, उसको इस तरह से देखकर नवीन से रहा नही जाता और वो उसे चादर उड़ने लगता हैं, तभी वो पंखुड़ी के चहरे को देखता है। 
वो सोते हुऐ किस पारी से कम नही लग रही थी, नवीन भी उससे अपनी नजरे नही हटा पा रहा था। उसे समझ नही आ रहा था की उसे ये क्या हो रहा हैं, कही वो उसे पसंद तो नही करने लगा था।
तभी वो एक दम से चादर से उसके चेहरे को भी ढक देता है और उससे दूर हट जाता हैं और वापसी अपनी जगह पर लेट जाता हैं।
अभी उसे लेटे हुऐ घंटा भर भी नही हुआ था। और उसकी आंख अभी बस लगी ही थी की तेज बिजली की कड़कड़ाहट के साथ बारिश शुरू हो जाती है।
बिजली की कड़कड़ाहट इतनी ज्यादा तेज थी की पंखुड़ी एक दम से उठकर बैठ जाती हैं, और नवीन की भी आंख खुल जाती हैं।
बारिश की वजह से लाइट भी चली गई थी, और अब जंगली जानवरो की आवाजे भी साफ साफ सुनाई देने लगी थी। पूरे माहौल में एक खोफ सा पसार गया था।
पंखुड़ी इतनी ज्यादा डरी हुई थी, की वो भगा कर नवीन के बिस्तर में आ जाती हैं। 
और नवीन को कसकर पकड़ लेती हैं। पर उस वक्त नवीन भी बहुत डरा हुआ था। वो भी आज से पहले कभी भी ऐसी जगह पर नही रुका था।
पर वो अपना डर पंखुड़ी को नही दिखा सकता था। वो दोनो सारी रात वैसे ही बैठे रहे जब तक की बारिश नही रुक गई।
और उसके बाद दोनो की कब आंख लगी दोनो को पता ही नही लगा, और जब अगली सुबह होटल मालिक वेटिंग रूम का दरवाजा खुलता है तो दोनो को एक साथ एक ही बिस्तर पर सोया पता है उसके बाद दोनो के साथ क्या क्या हुआ, जानने के लिए अगला भाग जरूर पढ़े।
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