ये कहानी शुरू होती है, आज से 17 साल पहले..
जब वो दोनो पहली एक दूसरे से प्ले सेंटर में मिले थे। उस वक्त उसकी उम्र कोई 3-4 साल रही होगी।
पर पहले ही दोनों जब वो ठीक से बोल भी नहीं पाते थे, तब उन्होंने एक दूसरे से लड़ना शुरू कर दिया था।
और आज वो एक दूसरे से जितना प्यार करते है, उतना शुरू से नही करते थे। वो दोनो तो बचपन से ही एक दूसरे के जानी दुश्मन थे।
पर पता नहीं कैसे ये दुश्मनी इतने गहरे प्यार में बदल गई।
जब वो छोटे थे, तो वो एक दूसरे को परेशान करने का एक भी मौका नहीं छोड़ते थे।
नवीन तो उसे परेशान करने के लिए कभी उसकी सीट पर च्यूइंगम लगा देता, तो कभी फैविक्विक ।
तो वहीं पंखुड़ी भी कुछ कम नही थी। वो भी उसे परेशान करने के लिए रोज नई नई तरकीब बनती थी। जिससे वो उसे परेशान कर सके।
समय के साथ साथ जहां बच्चे बड़े हो रहे थे, तो वहीं ये दोनों बच्चे बनते जा रहे थे।
और दोनो की ये नॉक झोंक कम होने के जगह बड़ती ही चली जा रही थी।
और रोज रोज शिकायते घर पर आने से दोनों के ही पैरेंट्स इस चीज के आदी हो चुके थे। और एक दूसरे से दोस्त बन चुके थे।
समय बीतता और दोनो कॉलेज में आ गए, जहां नवीन की मुलाकात पीहू से हुई, तो वही पंखुड़ी की मुलाकात अभय से।
पर अब भी जब कॉलेज या क्लास में दोनो का आमना सामना होता तो दोनो अपनी पुरानी हरकतों पर उतर आते और एक दूसरे को परेशान करने का एक भी मौका नही छोड़ते।
और जब दोनो एक दूसरे से झगड़ा करते, तो उन दोनो की नजरो में गुस्सा कम एक अजीब सी एक दूसरे के लिए काशिश साफ नजर आती । ये काशिश दोनो के ही दोस्तो को उनकी नजरो में साफ साफ नजर आती हैं।
कई बार तो ऐसा होता, की अगर दोनो में से कोई एक भी कॉलेज नही आता तो दूसरा शख्स अपने आप ही कुछ देर बाद घर चला जाता कोई न कोई बहाना बना कर। दोनो ने एक दूसरे के साथ इतना ज्यादा वक्त बिताया था की , अब दोनो को एक दूसरे की आदत हो गई थी।
और उन दोनो का प्यार लोगो को साफ साफ नजर आने लगा था, लेकिन ये दोनो ही इस बात से अनजान थे।
वही जब अभय और पीहू इन दोनो को साथ में लड़ते झगड़ते देखते, तो दोनो को ही बहुत जलन होती।
इसीलिए, अभय और पीहू दोनो ने एक दूसरे से अकेले में मिलकर इस प्रोब्लम को सॉल्व करने का सोचा।
दोनो ने तय किया की वो दोनो उन दोनो के बहुत करीब जायेगे, और जो बॉय फ्रेंड गर्ल फ्रेंड के बीच में रिश्ता होता है उसको कायम करेगे।
क्योंकि एक बार दोनो ने बीच में वैसा रिश्ता कायम हो जाता तो फिर नवीन और पंखुडी, दोनो का एक होना नामुमकिन था।
क्योंकि, पंखुड़ी तो एक बार नवीन को इस बात के लिए माफ भी कर देती पर अगर नवीन को पता लगता की अभय और पंखुड़ी एक साथ सोए थे, तो शायद वो ये बात कभी एक्सेप्ट नही कर पायेगा।
क्योंकि फिर उसके आगे मेल इगो सामने आ जाता, जो उसे उस लड़की से प्यार करने की इजाजत नहीं देता, जिसने किसी और के साथ वैसे पल बिताए हो।
इसीलिए, अभय और पीहू, दोनो ने इन दोनो को हमेशा के लिए दूर करने के लिए, एक प्लेन बनाया जिसमे वो दोनो इन दोनो के साथ एक रात बितायेगे और उन हसीन पलों की फोटो एक दूसरे को दिखाएंगे।
जिससे की इन दोनो के बीच में जो झगड़े वाला प्यार हैं वो हमेशा हमेशा के लिए खत्म हो जाए।पर ये सोचना जितना आसान था करना उतना ही मुस्किल, एक बार नवीन तो ये सब कर भी लेता पर पंखुड़ी का ये सब करना बहुत बहुत मुश्किल था।
पर अभी ये दोनो सोच ही रहे थे की कैसे ये दोनो उन दोनो के साथ वक्त बीता सकते हैं, क्योंकि यहां तो एक साथ वक्त बिताना सम्भव ही नहीं था।
क्योंकि पुरे शहर में दोनो की फैमिली को जानने वाले बहुत से लोग थे, और अगर वो किसी होटल में जाते या किसी के घर जाते , तो वो आसानी से पकड़े जाते। और फिर जो होता वो उसकी सोच के भी परे था।
ऐसे में दोनो को एक मोका उस समय मिला जब कॉलेज में इंटरस्टेट कैंपिटिशन शुरू हुऐ।
हर बार की ही तरह इस बार भी नवीन और पंखुड़ी ने उन कंपीटीशन में भाग लिया।
पर इस बार अभय और पीहू ने भी उसके साथ हिस्सा ले लिया। सिर्फ इसलिए जिससे वो दोनो उनके साथ वक्त बिता सके, और हुआ भी कुछ ऐसा ही।
जैसे जैसे कंपीटीशन की डेट आ रही थी, दोनो अपनी तैयारियो में व्यस्त थे, वही ये दोनो अपनी प्लैनिंग में।
और वो दिन भी आ गया, जब उन्हे कंपीटीशन के लिए जाना था।
सुबह सुबह ही सब अपने बैग्स के साथ कालेज आ जाते हैं। बस का सफर था, और टूर पूरे दस दिन का था। जिसने दो दिन ऐसे भी थे, जब इनका कोई मैच नही था। और सब के सब फ्री थे। यही वो दिन थे, जब उसने अपने प्लेन को पूरा करना था।
बस से निकले हुए सुबह से शाम होने को आई थी, पर अब भी रास्ता तीन से चार घंटे का और बचा हुआ था। की तभी बस एक बढ़िया से हाइवे पर पड़ने वाले रेस्टोरेंट पर रुकती हैं और सब उतार जाते हैं।
सभी को बहुत भूख लगने लगी थी। पर वही नवीन बस में ही सो गया था, और उसकी गर्ल फ्रेंड बाकी स्टूडेंट्स के साथ रेस्टोरेंट में खाना खाने चली जाती हैं।
कुछ देर बाद नवीन की भी आंख खुल जाती हैं तो वो देखता हैं की बस एक जगह रुक चुकी हैं और सभी बस से उतर कर बाहर जा चुके हैं।
नवीन भी फ्रेश होने के लिए बस से बाहर आता हैं और वाशरूम की तरफ चला जाता हैं।
उसे वाशरूम जाते हुऐ, पंखुड़ी देख लेती हैं और उसे परेशान करने के लिए, वाशरूम के दरवाजे को बाहर से बंद कर देती हैं।
और बस में आकर बैठ जाती हैं, तभी उसे याद आता है की वो अपना पर्स काउंटर पर भूल आई हैं, तो वो बस से उतरकर जैसे ही पर्स लेने जाती हैं, तभी उसकी बस चलने लगती हैं, पर अभी तक न तो पंखुड़ी आई थी और न ही नवीन, ये देखकर जब अभय और पीहू बस को रुकबाने की कोशिश करते हैं और, सर को दोनो के अभी तक न आने के बारे में बताते है।
पर सर यह कहकर उसकी बात को टाल देते है की वो दोनो दूसरी बस में आ जायेगे, तुम दोनो फिक्र मत करो।
और बस को रबाना कर देते हैं। वही दूसरी बस उनसे पांच मिनिट पहले ही निकल चुकी भी।
वही जब अभय और पीहू दोनो ही उन दोनो को कॉल लगने की कोशिश करते है तो, मोबाइल में सिग्नल न हों के कारण वो उन्हे कॉल भी नही कर पाते।
वही दूसरी तरफ, नवीन अब भी वॉशरूम में बंद था। और उसका भी फोन नही लगा रहा था, वो तो शुक्र है की जब वो वाशरूम से अंदर से आवाज दे रहा था,तो उसको आवाज एक लड़का सुन लेता हैं और गेट खोल देता हैं।
और जैसे ही वो गेट खोलता हैं, नवीन उसे थैंक्स यू बोल कर बस को तरफ भागता हैं पर बस पहले ही जा चुकी थी।
वही दूसरी तरफ पंखुड़ी भी, बस के उसे छोड़ के जाने से बहुत डरी हुए और सहमी हुई थी।
वो ये भी भूल गई थी, की उसने नवीन को वाशरूम में बंद किया हैं।
उसे अब अकेले में बहुत डर लग रहा होता है, रेस्टोरेंट में सिर्फ कुछ लड़के ही थे, और एक भी लड़की नही थी, और ऊपर से रात का वक्त, ये सोच सोचकर उसके रोगटे खड़े हो रहे थे।
इसलिए वो हिम्मत करके वेटिंग रूम में जा कर बैठ जाती हैं, जहां चारो तरफ एक दम सन्नाटा पसरा हुआ था, और बहुत धीमा सी रोशनी हो रही थी।
जो उसके डर को और भी बड़ा रही थी, की तभी उसके कंधे पर कोई पीछे से हाथ रखता हैं, जिससे वो बहुत डर जाती है और सूखे पत्ते की तरह कांपने लगी हैं, तो कौन था वो शख्स जिसने उसे छुआ था ये जानने के लिए मिलते हैं अगले भाग में।