Das Mahavidhya Sadhna - 6 in Hindi Motivational Stories by Darkness books and stories PDF | दस महाविद्या साधना - 6

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दस महाविद्या साधना - 6

और भगवान विष्णु हरिद्रा सरोवर तट के निकट पहुंच कर देवी माता की घोर तपस्या की और विष्णु भगवान की तपस्या से देवी समक्ष प्रकट हुई श्री विष्णु भगवान की तपस्या से बगलामुखी प्रकट हुई और देवी बगलामुखी हरिंद्रा सरोवर में जलक्रीड़ा करती। महापीताबरा के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ और इस तेज से ब्रह्मांडीय तुफान थम गया।

देवी बगलामुखी की प्रतिमा।

देवी बगलामुखी की प्रतिमा का रंग सुनहरा है।

वह पीले कमलों से भरे अमृत के सागर के बीच 

एक सुनहरे सिंहासन पर विराजमान हैं।

देवी बगलामुखी माता के मस्तक पर अर्धचंद्र शोभायमान है। 

और देवी बगलामुखी माता को पीले रंग के वस्त्र चित्रित किए गए हैं और बगलामुखी देवी मां की दो भुजाएं दर्शाईं गई है और देवी बगलामुखी के एक हाथ में गदा है जिससे वह एक राक्षस को पीटती हुई दर्शाईं गई है।

अपने एक हाथ से उस राक्षस की जीभ बाहर निकालती है।

इस छवि की व्याख्या स्तम्भ की प्रदेशनी के रूप में की जाती है।

जो दुश्मन को स्तब्ध करने यां चुप कराने की शक्ति है।  यह वरदानों में से एक है जिसके लिए भक्त 

देवी बगलामुखी की साधना करते हैं।

देवी बगलामुखी साधना।

अपने शत्रुओं को परास्त करने और सभी प्रकार के मुकदम मे जीत हासिल करने और सभी प्रकार की प्रतियोगिता में सफलता के लिए की जाती है।


देवी बगलामुखी का मुल मंत्र।

(ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नमः)


श्री मंतागी देवी 


मंतागी देवी मां दस महाविद्याओं में से नौवी माता कहलाती है देवी सरस्वती की तरह वह वाणी संगीत ज्ञान और कला को नियंत्रित करती है।

इन मंतागी देवी मां को सरस्वती  तंत्रिक भी कहा जाता है।

हालांकि देवी मंतागी देवी माता की तुलना देवी सरस्वती से की जाती है। लेकिन उसे अक्सर प्रदुषण और अशुद्धता से जोड़ गया है।

जिसका अर्थ है हाथों और मुंह से बचा हुआ भोजन। और उच्छिष्ट मंतागिनी के नाम से जाना जाता है।

मंतागी देवी मां का आशीर्वाद लेने के लिए उन्हें बचा हुआ भोजन अंशिक रूप से खाया हुआ भोजन उच्छिष्ट दिया जाता है।

मान्यता के अनुसार कहते हैं कि चंडाल महिलाओं ने देवी पार्वती माता की पूजा आराधना करके उन्हें अपनी जुठन (खाया हुआ भोग )दिया तब देवतागण और शिवगण नाराज हो गए और देवी पार्वती माता ने उन चिंगारियों की भक्ति देखकर मंतागी देवी माता का रूप धारण करके उन्हें उस भोजन को स्विकार किया।तभी से यह मंतागी देवी मां कहलाई ‌

मंतागी देवी माता इंद्रजाल और जादू के प्रभाव को नष्ट करती है।

इस देवी मां को बचन तंत्र और कला की देवी माना जाता है।

और मंतागी देवी को जुठन का का भोग अर्पित किया जाता है।

और मंतागी देवी माता यह शिव शक्ति असुरों को 

मोहित करने वाली और साधकों को अभीष्ट फल देने वाली है देवी मंतागी और अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए मंतागी देवी मां की पूजा अर्चना करते हैं।

कहते हैं कि देवी मंतागी हनुमान जी और  शबरी माता के गुरू मंतग ऋषि की पुत्री थी।

मंतग ऋषि के यहां माता दुर्गा देवी के आशिर्वाद से जिस कन्या का जन्म हुआ वे देवी मंतागी देवी मां थी। और मंतागी देवी भारत के आदिवासियों की देवी मां है। और देवी मंतागी की प्रतिमा देवी मंतागी को हरे रंग के रूप में दर्शाया गया है।

देवी मंतागी माता की चार भुजाएं हैं 

क्रमशः ✍️