Bundo me Chhupa Pyaar - 2 in Hindi Love Stories by Rekha Rani books and stories PDF | बूंदों में छुपा प्यार - 2

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बूंदों में छुपा प्यार - 2

🏙️ Scene 1: वही पुरानी सड़क, नई उम्मीद

बारिश फिर से उसी शाम को आई थी। जान्हवी ने सोचा, क्या वो फिर मिलेगा?  
वो उसी बुकस्टोर के सामने खड़ी थी, जहाँ पहली बार विराज से टकराई थी।

तभी एक आवाज़ आई —  
> “इस बार तुमने किताब नहीं गिराई… लेकिन मेरा दिल फिर से गिर गया।”

जान्हवी मुस्कराई। विराज वही था — कैमरा लटकाए, आँखों में वही चमक।

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☕ Scene 2: कॉफी की गर्मी और दिल की ठंडक

दोनों पास की एक छोटी सी कैफ़े में बैठते हैं।  
जान्हवी कहती है, “तुम बारिश में तस्वीरें क्यों लेते हो?”

विराज जवाब देता है:  
> “क्योंकि बारिश में लोग सच्चे हो जाते हैं। नकाब भीग जाते हैं।”

जान्हवी चुप हो जाती है। उसकी आँखों में कुछ था — जैसे कोई पुराना ज़ख्म फिर से भीग गया हो।

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🎨 Scene 3: अधूरी स्केच

जान्हवी विराज को अपनी स्केचबुक दिखाती है।  
एक अधूरी तस्वीर — एक महिला की आँखें, लेकिन चेहरा अधूरा।

> “ये मेरी माँ हैं,” वो कहती है।  
> “मैं कभी उनका चेहरा पूरा नहीं कर पाई… क्योंकि मुझे याद नहीं कि वो मुस्कराती थीं या नहीं।”

विराज तस्वीर को देखता है — और कहता है:  
> “शायद हम मिलकर इसे पूरा कर सकते हैं।”

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🌌 Scene 4: पहली छुअन

वो दोनों एक दीवार पर स्केच बनाते हैं — जान्हवी रंग भरती है, विराज तस्वीरें लेता है।

बारिश फिर शुरू हो जाती है। जान्हवी कांपती है — विराज उसका हाथ पकड़ता है।

> “मैं यहाँ हूँ… जब तक तुम्हारा डर भीग कर बह न जाए।”

जान्हवी पहली बार उसकी आँखों में देखती है — और मुस्कराती है।

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🕰️ Scene 5: एक पुरानी डायरी

जान्हवी विराज को अपने घर बुलाती है — पहली बार।  
वो उसे एक पुरानी डायरी देती है, जो उसकी माँ की थी।

> “मैंने इसे कभी पूरा नहीं पढ़ा… डर लगता था कि कहीं वो मुझसे नाराज़ न हों।”

विराज धीरे-धीरे पन्ने पलटता है — और एक पन्ने पर रुक जाता है।  
वहाँ लिखा था:  
> “जान्हवी को मैं कभी समझ नहीं पाई… शायद मैं खुद को भी नहीं समझती थी।”

जान्हवी की आँखें भर आती हैं — वो कहती है:  
> “उस दिन कुछ टूट गया था… जब उन्होंने मुझे अकेला छोड़ दिया।”

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🌧️ Scene 6: बारिश और बिखराव

विराज उसे बाहर ले जाता है — उसी दीवार के पास जहाँ उन्होंने स्केच बनाई थी।  
बारिश फिर शुरू हो जाती है।

जान्हवी दीवार को देखती है — और कहती है:  
> “मैंने इस दीवार पर अपनी माँ को ढूंढा… लेकिन शायद मैं खुद को ही खो बैठी।”

विराज चुप है — फिर कहता है:  
> “तुम खुद को खो नहीं सकती… क्योंकि तुमने मुझे पा लिया है।”

जान्हवी उसकी तरफ देखती है — पहली बार उसकी आँखों में डर नहीं, भरोसा है।

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📷 Scene 7: एक तस्वीर जो सबकुछ बदल देती है

विराज उसे एक तस्वीर दिखाता है — एक छोटी बच्ची, बारिश में भीगती हुई, अपनी माँ की उंगली थामे।

> “ये तुम हो… और ये तुम्हारी माँ। मैंने ये तस्वीर एक पुरानी एग्ज़िबिशन में देखी थी।”

जान्हवी तस्वीर को देखती है — और फूट-फूट कर रो पड़ती है।

> “वो मुझे प्यार करती थीं… बस कह नहीं पाईं।”

विराज उसे गले लगाता है — और कहता है:  
> “अब तुम कह सकती हो… और मैं सुनने के लिए हमेशा यहीं हूँ।”

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💔 अंत की झलक

- एक तस्वीर ने जान्हवी को उसकी माँ से फिर मिलवा दिया  
- विराज ने पहली बार किसी को टूटते हुए देखा… और उसे थाम लिया  
- और बारिश ने फिर एक रिश्ता जोड़ दिया — इस बार बिना किसी डर के

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Writer:Rekha Rani