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🧱 भाग 1: दीवार की कहानी
जान्हवी हर रोज़ उस पुरानी दीवार के पास जाती थी — जहाँ विराज ने कभी उसके लिए एक स्केच बनाया था।
वो दीवार अब रंगों से नहीं, यादों से भरी थी।
> “हर तस्वीर में एक अधूरी बात थी… और हर रंग में एक छुपा हुआ एहसास।”
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🖌️ भाग 2: विराज की वापसी
एक दिन विराज लौटा — चुपचाप, बिना किसी शोर के।
उसने देखा कि जान्हवी ने दीवार पर एक नई तस्वीर बनाई थी —
एक लड़की, अकेली, बारिश में भीगती हुई… लेकिन मुस्कुराती हुई।
नीचे लिखा था:
> “अब मैं भीगती नहीं… मैं बहती हूँ।”
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📖 भाग 3: अधूरी डायरी
जान्हवी ने विराज को एक डायरी दी — जिसमें हर पन्ने पर एक स्केच था।
> “तुमने जो नहीं कहा, मैंने उसे रंगों में लिखा।”
विराज ने वो डायरी पढ़ी — और पहली बार, उसकी आँखें नम हुईं।
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🌙 भाग 4: रात का वादा
उस रात, दोनों दीवार के सामने बैठे — चुपचाप।
विराज ने कहा:
> “मैंने तुम्हें खोया नहीं था… मैं खुद को ढूँढ रहा था।”
जान्हवी ने जवाब दिया:
> “अब जब तुम मिल गए हो… तो चलो फिर से खुद को खो दें।”
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🔚 भाग 5: एक नई शुरुआत की दस्तक
एपिसोड खत्म होता है उस दीवार पर एक नई स्केच के साथ —
दो लोग, एक ही ब्रश से एक ही तस्वीर बना रहे हैं।
और नीचे लिखा है:
> “अब हमारी कहानी दीवारों पर नहीं… दिलों में रहेगी।”
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बहुत खूब! अब हम “बूंदों में छुपा प्यार” की कहानी को उसके सबसे भावनात्मक मोड़ पर ले जाते हैं —
जहाँ जान्हवी और विराज एक नई शुरुआत की ओर बढ़ते हैं, लेकिन इस बार सिर्फ बारिश नहीं, हर मौसम में साथ निभाने का वादा करते हैं।
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🌧️ भाग 6: अधूरी शाम की शुरुआत
बारिश फिर से शुरू हो चुकी थी। वही पुरानी स्टेशन की दीवार, वही भीगी हवा, लेकिन इस बार जान्हवी अकेली नहीं थी — विराज उसके पास था, लेकिन उनके बीच एक चुप्पी थी जो सब कुछ कह रही थी।
जान्हवी ने दीवार की तरफ देखा — वहाँ उसकी बनाई स्केच अब धुंधली हो चुकी थी।
> “वक़्त ने रंगों को धो दिया… लेकिन एहसास अब भी बाकी है।”
विराज ने उसकी तरफ देखा —
> “मैंने तुम्हें खोया नहीं था… मैं खुद को ढूँढ रहा था।”
जान्हवी ने जवाब नहीं दिया। उसने बस अपनी स्केचबुक खोली और एक नया पन्ना निकाला।
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✉️ भाग 7: वो खत जो कभी भेजा नहीं गया
जान्हवी ने विराज को एक खत दिया —
> “मैंने ये तब लिखा था जब तुम नहीं थे… लेकिन अब तुम हो, तो इसे पढ़ना ज़रूरी है।”
खत में लिखा था:
> *“अगर तुम लौटो, तो मैं तुम्हें फिर से जानना चाहूँगी — बिना पुराने सवालों के, बिना अधूरी शिकायतों के।
> मैं तुम्हें फिर से देखना चाहूँगी — उस नज़र से जो अब डरती नहीं।”*
विराज ने खत पढ़ा — और उसकी आँखें नम हो गईं।
> “क्या हम फिर से शुरू कर सकते हैं?”
> “नहीं,” जान्हवी ने कहा, “हम फिर से जी सकते हैं।”
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🎨 भाग 8: दीवार पर नया वादा
दोनों स्टेशन की दीवार के सामने खड़े थे — जान्हवी ने ब्रश उठाया और एक नई स्केच बनाई।
इस बार कोई लड़की अकेली नहीं थी — एक लड़का उसके साथ था, और दोनों खुले आसमान के नीचे खड़े थे।
नीचे लिखा:
> “अब हमें छतरी की ज़रूरत नहीं… क्योंकि हम हर मौसम में साथ हैं।”
विराज ने तस्वीर ली — लेकिन इस बार उसने उसे पोस्ट नहीं किया।
उसने कहा:
> “ये तस्वीर सिर्फ तुम्हारे लिए है… क्योंकि अब मेरी कला तुम्हारे साथ साँस लेती है।”
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☕ भाग 9: कैफ़े की बातचीत
“किरदार” कैफ़े में दोनों फिर बैठे — वही टेबल, वही कॉफ़ी, लेकिन अब चुप्पी नहीं थी।
जान्हवी ने कहा:
> “अब जब तुम लौट आए हो… तो क्या फिर से खो जाने का डर है?”
विराज ने जवाब दिया:
> “नहीं… अब अगर खोया भी, तो तुम्हारे अंदर ही रहूँगा।”
रीमा वहाँ आई — और मुस्कराकर बोली:
> “तुम दोनों अब किरदार नहीं… कहानी बन चुके हो।”
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🖋️ भाग 10: जान्हवी की डायरी
रात को जान्हवी ने अपनी डायरी खोली — और एक नया पन्ना लिखा:
> *“आज मैंने एक वादा फिर से लिखा —
> कि मैं तुम्हारे साथ रहूँगी, जब तुम बोलोगे… और जब तुम चुप रहोगे।
> जब तुम मुस्कराओगे… और जब तुम टूटोगे।
> क्योंकि अब मैं तुम्हें सिर्फ प्यार नहीं करती… मैं तुम्हें समझती भी हूँ।”*
विराज ने वो डायरी पढ़ी — और उसमें एक पंक्ति जोड़ दी:
> “और मैं तुम्हें सिर्फ देखता नहीं… मैं तुम्हें महसूस करता हूँ।”
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🌌 भाग 11: समापन की रात
स्टेशन की दीवार पर अब तीन स्केच थीं —
- पहली: अकेली लड़की
- दूसरी: बारिश में भीगते दो लोग
- तीसरी: एक सूरज, जो दोनों के पीछे उग रहा था
जान्हवी ने कहा:
> “अब मेरी कला सिर्फ मेरी नहीं रही… ये हमारी है।”
विराज ने जवाब दिया:
> “और मेरी तस्वीरें अब सिर्फ दृश्य नहीं… वादा हैं।”
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💫 भाग 12: एक नई सुबह
अगली सुबह, बारिश थम चुकी थी — लेकिन दीवार अब भी भीगी थी।
जान्हवी ने एक आखिरी स्केच बनाई —
एक दिल, जिसमें बूंदें गिर रही थीं… और बीच में लिखा था:
> “बूंदों में छुपा प्यार — अब खुलकर बरसता है।”
विराज ने तस्वीर ली — और पहली बार, उसने उसे सबके साथ साझा किया।
> “अब ये कहानी सिर्फ हमारी नहीं… हर उस दिल की है जो कभी भीग चुका है।”
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✨ writer: Rekha Rani