Adakaar - 5 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 5

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अदाकारा - 5

                              अदाकारा  5*

…..इस तरह बेहराम और उर्मिला के बीच भाई-बहन का पवित्र रिश्ता शुरू हुआ था......

    बेहराम एक वकील था।और अंधेरी की ड्रिस्टिक अदालत में प्रैक्टिस करता था। 

वो रहता था पारसी पंचायत रोड पर ओर उसका दफ़्तर मरोल मार्केट के पास था।आज उन्हें दफ़्तर पहुँचने में देर हो गई थी।

एक मुवक्किल उनसे मिलने वाला आने था।

बेहराम ने उसे सुबह साढ़े दस बजे का मिलने का समय दिया था।लेकिन घर से निकलते ही साढ़े दस बज गए।और उनका दफ़्तर सड़क मार्ग से उनके घर से आधे घंटे की दूरी पर था। वे अपनी स्कूटी तेज़ी से चलाते हुवे जा रहा था।

आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि बेहराम ने किसी को समय दिया हो और वह देर से पहुँचा हो।लेकिन आज पहली बार उसे चिंता हो रही थी कि दफ़्तर पहुँचने में उसे देर हो ही जाएगी।

लेकिन फिर भी वे अपने मुवक्किल को कम से कम इंतज़ार करवाने की कोशिश कर रहा था।

और इसीलिए वो स्कूटी तेज़ चलाते हुवे जा रहा था।

लेकिन आज उनकी बदकिस्मती उनसे दो कदम आगे थी।चकाला के पास अचानक उसकी स्कूटी के सामने एक पिल्ला आ गया और बेहरामने उस पिल्ले को बचाने की कोशिश में स्कूटी का हैंडल तेज़ी से घुमाया।

और उसका संतुलन बिगड़ गया।स्कूटी एक तरफ़ जा गिरी गई और वह दूसरी तरफ़।और जैसे कि कहावत है ना, 

बिन पैसे का तमाशा। 

बेहराम के आसपास लोगों की भीड़ जमा हो गई।

और उर्मिला भी उस भीड़ में शामिल थी।

उर्मिला बीमानगर में रहती थी।और वह चकाला सब्ज़ी खरीदने आई थी।तो वह भी इस भीड़ में शामिल थी।

ओर अक्सर भीड़ में मदद करने वालों से ज़्यादा सलाह देने वाले अधिक होते हैं।

किसी की आवाज़ आई।

"देखके गाडी चलाना चाहिये ना।"

दूसरी आवाज़

"ये नगर पालिका वालो को कुत्तों का कुछ करना चाहिये।"

तीसरी आवाज़।

"बेचारे की सुभा,सुभा,हड्डी पसली एक हो गई।"

लेकिन उर्मिला तुरंत पानी की बोतल लेकर बेहराम की ओर दौड़ी।बेहराम के बगल में बैठकर,उसने पहले बेहराम को पानी पिलाया।

और फिर पूछा।

"भाई,तुम ठीक तो हो?तुम्हें ज़्यादा लगा तो नहीं?"

"नहीं बहन में ठीक हु"

बेहरामने कहा और वह खड़ा तो हो गया। लेकिन चूँकि उसका दाहिना घुटना दर्द कर रहा था,इसलिए वह ठीक से खड़ा नहीं हो पा रहा था।

"चलो,तुम्हें कहाँ जाना है?मैं तुम्हें छोड़ देती हूं।"

उर्मिलाने कहा।

तो बेहरामने कृतज्ञतापूर्वक कहा।

"नहीं.नहीं.बहन।मैं चला जाऊंगा। आप परेशान मत हो।"

"तुम भी बहुत अच्छी बात कर रहे हो भाई। तुम मुझे बहन भी कहते हो और यह भी कहते हो कि परेशान मत होना।अब प्लीज़ कुछ मत कहना।"

यह कहकर उर्मिलाने दो-चार लड़कों की मदद से स्कूटी उठवाई।

और वो आगे बैठ गई।और बेहराम को पीछे बिठाकर उसे छोड़ने मरोल बहराम की ऑफिस तक चली गई।

    और तब से बेहरामने उर्मिला को अपनी बहन बना लिया।और उर्मिलाने बेहराम को अपना भाई।

    इस तरह,पिछले दो सालों से उर्मिला बेहराम को राखी बाँधती आ रही थी। 

यूं भी उर्मिला की सिर्फ़ एक जुड़वाँ ही बहन थी।उसका एक भी भाई नहीं था। इस तरह, बेहराम के रूप में,के उसके भाई की कमी पूरी हो गई थी........

   उर्मिला को बेहराम को राखी बाँधे पंद्रह मिनट हो चुके थे।सुनील अभी तक बाथरूम से बाहर नहीं आया था।बेहराम को अब सुनील की जैसे कमी महसूस होने लगी थी ।

"मेरी जीजा क्यों दिख नहीं रहे हैं?"

"अरे,बड़ी दीदी भी उसे राखी बाँधेगी आयेंगी ना। इसलिए वह बाथरूम में फ्रेश होने गये है। वह अभी आजाएंगे।चलो तब तक नाश्ता हम कर लेते हैं?"

उर्मिलाने कहा।

"अरे नहीं,बहना।जीजू को आजाने दो। नाश्ता कहाँ भागा जा रहा हे?"

  बेहराम ने अपनी बात पूरी ही की थी कि सुनील तौलिए से अपना सिर पोंछते हुए बाथरूम से बाहर आया।

"ये देखो! मेरे जीजा की उम्र पूरे सो साल की खोदाईजी करने वाले हैं। ज्योंहि उनका नाम लिया त्योंहि वो सामने हाज़िर हो गया ।"

बेहराम को देखकर सुनील भी बहुत खुश हुआ।

"ओह। बेहराम भाई,आप?यह मेरा सौभाग्य है कि आपने आज सुबह सुबह हमें दर्शन दिए।"

"वो तो मैं आपका मेरे वहां आने का धक्का दे कम करने आ ग़या हूँ।"

"इसके लिए धन्यवाद।"

  यह कहकर सुनील नाश्ते की मेज़ पर बैठ गया। मेज़ पर रखे फाफड़े और जलेबियों को देखते हुए उसने कहा।

"आप अपनी बहन की पसंद की जलेबी बराबर याद करके लाते हो।कभी-कभी हमारी पसंदीदा चीज़ भी लाया करो।"

"आपकी पसंदीदा चीज़ घरमे में नही ला सकता उसके लिए हमको बाहर बारमे जाना पड़ेगा।"

बेहराम की बातें सुनकर सब हँस पड़े।

(क्या बृजेशने शर्मिला को गिरफ़्तार किया था या सिर्फ़ चेतावनी देकर जाने दिया था।क्या हुआ होगा?)