Adhuri Aawaje - 2 in Hindi Anything by Aadi jain books and stories PDF | अधूरी आवाज़ें - 2

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अधूरी आवाज़ें - 2

कॉलेज के Hidden Voice Open Mic वाले दिन, माहौल बेहद खास था।शिवम पहली बार मंजीत को अपनी असली आवाज़ में गाते देखने वाला था। स्टेज के पीछे खड़े मंजीत के चेहरे पर पसीना था, लेकिन उसकी आंखों में कुछ बदल चुका था — डर अब आत्मविश्वास में बदल रहा था।शिवम ने उसका कंधा पकड़ कर कहा,"याद रख, तू सिर्फ गा नहीं रहा, तू खुद को साबित कर रहा है।"स्टेज पर नाम पुकारा गया —

"Next: Manjeet Singh."

मंजीत ने माइक थामा। सामने बैठी भीड़ शोरगुल में डूबी थी, लेकिन जैसे ही उसने गाना शुरू किया — सब कुछ थम गया।कोई लिप-सिंक नहीं, कोई झिझक नहीं।बस एक लड़का... और उसकी अधूरी आवाज़, जो अब पूरी हो रही थी।उसने ऐसा गाया कि कुछ सेकंड के लिए वक्त भी रुक गया।गाने के आख़िरी सुर के साथ जब मंजीत की आंखों में आंसू आ गए, तो लोगों की तालियाँ गूंज उठीं।क्लास के लड़के, प्रोफेसर्स, और यहां तक कि वो जूनियर्स भी खड़े होकर ताली बजा रहे थे जो मंजीत को बस "मजाकिया लड़का" समझते थे।स्टेज से नीचे उतरते ही शिवम दौड़कर उसके गले लग गया।"आज तूने खुद को नहीं, मुझे भी आज़ाद कर दिया," शिवम ने कहा।---इवेंट के बाद, रात को जब दोनों साथ लौट रहे थे, शिवम का फ़ोन बजा।स्क्रीन पर नाम चमक रहा था — Yashika।एक अजीब सन्नाटा फैल गया।मंजीत ने देखा —"वो है?"शिवम ने धीरे से सिर हिलाया — हाँ में।कुछ सेकंड तक देखा... और फिर कॉल उठा ली।

"Hello?""Hi Shivam…"

याशिका की आवाज़ नर्म थी,

शायद कुछ थकी हुई भी।

"कैसे हो?"

"ठीक हूँ। तुझे कैसे याद आ गया?"

शिवम ने सीधे पूछा।"बस… इंस्टा पर तुम्हारे कॉलेज का पेज देखा। मंजीत का वीडियो दिखा, जिसमें उसने तुम्हारा नाम लिया। फिर तुम्हें देखा — बदले हुए।"कुछ देर चुप्पी रही।याशिका ने फिर कहा,"शिवम, मैं मानती हूँ कि उस वक्त मैं गलत थी। पर क्या हम…"शिवम ने बीच में ही कहा,"याशिका, उस वक्त मैं खुद को नहीं जानता था। इसलिए तुझे भी समझ नहीं पाया।अब मैं अकेला नहीं हूँ — और खुद से भी दोस्ती कर चुका हूँ।"याशिका चुप हो गई।उसने कहा,"मैं सिर्फ माफ़ी चाहती हूँ।""माफ कर चुका हूँ," शिवम ने मुस्कुरा कर कहा और कॉल काट दी।---अगले दिन कॉलेज में माहौल हल्का था।क्लास में सब एक-दूसरे से फेस्ट की बात कर रहे थे।शिवम और मंजीत अपनी जगह बैठे हँस रहे थे।तभी दरवाज़ा खुला —टीचर बोले,"Today we have a new admission. Please welcome..."दरवाज़े से याशिका अंदर आई।पूरी क्लास चौंक गई।पर शिवम शांत रहा।याशिका ने उसकी तरफ देखा, एक छोटी सी मुस्कान दी।शिवम ने मुस्कराकर सिर झुकाया —अब कोई गुस्सा नहीं, कोई उम्मीद नहीं… बस एक पुरानी कहानी का ठहरा हुआ पन्ना पलट गया था।---छुट्टी के बाद, कॉलेज की सीढ़ियों पर बैठकर मंजीत बोला:"तो? अब क्या सोचा? फिर से कुछ शुरू करोगे?"शिवम ने दूर आसमान की तरफ देखा, फिर बोला —"नहीं... अब मैं कुछ शुरू नहीं कर रहा। अब मैं बस जारी रख रहा हूँ — खुद के लिए।"मंजीत मुस्कराया।"और मैं... अब गाने से नहीं डरूंगा। चाहे घरवालों को अच्छा लगे या न लगे। अब मेरी आवाज़ सिर्फ मेरी है।"दोनों दोस्त उठे, एक-दूसरे को देखा।शिवम बोला —"चल, अब ज़िंदगी की अगली परफॉर्मेंस के लिए तैयारी करते हैं।"---अंत---संदेश:कभी-कभी ज़िंदगी की सबसे सच्ची आवाज़ वो होती है, जो हम खुद में दबा कर रखते हैं।और कभी-कभी, कोई एक दोस्त ही हमें वो हिम्मत देता है — उस आवाज़ को दुनिया के सामने लाने की।