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अध्याय 1:
शिवम की खामोशीशिवम,
एक ऐसा लड़का जो बचपन से ही अकेला था। न दोस्तों की भीड़, न हँसी की गूंज। वो बस चुपचाप जी रहा था — स्कूल, किताबें और घर की दीवारें ही उसकी दुनिया थीं। उसकी आँखों में एक स्थायी उदासी थी, जैसे ज़िंदगी ने उसके लिए कुछ खास रखा ही न हो।10वीं तक उसका जीवन जैसे-तैसे चलता रहा। फिर आया बोर्ड परीक्षा का समय।किसी तरह प्री-बोर्ड पास कर लिया, लेकिन असली परीक्षा अभी बाकी थी।इसी दौरान उसके हाथ लगा एक नया मोबाइल। और उसी के साथ, पहली बार उसकी ज़िंदगी में घुसी एक नई चीज़ — एक डेटिंग ऐप।शिवम ने ऐप पर एक लड़की को follow किया — नाम था याशिका।कुछ ही घंटों में दोनों की बात शुरू हो गई। धीरे-धीरे बातें लंबी होने लगीं, नंबर एक्सचेंज हुए, कॉल पर घंटों की बातचीत, और फिर एक दिन — पहली मुलाकात।वो मुलाकात शिवम के लिए किसी सपना पूरा होने जैसी थी।पहली बार उसे लगा कि उसे भी कोई समझ सकता है।लेकिन जैसे ही बोर्ड परीक्षा पास आई, याशिका की बातों में दूरी आने लगी।शिवम ने जैसे-तैसे परीक्षा दी — पास तो हो गया, पर नंबर अच्छे नहीं आए।और फिर याशिका की कॉल्स भी आने बंद हो गईं।"लॉन्ग डिस्टेंस रिश्ते ज्यादा दिन नहीं चलते..."ये बात याशिका ने कही नहीं, बस कर के दिखा दी।
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अध्याय 2:
मंजीत की एंट्री
अब शिवम का दाखिला हुआ जूनियर कॉलेज में।नया माहौल, नई भीड़ — पर शिवम अब भी वैसा ही था, चुप और खोया हुआ।कॉलेज का पहला दिन था। शिवम लेट था, दौड़ता हुआ क्लास के गेट तक पहुंचा।उसी वक्त एक और लड़का उसके साथ-साथ पहुँचा — मंजीत।ब्लैक शर्ट, व्हाइट जीन्स — आंखों में चमक, पर मुस्कान के पीछे कुछ छिपा हुआ।शिवम ने पहनी थी व्हाइट शर्ट और ब्लैक जीन्स।दोनों ने एकसाथ क्लास के दरवाज़े पर कहा —"May I come in?"पूरी क्लास की निगाहें उन पर टिक गईं।किसी को क्या पता था — ये दो अनजान लड़के एक-दूसरे की ज़िंदगी में तूफान बनकर आने वाले हैं।
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अध्याय 3:
दोस्ती की परछाईं
मंजीत एकदम उल्टा था शिवम से। बातूनी, मस्तीखोर, लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसा भी जो उसे गहरा बना देता था।शिवम को पहली बार ऐसा कोई मिला जो उसे समझता था, उसके अकेलेपन को बिना कहे पढ़ लेता था।धीरे-धीरे वो दोनों सबसे अच्छे दोस्त बन गए।कॉलेज में उन्हें "ब्लैक एंड व्हाइट बॉयज़" कहा जाने लगा।मंजीत हँसता था, सबको हँसाता था, पर कभी-कभी अचानक चुप हो जाता।शिवम ने एक दिन पूछा —"तू इतना हँसता है, लेकिन तू भी कुछ छिपाता है, है ना?"मंजीत मुस्कुराया, बोला —"कुछ बातें वक्त पर ही बताई जाती हैं भाई..."
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अध्याय 4:
अधूरी आवाज़
कॉलेज फेस्ट आ रहा था — Cultural Fest।मंजीत ने शिवम से कहा,"डुएट गाएंगे स्टेज पर।"शिवम डर गया —"मैं? सबके सामने? नहीं भाई!"मंजीत बोला —"तू गाएगा, मैं लिप-सिंक करूंगा। तेरी आवाज़, मेरा चेहरा।"इवेंट हुआ — भीड़ थी, तालियाँ थीं, और शिवम की आवाज़ सबके कानों तक पहुँची… मंजीत के चेहरे से।पर जब एक लड़की ने मंजीत से कहा,"बहुत अच्छा गाया तुमने!"तो मंजीत ने उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा —"वो जो पीछे खड़ा है, वही असली आवाज़ है।"उस दिन, शिवम को खुद पर गर्व हुआ — और दोस्त पर और भी ज़्यादा।रात को, लौटते वक्त मंजीत ने सच बताया —"मेरे पापा कहते हैं लड़कों का गाना गाना ठीक नहीं। एक बार जब उन्होंने मुझे गाते सुना था, तो कहा था — अगर फिर से गाया, तो घर से निकाल देंगे।तब से बस दूसरों की आवाज़ में जीता हूं… अपनी आवाज़ दबा दी है मैंने।"
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अध्याय 5:
अपनी आवाज़
वापस अगले दिन कॉलेज में एक नया पोस्टर लगा —"Hidden Voice – Open Mic Night"शिवम ने पोस्टर मंजीत के हाथ में दिया और कहा —"इस बार मैं पीछे रहूंगा, तू आगे।अब तेरी आवाज़ किसी और की नहीं, तेरी खुद की होगी।"मंजीत थोड़ी देर चुप रहा…फिर धीरे-धीरे सिर हिलाया — हाँ में।---अब मंजीत स्टेज पर जाने को तैयार है।शिवम की तन्हाई अब दोस्ती बन चुकी है।मंजीत की चुप आवाज़ अब गूंजने को तैयार है।और वहीं कहीं… याशिका फिर से ऑनलाइन दिखी है।क्या वो लौटेगी?क्या मंजीत गा पाएगा?क्या शिवम का अतीत उसके आज को तोड़ पाएगा?
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जारी रहेगा...