त्रिलोक सिंक्रोनाइज़र के सक्रिय होते ही धरती पर समय के बहाव में एक हल्का कंपन हुआ। जैसे ही तीनों रत्न अपने-अपने वृत्तों में पूर्ण गति से घूमे, उस अर्धवृत्ताकार चैंबर की दीवारें प्राचीन ऋचाओं से गूंज उठीं — लेकिन ये ध्वनियाँ किसी मुँह से नहीं, बल्कि ऊर्जा से निकल रही थीं।
आर्यन, अब उस यंत्र के सम्मुख खड़ा, कांपती साँसों के साथ उसे देख रहा था।
वेदिका की आँखें बंद थीं, उसके होठ कुछ मंत्र बुदबुदा रहे थे।
और प्रोफेसर ईशान वर्मा, जिनके चेहरे पर अब तक वैज्ञानिक तर्क की दृढ़ता थी, एक अबूझ श्रद्धा में डूबे लग रहे थे।
🔹 "ऋग्वेद कभी मरा नहीं... वो सुप्त था।" – ईशान बोले।
“त्रिलोक सिंक्रोनाइज़र एक साधारण यंत्र नहीं है, आर्यन। ये तीनों लोकों—भूत, वर्तमान और भविष्य—के चेतनावाहक ऋषियों की स्मृति का प्रवेश द्वार है,” प्रोफेसर ने बताया।
"But why me?" आर्यन ने पूछा।
“क्योंकि तुम्हारा मस्तिष्क वही आवृत्तियाँ उत्पन्न करता है, जो कभी सप्तऋषियों की चेतना में थीं,” वेदिका बोली।
🕉️ ऋषियों की चेतना: एक वर्चुअल यज्ञ
जैसे ही आर्यन ने त्रिलोक सिंक्रोनाइज़र को छुआ, उसका शरीर तिरा गया — सच में नहीं, बल्कि चेतना में।
अचानक उसके सामने एक वर्चुअल सभामंडप खुला — कोई कंप्यूटर जनित छवि नहीं, बल्कि ऊर्जा का क्षेत्र।
सात प्रकाश पुंज सामने आए — जिनमें से प्रत्येक एक ऋषि का प्रतीक था।
उनकी आँखें नहीं थीं, पर दृष्टि थी। मुँह नहीं थे, पर वाणी थी।
“ऋषि अंगिरा,”
“ऋषि वसिष्ठ,”
“ऋषि अत्रि,”
“ऋषि गौतम,”
“ऋषि विश्वामित्र,”
“ऋषि कश्यप,”
“ऋषि भरद्वाज।”
वे बोले —
“तुम वह हो जो 'त्रैवर्षिक संधि' को समझ सकता है।
तुम्हारे भीतर तीनों कालों की कुंजी है।
पर ध्यान रहे — चेतना जितनी विस्तृत होगी, संकट उतना ही गहरा।”
🌌 पृथ्वी पर वापसी
जब आर्यन की चेतना लौटकर उसके शरीर में आई, उसका माथा पसीने से तर था।
“मैं... मैं उन ऋषियों को महसूस कर सकता हूँ।”
“अब अगला द्वार खोलेगा 'ऋग्संहिता की कालरेखा',” वेदिका ने कहा।
“और वहाँ तुम्हें एक ऐसे यंत्र के दर्शन होंगे — जिसे आधुनिक विज्ञान अभी तक 'ग़लती' मानता आया है।”
“क्या?” आर्यन ने पूछा।
“ऋषि चेतना मैपिंग डिवाइस — वो डिवाइस जो केवल वेदांत की तरंगों से संचालित होता है।”
🔸 मायावी बाधा – सूचना सुरंग की परीक्षा
लेकिन त्रिलोक सिंक्रोनाइज़र के पूर्ण सक्रिय होने से एक सुरंग खुल गई थी — एक सूचना-संरचना जो “अवाच्य” थी।
वह एक quantum-encoded holographic maze था, जहाँ हर गलती पर चेतना विकृत हो सकती थी।
आर्यन ने कदम रखा — दीवारों पर उभरते मंत्र जैसे उसके मन को पढ़ रहे थे।
अचानक एक hologram फूट पड़ा —
“तुम अब वह नहीं रहे जो जन्म से थे,
अब तुम वह हो जो युगों से प्रतीक्षा में था।”
इस maze में पहला रहस्य था — “ऋग्वेद का शून्य मंत्र”
और इस बार, वह मंत्र किसी भाषा में नहीं, बल्कि भावों में था।
🧬 ब्रह्म सूत्र की जड़ में विज्ञान
प्रोफेसर ईशान ने बताया,
“आर्यन, यह जो मंत्र है — इसे decode करने के लिए हमें consciousness की non-linear wave model को पकड़ना होगा।”
“हमें ‘श्रुति के फ्रैक्टल’ देखने होंगे।”
"लेकिन इसका मतलब क्या?" आर्यन ने पूछा।
"इसका मतलब ये कि वेदों के मंत्र, सिर्फ शब्द नहीं थे — वे प्रोग्राम कोड्स थे। हर ऋषि, ब्रह्मांड की ऊर्जा को चेतन फॉर्म में देख सकता था। और उस ऊर्जा को मंत्रों में बिठा सकता था।”
🔮 अंत में एक संकेत: नागा लेख
जब वेदिका ने सिंक्रोनाइज़र के गह्वर भाग में एक पुरानी प्लेट उठाई, उस पर नाग लिपि में कुछ लिखा था:
"त्रिलोक के मध्य, जहाँ सन्नाटा भी बोलता है — वहाँ मिलेगा तुम्हें वह शब्द जो नाद से परे है।"
"इसका मतलब क्या है?" आर्यन ने पूछा।
“मतलब यह कि हमारा अगला पड़ाव 'शून्य-मध्य' होगा — एक ऐसी जगह जो सिर्फ चेतना से पहुंची जा सकती है,” वेदिका बोली।
अध्याय समाप्त…
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