Trikaal - 11 in Hindi Adventure Stories by WordsbyJATIN books and stories PDF | त्रिकाल - रहस्य की अंतिम शिला - 11

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त्रिकाल - रहस्य की अंतिम शिला - 11

गुफ़ा की तंग सुरंगों में ठंडी हवा उनके चेहरे पर लग रही थी।
दीवारों पर उकेरे गए प्रतीक और शिलालेख, सदियों पुराने, किसी रहस्यमयी संदेश को प्रकट करने का प्रयास कर रहे थे। हर कदम पर पत्थरों की हल्की सरसराहट, कहीं-कहीं हवा की हल्की गूँज, सब एक साथ उनकी नसों में रोमांच और डर भर रहे थे।

आर्यन सबसे आगे था। उसके हाथ में तलवार और मशाल थी, पर मन में उलझन और सतर्कता दोनों थीं।
“यह स्थान… कुछ कह रहा है,” उसने धीमे स्वर में कहा, उसकी आँखों में जिज्ञासा और चिंता का मिश्रण साफ़ था।

वेदिका उसके ठीक पीछे थी।
“आर्यन, हमें केवल अपने भीतर की शक्ति पर भरोसा रखना होगा। यही हमारी दिशा तय करेगी,” उसने कहा। उसकी आँखों में स्थिरता थी, जो आर्यन को डर के बावजूद आगे बढ़ने की हिम्मत दे रही थी।

पीछे डॉ. ईशान वर्मा अपने उपकरणों की जांच में व्यस्त थे।
“सिर्फ़ चेतावनी नहीं है यह। यह कोई साधारण संरचना नहीं है। यहाँ छिपा रहस्य हमारे ज्ञान और विश्वास दोनों की परीक्षा ले रहा है,” उन्होंने गंभीर स्वर में कहा।

ईशा हाथ में छोटे प्रकाशक उपकरण लिए काँप रही थी।
“हमें सावधान रहना होगा। यहाँ हर चीज़ हमारी कमजोरी और डर को परख रही है।”

गुफ़ा का हर कोना डर और रहस्य को बढ़ा रहा था।
सड़क के मोड़ पर अचानक हल्की सरसराहट हुई।
आर्यन ने तलवार तैयार की, लेकिन साधु ने उसे रोकते हुए कहा—
“शरीर की शक्ति पर्याप्त नहीं। केवल विश्वास और प्रेम ही इसे रोक सकते हैं।”

आर्यन ने गहरी साँस ली और अपने भीतर झाँकने लगा।
“विश्वास… और प्रेम,” उसने धीमे स्वर में कहा।
वेदिका ने उसका हाथ कसकर पकड़ा, उसकी आँखों में एक अदृश्य शक्ति झलक रही थी।
“हम दोनों साथ हैं। यही तुम्हारी शक्ति है।”

जैसे ही वे आगे बढ़े, गुफ़ा की दीवारों से पत्थर खिसकने लगे।
छोटे-छोटे टुकड़े गिरते और हवा में उभरते धुएँ के साथ मिलकर अजीब shadows बना रहे थे।
साधु ने मंत्रोच्चार तेज़ कर दिया—
“सत्यस्य बलं विश्वासः… विश्वासस्य बलं प्रेमः…”
शब्द गुफ़ा की दीवारों से गूँज रहे थे, मानो प्रत्येक ध्वनि हवा के कणों को जादुई तरंगों में बदल रही हो।

तभी दीवार के एक कोने से हल्की लाल झिलमिलाहट दिखाई दी।
यह छाया की पहली झलक थी।
उसकी उपस्थिति ने सभी के हृदयों में घबराहट भर दी।
आर्यन ने महसूस किया कि यह केवल शारीरिक चुनौती नहीं थी—यह उनका मन, आत्मा और विश्वास पर हमला कर रही थी।

वेदिका ने आर्यन की आँखों में देखा और कहा—
“डरना मत। तुम्हारा डर इसे ताकत देता है, और हमारा विश्वास इसे रोक सकता है।”

डॉ. ईशान ने उपकरणों की तरफ़ देखा।
“हमारा विज्ञान यहाँ बेकार है। यह सब मानसिक और आध्यात्मिक परीक्षा है। केवल तर्क और उपकरण नहीं चलेंगे।”

ईशा ने धीरे स्वर में कहा—
“अब हमें केवल अपनी आंतरिक शक्ति पर भरोसा रखना होगा। यही हमारी रक्षा करेगी।”

आर्यन ने अपनी साँसों पर ध्यान केंद्रित किया और महसूस किया कि हर धक्का, हर छाया की हलचल, उसके और वेदिका के मनोबल को परख रही थी।
छाया धीरे-धीरे आकार ले रही थी, और उसके चारों ओर धुआँ और लाल चमक फैल रही थी।
वेदिका ने धीमे स्वर में कहा—
“हमें अपने डर को पीछे छोड़ना होगा। अगर हम साथ हैं, तो कुछ भी हमें तोड़ नहीं सकता।”

साधु ने मंत्र तेज़ किया—
“सत्यस्य बलं विश्वासः… विश्वासस्य बलं प्रेमः…”

जैसे ही मंत्र गूँजे, छाया की हल्की सरसराहट स्थिर होने लगी।
उसकी शक्ति बिखर रही थी, पर यह केवल शुरुआत थी।
गुफ़ा का अंधकार और डर अब चरम पर था।

आर्यन ने महसूस किया कि यह परीक्षा केवल शक्ति की नहीं, बल्कि विश्वास, प्रेम और मानसिक संतुलन की भी थी।
हर कदम, हर साँस, हर झलक उन्हें उनके आंतरिक साहस और संबंध की परीक्षा दे रही थी।

गुफ़ा की गहराई से धीरे-धीरे लाल रोशनी और धुआँ बढ़ने लगा।
छाया अब पूरी तरह सक्रिय होने वाली थी।
सभी जानते थे कि जो भी होने वाला था, वह विश्वास और प्रेम की अंतिम परीक्षा थी।

सत्य का दांव – छाया का प्रहार

गुफ़ा का अंधकार अब घने धुएँ और जलती हुई लपटों के बीच और भी गहरा हो चुका था।
पत्थर गिरते, हवा की हल्की सरसराहट, और कहीं-कहीं गुफ़ा की गूँजती चीख़ें—सब एक साथ उनके हृदयों को दबोच रही थीं।

आर्यन सबसे आगे था, तलवार हाथ में और मन भीतर से तैयार।
उसने अपनी साँसें नियमित करने की कोशिश की, पर छाया की मौजूदगी ने उसकी नसों में ठंडक और रोमांच एक साथ भर दिया।
“यह जगह केवल भौतिक रूप से खतरनाक नहीं है… यहाँ का डर, यहाँ की शक्ति हमारे मन और आत्मा को परख रही है,” उसने धीमे स्वर में कहा।

वेदिका उसके पास धीरे कदम बढ़ा रही थी।
उसके हाथ में आर्यन का हाथ थामा हुआ था।
“आर्यन, हमारा डर इसे मजबूत बनाता है। विश्वास और प्रेम ही हमारी रक्षा कर सकते हैं,” उसने धीमे स्वर में कहा।

साधु ने अपनी आँखें बंद कर मंत्रोच्चार तेज़ कर दिया—
“सत्यस्य बलं विश्वासः… विश्वासस्य बलं प्रेमः…”
उनकी आवाज़ गुफ़ा की दीवारों में गूँज रही थी और हर ध्वनि मानो हवा और पत्थरों को एक जादुई लय में बदल रही थी।

तभी गुफ़ा की छत से एक तेज़ झोंका आया।
लाल धुंध और हल्की लपटें अब गुफ़ा के हर कोने में फैल चुकी थीं।
और उसके बीच—छाया पूरी तरह प्रकट हो गई।
उसकी आँखों में अग्नि की लाल झिलमिलाहट थी।
उसका शरीर धुंध और धुएँ में विलीन हो रहा था, मानो ठोस और ऊर्जा का मिश्रण हो।

आर्यन reflex से पीछे कूच करता, पर साधु ने उसकी बाँह पकड़ ली।
“इससे वार मत करो। यह केवल विश्वास और प्रेम की परीक्षा है। शरीर की शक्ति यहाँ काम नहीं करेगी।”

छाया ने झपट्टा मारा।
आर्यन ने तलवार उठाई, पर उसका हाथ हवा में अटका।
वेदिका ने दौड़कर उसका हाथ पकड़ लिया।
“हम साथ हैं, आर्यन। डर मत।”

डॉ. ईशान ने अपने उपकरणों की तरफ देखा—
“ये विज्ञान नहीं समझ पाएगा। यह केवल मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा है।”

ईशा ने काँपते हुए कहा—
“आर्यन, इसे अपनी आँखों में मत आने दो। डर इसे ताकत देगा। केवल विश्वास और प्रेम ही इसे हरा सकता है।”

आर्यन ने गहरी साँस ली और आँखें बंद की।
उसने अपने भीतर की शक्ति महसूस की।
वेदिका ने उसकी आँखों में देखा और धीरे से कहा—
“हमारा विश्वास तुम्हारे भीतर है। बस उसे महसूस करो।”

साधु ने मंत्रों की गति और तेज़ कर दी—
“सत्यस्य बलं विश्वासः… विश्वासस्य बलं प्रेमः…”
जैसे ही मंत्र गूँजे, छाया की शक्ति धीरे-धीरे स्थिर होने लगी।
वह चीख़ रही थी, पर उसकी लाल आँखें अब बुझने लगी थीं।
धुआँ और लाल लपटें हवा में फैल गईं।

छाया ने अंतिम प्रयास किया और वेदिका को पीछे धकेल दिया।
वेदिका पत्थरों से टकराई और ज़मीन पर गिर पड़ी।
आर्यन तुरंत दौड़कर उसे सँभाला।
उसकी साँसें तेज़ थीं, पर उसकी आँखों में विश्वास अभी भी जिंदा था।

साधु ने मुस्कराते हुए कहा—
“तुम दोनों ने इसे पार कर लिया। अब तुम्हारा विश्वास और प्रेम केवल तुम्हारा नहीं, बल्कि त्रिकाल संरचना के लिए भी मार्गदर्शक बने हैं।”

डॉ. ईशान और ईशा ने राहत की साँस ली।
डॉ. ईशान ने कहा—
“यह केवल पहला परीक्षण था। असली चुनौती अभी बाकी है। छाया ने हमें दिखा दिया कि त्रिकाल की संरचना कितनी खतरनाक हो सकती है।”

आर्यन ने वेदिका की ओर देखा।
“हमने इसे पार कर लिया… पर यह गुफ़ा केवल शुरुआत थी। जो भी आगे है, उससे हमारी आंतरिक शक्ति ही मुकाबला करेगी।”

गुफ़ा अब शांत थी, लेकिन सभी जानते थे—
असली परीक्षा अभी बाकी थी।
छाया की अंतिम चीख़ अब भी गूंज रही थी, जैसे अगले झटके की तैयारी कर रही हो।