The Blood Mark in Hindi Crime Stories by Priyanka Singh books and stories PDF | खून का टीका

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खून का टीका

🌟 परिचय (Novel Introduction):


शादी... एक ऐसा बंधन जिसे हर लड़की सपनों में संजोती है।

लेकिन क्या हो जब यही शादी एक जाल बन जाए?

क्या हो जब सिंदूर के पीछे छुपा हो खून का व्यापार?

और क्या एक सीधी-साधी लड़की,

खुद को राजघराने की हवेली में कैद पाए —

जहाँ प्यार नहीं, सिर्फ मौतें होती हैं?


ये कहानी है अनन्या की।

जिसने शादी तो की थी प्यार के नाम पर,

लेकिन मिला उसे एक राक्षस पति,

एक हवेली जहाँ हर कोना किसी लाश की कहानी कहता है।


अब अनन्या को लेना है बदला...

हर उस कत्ल का, हर उस धोखे का...

जिसका शिकार वो भी बनी।



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✍️ लेखक परिचय (Author Bio):


प्रियंका कुमारी, एक गृहिणी होते हुए भी दिल से लेखिका हैं।

जिनकी कहानियाँ समाज की सच्चाई को शब्दों में ढालती हैं।

"खून का टीका" उनकी पहली क्राइम थ्रिलर कहानी है —

जो एक औरत के दर्द

, साहस और बदले की गूंज है।🔥 Chapter 1: दुल्हन की पहली रात – और पहली लाश


“बधाई हो! आपकी बेटी अब रानी बन गई है।”
अनन्या के पापा की आंखें भर आईं, जब वो उसे डोली में बैठा रहे थे।
लेकिन अनन्या के दिल में कहीं न कहीं अजीब सी घबराहट थी।
उसने कभी नहीं सोचा था कि शादी की पहली रात ही उसकी ज़िंदगी की सबसे डरावनी रात बन जाएगी।

राजमहल जैसी बड़ी हवेली...
संगमरमर की दीवारें...
बिना मुस्कान के चेहरे...
और सबसे अजीब बात — उसके पति का बर्ताव।उसे सजा-धजा कर जैसे ही डोली में बैठाया गया, हवेली तक पहुँचते-पहुँचते सबकुछ बदल गया।
राजसी दरवाज़े, ऊँची दीवारें, और अंदर सन्नाटा।
ना ढोल-नगाड़े, ना हँसी की आवाज़, ना किसी ने उसका स्वागत किया।
बस चार सेविकाएं, जो सिर झुकाए हुए उसे ऊपर के कमरे में ले गईं।


शाम को जब अनन्या को सजाया जा रहा था, तो एक नौकरानी ने कहा —
“रानी जी, यहाँ हर नई दुल्हन को ‘टीका’ चढ़ाया जाता है...”

अनन्या मुस्कुरा दी, लेकिन वो नहीं जानती थी कि वो टीका सिंदूर का नहीं, खून का होगा।कमरे में कदम रखते ही अनन्या को लगा, जैसे वो दुल्हन नहीं, कोई कैदी बन चुकी है।
कमरा बड़ा था, लेकिन रौशनी बहुत कम।
हर कोने में पुराने ज़माने की पेंटिंग्स टंगी थीं — जिसमें औरतें सजी थीं, मगर मुस्कुराती कोई नहीं थी।


रात के 11 बजे —
दरवाज़े के बाहर से एक औरत की चीख़ सुनाई दी।

“बचाओ... मुझसे ये गलती हो गई... मुझे मत मारो…”

अनन्या ने खिड़की से देखा —
एक लड़की की लाश खून से सनी ज़मीन पर पड़ी थी।
और उसके सिर पर वही गजरा था,
जो अनन्या की सहेली रिया ने पहना था… जो कल रात यहीं थी।

दरवाज़ा खुला —
उसका पति अंदर आया।
चेहरे पर कोई भाव नहीं।

कहा,
“तुमने कुछ नहीं सुना, कुछ नहीं देखा। समझी?”और अगर ज़्यादा सोचना शुरू किया तो तुम्हारा अंजाम भी ऐसा ही होगा,”
उसने कहा और दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया।

अनन्या अब समझ चुकी थी —
ये शादी नहीं थी, ये जाल था।
शुरुआत थी एक ऐसी ज़िंदगी की, जहाँ हर दिन एक नई साज़िश होगी।
और शायद... हर रात एक नई लाश।

उसने आँसू पोंछे, और पहली बार अपने आप से कहा:
"मैं डरूँगी नहीं। मैं जवाब दूंगी।"मेरी आवाज को था कौन सुनेगा ये सोचते हुए ओ अपने बस्तर पे लेती हुई सोच रही थी कि मेरी शादी एक ऐसे शैतान ओर जंगली इंसान से हुई है जो इतना खतरनाक लग रहा है उसके अंदर प्रेम की भावना मुझे दिखाई ही नहीं दे रही है मै यदि कैसे रह पाऊंगी ओ बस यही सोच रही थी कि अनन्या की साँसें तेज़ हो गईं।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये शादी थी या मौत की दस्तक?

वो बेहोश होते-होते खुद को संभालती है,
कमरे में अकेली बैठ जाती है।
तभी उसकी नज़र दीवार पर टंगे आईने पर जाती है।

आईने के कोने में कुछ अजीब सा लिखा था...
उसने नज़दीक जाकर देखा — किसी ने खून से लिखा था:

> "अगर अगली सुबह तक बची रही... तो नीचे तहख़ाने में मिलना — सरोज"



अनन्या का कलेजा काँप गया।
सरोज...? कौन है ये?
क्या कोई और भी इस हवेली में कैद है?
क्या ये हवेली कोई शादीशुदा कब्रगाह है?

और सबसे डरावनी बात —
नीचे तहख़ाना...? कैसा तहख़ाना...?

अब उसकी सुहागरात नहीं,
उसकी पहली जाँच शुरू हो चुकी थी।