दगाबाज विरासत
भाग 3
आदित्य और सारा का प्यार परवान चढ़ रहा था। वे दोनों अक्सर देर रात तक फोन पर बातें करते, अपनी शूटिंग के किस्से सुनाते और भविष्य के सपने बुनते। आदित्य के परिवार को भी सारा बेहद पसंद आने लगी थी। मृणालिनी को खुशी थी कि आदित्य को आख़िरकार कोई मिल गया है। बुआ और उनके पति भी सारा की तारीफें करते नहीं थकते थे। आदित्य ने सोचा, इस बार उसकी शादी हो ही जाएगी।
कुछ दिनों बाद, आदित्य अपनी एक फिल्म के एक्शन सीन की शूटिंग कर रहा था। सीन में उसे एक ऊँची जगह से कूदना था, और नीचे सुरक्षा के लिए गद्दे लगाए गए थे। लेकिन जैसे ही आदित्य कूदा, गद्दे अपनी जगह से थोड़े खिसके हुए थे। आदित्य ज़मीन पर गिरा और उसके टखने में तेज़ मोच आ गई। क्रू के लोग तुरंत दौड़ पड़े।
डायरेक्टर चिंतित थे, "आदित्य, तुम ठीक हो? मुझे लगा गद्दे ठीक से लगे हुए थे।"
आदित्य दर्द से कराहते हुए उठा। "हां, मैं ठीक हूँ। बस टखने में मोच आ गई।" शूटिंग में ऐसी छोटी-मोटी चूक तो हो जाती है। घर पहुँचने पर परिवार ने उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाने की ज़िद की।
मृणालिनी ने उसके टखने पर पट्टी बांधते हुए कहा, "बेटा, अपना ध्यान रखा कर। मैंने कहा था न, आजकल तेरे ग्रह थोड़े ठीक नहीं चल रहे। पूजा कर ले।"
बुआ ने भी प्यार से कहा, "अरे भाभी, ये शूटिंग का काम ही ऐसा है। चोट लगना तो आम बात है। शुक्र है, कोई बड़ी चोट नहीं लगी।"
एक और दिन, जिम में वर्कआउट करते हुए आदित्य ट्रेडमिल पर तेज़ी से दौड़ रहा था। अचानक, ट्रेडमिल की गति असामान्य रूप से बढ़ गई और वह संतुलन खो बैठा। वह ट्रेडमिल से नीचे गिर गया और उसके कंधे में खरोंच आ गई। जिम का स्टाफ तुरंत आया।
"सॉरी सर! पता नहीं कैसे मशीन खराब हो गई," जिम के मैनेजर ने घबराकर कहा।
"कोई बात नहीं," आदित्य ने दर्द में कंधे को पकड़ा। "कभी-कभी हो जाता है।" इस घटना के बाद भी परिवार ने उसकी खूब देखभाल की। मृणालिनी ने गरम दूध में हल्दी डालकर दी, दादी ने नज़र उतारने के लिए मंत्र पढ़े, और बुआ की बच्चियां उसके पास आकर बैठ गईं, पूछती रहीं कि मामा को दर्द तो नहीं हो रहा। आदित्य को पता था कि उसका परिवार उससे बहुत प्यार करता है और उसे दर्द में नहीं देख सकता, इसलिए जब भी उसे छोटी-मोटी चोट लगती, वे लोग तुरंत चिंता में आ जाते थे और इसीलिए आदित्य कोशिश करता था कि परिवार वालों को उसकी शूटिंग पर अगर कोई हादसा हुआ तो उसके बारे में ना पता चले लेकिन फिर भी परिवार वाले उसको बहुत प्यार करते थे इसलिए उसकी छोटी सी चोट पर भी वह लोग परेशान हो जाते थे।
आदित्य की ज़िंदगी अपनी नई फ़िल्म के प्रीमियर और सारा के साथ अपने भविष्य के सपनों से भरी हुई थी। उसने हाल ही में सारा को शादी के लिए प्रपोज़ किया था, और सारा ने ख़ुशी-ख़ुशी हाँ कह दी थी। परिवार भी इस रिश्ते से बेहद खुश था । घर में जश्न का माहौल था।
एक दिन, आदित्य अपने बंगले के स्विमिंग पूल में आराम से तैर रहा था। यह उसका रोज़ का रूटीन था, जिससे उसे बहुत सुकून मिलता था। पूल के किनारे रखी एक कुर्सी पर उसका फ़ोन बज रहा था, शायद सारा का फ़ोन था। आदित्य तैरते हुए किनारे की ओर बढ़ा, फ़ोन उठाने के लिए। जैसे ही उसने पूल से बाहर निकलने के लिए सीढ़ियों पर पैर रखा, अचानक उसे एक तेज़ बिजली का झटका महसूस हुआ।
दर्द की एक लहर उसके शरीर से गुज़र गई। आदित्य ने छटपटाने की कोशिश की, लेकिन उसका शरीर बेजान होता जा रहा था। पूल के पानी में एक तेज़ करंट दौड़ रहा था। उसकी आँखें खुली थीं, लेकिन उनमें से जीवन धीरे-धीरे निकल रहा था। वह कुछ समझ नहीं पाया कि क्या हो रहा है, या यह कैसे हुआ। बस, कुछ ही पलों में, उसका सुंदर, प्रसिद्ध शरीर पानी में डूब गया और शांत हो गया।
कुछ देर बाद, जब आदित्य को पूल में इतनी देर तक न देखकर उसका हाउसकीपर उसे देखने आया, तो उसने जो देखा उससे उसकी चीख निकल गई। आदित्य पानी में बेजान पड़ा था। तुरंत घर में हाहाकार मच गया। मृणालिनी, दादी, बुआ और बुआ का पति सब दौड़ते हुए पूल के पास पहुँचे।
मृणालिनी ने चीख़ते हुए कहा, "मेरा बेटा! आदित्य!"
दादी कांपते हुए अपनी जगह पर ही गिर पड़ीं। बुआ और उनके पति भी सदमे में थे, उनके चेहरे पर विश्वास नहीं हो रहा था कि यह सब कैसे हो गया। माहौल चीख-पुकार और आँसुओं से भर गया। आदित्य, जो कुछ देर पहले तक ज़िंदा था, अब सिर्फ़ एक बेजान शरीर था।
खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। आदित्य मेहरा की अचानक मृत्यु ने पूरे देश को हिला दिया। फैंस सकते में थे। टीवी चैनलों पर डिबेट शुरू हो गईं।
"यह एक हादसा है, बस एक दुखद हादसा," एक न्यूज़ एंकर कह रहा था।
दूसरे चैनल पर एक ज्योतिषी अपनी कुंडली के हिसाब से कह रहा था, "देखिए, ग्रहों की स्थिति ही ऐसी थी। यह एक स्वाभाविक मौत थी।"
वहीं, एक क्राइम रिपोर्टर कह रहा था, "इतने बड़े सेलिब्रिटी की अचानक मौत, वो भी इस तरह से? इसमें ज़रूर कुछ गड़बड़ है।"
टीवी पर घंटों बहस चलती रही, कोई इसे हादसा बता रहा था तो कोई इसे कुछ और। इस सबके बीच, दिल्ली पुलिस के एसीपी विक्रम आहूजा का ध्यान इस केस की ओर गया। वह जानते थे कि ऐसे हाई-प्रोफाइल केस में अक्सर कुछ अनकही बातें छिपी होती हैं, भले ही सब इसे दुर्घटना मानें। उनकी पैनी नज़र और तेज़ दिमाग को लग रहा था कि इसमें कुछ तो है, और उन्होंने इस मामले की फ़ाइल मंगवाने का फैसला किया।
इंस्पेक्टर विक्रम को ऐसा क्यों लग रहा है कि एक दुर्घटना नहीं है क्या इसके पीछे वाकई में कोई राज है यही इंस्पेक्टर विक्रम की गलतफहमी है?