डॉक्टर ने आकर PSI दत्ता से कहा —
"कुछ ही देर में रोशन को होश आ जाएगा।"
सभी के चेहरों पर राहत लौट आई।
लेकिन उसी वक़्त दत्ता सर के मोबाइल पर एक इमरजेंसी कॉल आया।
फोन के उस पार से आवाज़ आई —
"दत्ता, ओजोन हॉस्पिटल पर हमला होने वाला है।"
दत्ता चौक गया।
"क्या?! हमला क्यों? और कौन करेगा?"
सिनियर अफसर बोले —
"तुम्हारे पास पूरी पावर है। ये काम कोई आम गुंडे नहीं कर रहे। खबर पक्की है — उस हॉस्पिटल में कोई बड़ा VIP भर्ती है। उसकी सुरक्षा तुम्हारी जिम्मेदारी है।
हमलावर किसी को भी मार सकते हैं। पूरे हॉस्पिटल को उड़ाने का प्लान है।"
दत्ता ने पूछा —
"VIP कौन है?"
आवाज़ आई —
"नाम... रोशन अग्रवाल।"
दत्ता स्तब्ध रह गया।
"क्या? वही रोशन...?!"
"हां, वही। तुम्हें उसे हर हाल में बचाना है।"
"Yes Sir! मैं अपनी जान की बाज़ी लगाकर उसे बचाऊँगा।"
---
दत्ता ने पूरी सच्चाई अपने दोस्तों को बता दी।
ऋषिकेश की पत्नी गुस्से में बोली —
"मेरे मामा को मारने आ रहे हैं? मैं उन्हें छोड़ूँगी नहीं!"
ऋषिकेश ने उसे समझाया,
"तुम हमारे साथ हो। लेकिन तुम्हें धैर्य रखना होगा। हम सब यहाँ हैं।"
सौरभ, जो असम राइफल्स का बहादुर सैनिक था, मुस्कुराया और बोला —
"आने दो... हमें देखने दो उनकी हिम्मत।"
ऋषिकेश बोला —
"तुम रोशन के पास रहो, उसका ख्याल रखो।"
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कुछ ही देर में,
काले शीशों वाली कई गाड़ियाँ हॉस्पिटल के बाहर आकर रुकीं।
पाँच लोग उतरे —
तीन के पास गन्स और
दो निहत्थे लेकिन खतरनाक चेहरे।
तीन गनमैन:
घातक, अनुभवी, एक-एक गोली सीधा दिल पर।
उनके चेहरे से ही पेशेवर अपराधियों की झलक साफ़ थी।
बाकी दो:
वे थे एस-रैंक अपराधी।
हथियार की उन्हें ज़रूरत नहीं थी। उनके हाथ-पैर ही मौत के समान थे।
🔥 पहला: अर्जुन नागरे (Taekwondo Champion)
एशियन गेम्स का पूर्व गोल्ड मेडलिस्ट।
अब दुनिया का मोस्ट वांटेड क्रिमिनल।
उसकी Back Kick इतनी खतरनाक कि सामने वाले की रीढ़ तोड़ दे।
🔥 दूसरा: भीमसिंह चौहान (गामा पहलवान के नाम से कुख्यात)
देहात से निकला राक्षस।
उसकी पकड़ से कोई छूट नहीं पाया।
गला दबाकर कितनों को मार चुका, गिनती किसी के पास नहीं।
---
तीनों गनमैन हॉस्पिटल में घुसे और गोलियाँ चलाने लगे।
चीख-पुकार मच गई।
लोग भागने लगे, लेकिन उन्होंने हर गेट पर बम लगवा दिए।
"अगर कोई भागेगा, तो पूरा हॉस्पिटल उड़ जाएगा।"
PSI दत्ता सब देख रहा था।
ऋषभ बोला,
"इनका प्लान साफ़ है... हॉस्पिटल उड़ाना। लेकिन इन्हें रोशन से क्या चाहिए?"
सौरभ ने अपने बैग से कुकरी निकाली।
ऋषभ हँस पड़ा —
"अबे, असम राइफल्स में कुकरी कहाँ?"
सौरभ:
"दोस्ती का तोहफा फेंका नहीं जाता।"
देवेंद्र:
"और तुझे उसके पैसे देने याद नहीं आई?"
सौरभ:
"अब तो याद आ ही गई..."
---
PSI दत्ता:
"हमें रोशन को हर हाल में निकालना है। अगर ये लोग यहाँ तक पहुँच गए, तो वो ज़िंदा नहीं बचेगा।"
नीचे तीन गनमैन पहरा दे रहे थे।
अर्जुन नागरे और भीमसिंह चौहान — सीधा ICU की तरफ।
PSI दत्ता:
"मैं इन्हें पहचानता हूँ। ये कोई आम गुंडे नहीं।
ये दोनों एस-रैंक अपराधी हैं।
इनका नाम सुनते ही बॉर्डर तक की फोर्स काँप जाती है।"
---
ऋषिकेश:
"हम भी आर्मी ऑफिसर हैं। इनकी औकात बता देंगे!"
सभी जोश में आ गए।
PSI दत्ता ने कहा:
"सावधान रहना — अर्जुन नागरे की Back Kick से कोई नहीं बचा।
और भीमसिंह... उसके बारे में कोई नहीं जानता कि कब क्या कर दे।"
---
योजना बनी:
देवेंद्र, अमर और तुषार नीचे जाकर लोगों को बचाएँगे।
सौरभ सारे बम डिफ्यूज़ करेगा।
ऋषिकेश, ऋषभ और दत्ता ICU में जाकर रोशन को सुरक्षित बाहर निकालेंगे।
सभी एक साथ बोले:
"Yes Sir... तैयार!"
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🔥 अब असली लड़ाई शुरू होगी...
Angel, रोशन और पूरे हॉस्पिटल की किस्मत दांव पर।
देवेंद्र, अमर और तुषार — तीनों ने मिलकर एक तेज़ प्लान बनाया।
उनका मकसद था — हॉस्पिटल के अंदर फँसे लोगों को छुड़ाना और सुरक्षित बाहर निकालना।
उधर दूसरी ओर...
सौरभ
धीरे-धीरे हॉस्पिटल के चारों तरफ लगाए गए बम डिफ्यूज़ करने की तैयारी करने लगा।
उसने अपनी जेब से एक टेस्टर और पेंच-रिंच निकाला और वायर चेक करने लगा।
उसकी आँखों में फौजी सिपाही वाली वो गंभीरता और फुर्ती थी।
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दूसरी ओर...
अर्जुन नागरे और भीमसिंह चौहान
धीरे-धीरे रोशन के ICU की तरफ बढ़ रहे थे।
उनके कदमों की आवाज़ से ही हॉस्पिटल का माहौल ठंडा पड़ चुका था।
अर्जुन नागरे — अपनी मौत जैसी Back Kick के लिए कुख्यात।
भीमसिंह चौहान — अपने हाथों से गला घोंट कर मार डालने के लिए मशहूर।
दोनों का नाम सुनते ही पुलिस और आर्मी तक का खून ठंडा हो जाता था।
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कुछ ही देर में वो दोनों रोशन के रूम के बाहर पहुंच गए।
लेकिन...
उन्हें वहां PSI दत्ता, ऋषिकेश और ऋषभ पहले से इंतज़ार करते मिले।
दत्ता ने अपनी रिवॉल्वर का सेफ्टी हटाया।
ऋषिकेश ने अपने हाथों को मजबूत पकड़ में लिया, तैयार रहने के लिए।
ऋषभ भी एकदम अलर्ट था।
तीनों जानते थे कि सामने वाले कोई आम गुंडे नहीं — एस-रैंक अपराधी हैं।
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भीमसिंह चौहान मुस्कराया,
"तो ये वही हैं, जो हमें रोकेंगे?… चलो अच्छा है, खेल शुरू होता है।"
अर्जुन नागरे बोला,
"हम यहाँ सिर्फ रोशन को लेने आए हैं, हट जाओ वरना जान से हाथ धोओगे।"
PSI दत्ता आगे बढ़ा —
"ये हॉस्पिटल है, तुम्हारा अखाड़ा नहीं। एक कदम और बढ़ाया तो तुम्हारी लाश भी यहीं गिरेगी।"
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ऋषभ फुसफुसाया:
"याद रखना दत्ता सर... अर्जुन नागरे की Back Kick जानलेवा है। और गामा के हाथों में मौत छुपी है।"
ऋषिकेश:
"तो क्या? हम भी आर्मी हैं। डरना हमारा काम नहीं।"
---
अब तीनों दोस्त और पुलिस तैयार थे —
सामने दो खूंखार अपराधी।
हॉस्पिटल का सन्नाटा... गोलियों और घूंसों का शोर बनने वाला था।
पीछे ICU में रोशन बेहोश... Angel अभी कहीं दिखाई नहीं दी।
जान और मौत के बीच की लड़ाई शुरू होने ही वाली थी।
PSI दत्ता ने रिवॉल्वर तानते हुए कहा —
> "एक कदम और बढ़ाया, तो गोली से उड़ा दूँगा!"
लेकिन सब कुछ पलक झपकते बदल गया।
भीमसिंह चौहान (गामा पहलवान) बिजली की रफ्तार से आगे बढ़ा और दत्ता की गन छीन ली।
ये इतना जल्दी हुआ कि दत्ता कुछ समझ ही नहीं पाया।
"ये... कैसे?! इतनी फुर्ती... इतने भारी शरीर में?!"
गामा हँसा और अपनी भुजाओं की मसल्स तानते हुए बोला —
> "रोज़ 30 किलोमीटर रेत पर दौड़ता हूँ, बेसिक ट्रेनिंग है मेरी।"
अब वो किसी दैत्य से कम नहीं लग रहा था।
---
अर्जुन नागरे और ऋषिकेश आमने-सामने आ गए।
ऋषिकेश आर्मी ऑफिसर था, और अर्जुन Taekwondo का मास्टर, एस-रैंक अपराधी।
ऋषिकेश ने एक जोरदार Punch और Kick अर्जुन की ओर फेंकी, लेकिन अर्जुन बड़ी आसानी से बच गया।
Taekwondo की स्पीड और डिफेंस में वो माहिर था।
हर वार को वो मखमली चाल से रोकता और मुस्कुराता।
---
दूसरी ओर...
दत्ता और ऋषभ, दोनों भीमसिंह गामा से भिड़ गए।
भीमसिंह की wrestling-style पकड़,
और Punch इतने भारी कि ज़मीन तक हिलती।
दत्ता और ऋषभ की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी।
उनके शरीर लहूलुहान, साँसे टूटी-फूटी।
लेकिन फौलादी हिम्मत अभी बाकी थी।
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ऋषिकेश की पत्नी चिल्लाई:
> "अपनी जान लगा दो! हमें रोशन मामा को बचाना है!"
ऋषभ ने गुस्से में कहा:
> "हम हारेंगे नहीं!"
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अब गामा ने अपना सबसे खतरनाक अटैक किया —
"फाइट फिनिशिंग पंच"
PSI दत्ता सीधा दीवार से जा टकराया, नॉकआउट।
उधर अर्जुन नागरे ने Back Kick मार दी, जो सीधा ऋषिकेश के सीने पर लगने वाली थी।
लेकिन तभी ऋषभ बीच में आया और पूरी ताकत से वो Back Kick खा गया।
ऋषभ भी नॉकआउट।
---
अब बचा सिर्फ ऋषिकेश।
वो अकेला था।
उसके शरीर से खून बह रहा था, साँसें भारी, खड़ा भी मुश्किल से हो पा रहा था।
गामा बोला:
> "तेरा खेल खत्म..."
अर्जुन —
> "अब ये मरेगा..."
दोनों ने साथ में हमला किया —
एक का Punch, एक की Back Kick।
ऋषिकेश जमीन पर गिर पड़ा, बेहोश।
---
अर्जुन हँसकर बोला:
> "तुम सब मजबूत हो... लेकिन हमसे नहीं जीत सकते।"
---
तभी ऋषिकेश की पत्नी, डरते हुए लेकिन हिम्मत दिखाते हुए,
अपने पति को बचाने दौड़ी।
दत्ता और ऋषभ बोले:
> "भाग जाओ! वो तुम्हें मार देंगे!"
लेकिन वो रुकी नहीं।
"मैं आर्मी ऑफिसर की पत्नी हूँ! डरना नहीं आता!"
---
गामा आगे बढ़ा और लोहे की रॉड उठाई।
> "चलो, शुरुआत इसी से करते हैं।"
रॉड ऊपर उठा ही रहा था कि...
अचानक गामा के चेहरे पर जबरदस्त लात पड़ी।
उसका सिर घूम गया।
वो चौंका:
> "ये क्या?!"
उसने देखा —
ऋषिकेश फिर खड़ा था।
लेकिन उसकी आँखें बंद थीं।
चेहरा शांत, लेकिन उसकी बॉडी से जैसे बिजली निकल रही हो।
---
दत्ता और ऋषभ बोले:
> "ये नामुमकिन है... वो उठ कैसे गया?!"
दत्ता:
> "ये... Autonomous Ultra Instinct..."
---
Ultra Instinct क्या है?
जब इंसान का दिमाग और शरीर खुद-ब-खुद खतरे को भांपकर
'बिना सोचे-समझे' रिफ्लेक्स पर ही हर अटैक को डॉज करने लगे।
ना आँखें खुली, ना सोच...
सिर्फ बॉडी, सिर्फ इंटिंक्ट।
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अब अर्जुन और गामा ने मिलकर सबसे खतरनाक अटैक किया।
लेकिन एक भी वार... ऋषिकेश पर नहीं लगा।
ऋषिकेश ने आँखें बंद ही रखते हुए
उन दोनों को इतनी रफ्तार और ताकत से मारा...
कि दीवारें तक कांप उठीं।
Punch, Kick, Elbow, Shoulder Smash
सबके सब फिल्मी नहीं, रियल आर्मी ट्रेनिंग के अंदाज़ में।
R-rated फाइट:
खून, टूटी हड्डियाँ, दीवारों पर धक्का, टेबल टूटना, खिड़की के शीशे फटना।
गामा के जबड़े टूटे, अर्जुन के पसलियाँ।
---
आख़िर में...
दोनों एस-रैंक अपराधी — जमीन पर पड़े, हारे, अधमरे।
दत्ता, ऋषभ सब हैरान:
> "ये... क्या था?"
---
दत्ता बोला:
> "उसे भी नहीं पता उसकी ये ताकत...
उसके दिल में अपने दोस्तों और बीवी के लिए जो आग जगी... वो ही उसकी ताकत है।"
---
लेकिन अगले ही पल...
ऋषिकेश खुद जमीन पर गिर पड़ा।
अब उसका शरीर भी जवाब दे चुका था।
गामा फुसफुसाया:
> "Game Over... हमें यहाँ से भागना होगा।"
भीमसिंह चौहान (गामा पहलवान) खून से लथपथ, ज़मीन पर पड़ा, हाँफते हुए बोला —
> "Game Over...! हमें यहाँ से भागना होगा... ये हॉस्पिटल कभी भी ब्लास्ट हो सकता है..."
अर्जुन नागरे (Taekwondo Champion) गुस्से में चीख पड़ा —
> "नहीं! हम यहाँ से ऐसे खाली हाथ नहीं जा सकते! हमारा मिशन अधूरा रहेगा!"
"हमें वो चाबी चाहिए...! वो चाबी जिसके बिना हमारा काम अधूरा है... और वो इस रोशन अग्रवाल के पास ही है!"
गामा गुस्से से दाँत भींचते हुए बोला —
> "अगर हमें वो चाबी नहीं मिली, तो समझ लो... हम दोनों की लाशें यहीं सड़ेंगी! बॉस हमें जिंदा गाड़ देगा!"
अर्जुन:
> "हाँ...! अगर वो चाबी नहीं मिली तो हम बर्बाद! समझे...? ये सिर्फ मिशन नहीं... हमारी ज़िंदगी और मौत का सवाल है!"
---
गामा धीरे से उठा... उसकी साँसे तेज़ थी, शरीर थरथरा रहा था लेकिन डर उसके चेहरे पर साफ था।
> "अभी वक्त नहीं बचा अर्जुन... ब्लास्ट कभी भी हो सकता है।"
अर्जुन:
"फिर भी हमें चाबी चाहिए... नहीं तो मरना वैसे भी पक्का है!"
दत्ता, ऋषभ और ऋषिकेश सब ये बातें सुन चुके थे...
अब उन्हें समझ आ गया कि ये हमला सिर्फ रोशन को मारने या हॉस्पिटल उड़ाने के लिए नहीं था...
"कोई सीक्रेट चाबी..." कोई ऐसा राज़... जो रोशन के पास छुपा है!"
---
गामा बोला:
> "चलो अर्जुन... हमें अपनी जान बचानी होगी!"
अर्जुन:
> "हा... लेकिन बॉस का डर मौत से बड़ा होता है।"
भीमसिंह चौहान (गामा पहलवान) अभी जमीन पर बैठा ही था, तभी उसके फोन पर कॉल आया।
गामा (डरते हुए, पसीने में):
> "ह... हेलो, बॉस बोलिए..."
फोन के दूसरी तरफ़ एक ठंडी, खतरनाक आवाज़ —
> "Mission पूरा हो गया...? हॉस्पिटल वैसे भी उड़ जाएगा। टाइमर ऑन कर दो, और लौट आओ..."
गामा हड़बड़ाते हुए:
> "जी... Boss, अभी करते हैं।"
---
अर्जुन नागरे गुस्से में बोला:
> "Boss...! हमें वो चाबी नहीं मिली... जिस काम के लिए हम आए थे वो अधूरा..."
फोन की आवाज़ आई:
> "तुमसे जो कहा, वही करो... बाकी काम वक्त करवा लेगा। चाबी तो मिलेगी... रोशन अभी ज़िंदा है, तो रास्ता भी बाकी है। लौटो!"
गामा:
> "Yes Boss... समझ गया।"
---
गामा और अर्जुन पीछे मुड़े जाने के लिए,
लेकिन जाते-जाते अर्जुन एक खतरनाक अंदाज़ में पीछे मुड़ा और कहा:
> "आज किस्मत से बच गए... लेकिन अगली बार... तुम्हारी जान मेरी होगी। याद रखना..."
---
दत्ता (गुस्से में):
> "सिर्फ एक चाबी के लिए... इतनी तबाही? लोग मरते... अस्पताल उड़ाते...? आखिर वो चाबी है क्या...?"
अर्जुन (मुस्कुराते हुए, कोई जवाब नहीं देता)... चुपचाप वहां से निकल जाता है।
---
गामा बम का टाइमर ऑन कर चुका था... अब हॉस्पिटल खतरे में था।
अर्जुन और गामा दोनों गायब...
छोड़ गए सिर्फ खून, तबाही और... एक अनजाना डर।
दूसरी तरफ...
सावरभ बार-बार कोशिश करता रहा Hospital में लगे बम को Diffuse करने के लिए।
लेकिन...
सावरभ (घबराते हुए बोला):
> "ये बम अब नहीं रुकेगा... फटेगा ज़रूर।
लेकिन हमें थोड़ी मोहलत मिली है... 10 मिनट का टाइम है।
हमें सबको जल्दी से जल्दी बाहर निकालना होगा।"
---
उधर गामा और अर्जुन, अपने-अपने लोगों को लेकर जा चुके थे।
गामा ने जाते-जाते कहा:
> "चलो, मिशन पूरा हुआ... अब यहाँ से निकलते हैं।"
---
देवा (हैरानी में):
> "ये कैसे हो गया...? वो लोग ऐसे ही चले गए...? बिना कुछ लिए...?!"
सावरभ (गंभीरता से):
> "अभी सवालों का वक़्त नहीं... ये हॉस्पिटल कभी भी उड़ सकता है।
जल्दी सबको बाहर निकालो!"
---
रेस्क्यू शुरू...
सावरभ भागकर रोशन के पास पहुँचा।
उधर देवा, तुषार और अमर,
बाकी मरीज़ों और स्टाफ को बाहर निकालने लगे।
सभी पेशेंट्स को एम्बुलेंस में डालकर पास के दूसरे हॉस्पिटल भेजा गया।
---
दत्ता, ऋषिकेश और ऋषभ तीनों ने मिलकर
रोशन को स्ट्रेचर पर डाला और बाहर भागे।
ऋषिकेश की पत्नी भी उनके पीछे-पीछे भाग रही थी, उसकी आँखों में डर था लेकिन हिम्मत नहीं टूटी थी।
---
कई मिनट की दौड़-भाग और चिल्ल-पुकार के बाद,
सब आखिरकार हॉस्पिटल से बाहर आ गए।
---
Hospital Blast का Scene (Cinematic Feel में):
गामा और अर्जुन पास की बिल्डिंग पर खड़े होकर सब देख रहे थे।
नीचे पुलिस, एम्बुलेंस, घायल लोग, भगदड़ का माहौल।
अचानक —
"BEEP... BEEP... BEEP..."
BOOOOOMMMMM!!!
पूरा हॉस्पिटल एक जोरदार धमाके के साथ उड़ गया।
धुआँ, आग, पत्थर, काँच सब चारों तरफ़ बिखर गया।
पूरा आसमान लाल हो गया।
लोग चीखने लगे।
---
गामा (सिगरेट जलाते हुए मुस्कराकर बोला):
> "ये हुई ना बात...!"
1. बचपन का सपना...
अर्जुन एक गरीब परिवार से था, लेकिन उसकी आँखों में सिर्फ़ एक सपना था –
Taekwondo का World Champion बनना।
उसके पिता मज़दूरी करते थे, दिनभर की मेहनत के बाद भी इतना नहीं कमा पाते थे कि अपना इलाज करा सकें।
फिर भी वो बीमार होते हुए भी काम करते रहे… सिर्फ़ एक वजह से...
"मेरे बेटे अर्जुन को तायक्वोंडो सिखाना है, उसे एक दिन Champion बनाना है।"
उसकी माँ दिन-रात लोगों के घरों में काम करती थी।
माँ हर रोज़ अर्जुन से कहती:
> "बेटा, एक दिन जब तू चैंपियन बनेगा ना… तेरी माँ और तेरा मरा-बाप भी चैन से सोएँगे।"
---
लेकिन वो दिन कभी नहीं आया...
उसके पिता इलाज के बिना ही मर गए।
अर्जुन रोता रहा, लेकिन माँ ने उसका सिर सहलाते हुए कहा –
> "तेरे पिता ने अपने सपनों को मारा ताकि तुझे टूर्नामेंट में भेज सके।
अब तुझे ये जीतकर दिखाना ही होगा। अपना सब कुछ इस एक बार में लगा दे।"
अर्जुन ने आँसू पोंछकर कहा –
> "हाँ माँ, मैं तुम्हारे लिए जीतूँगा।"
---
लेकिन वो टूर्नामेंट अर्जुन के लिए कभी आया ही नहीं।
पैसे वाले, ताक़तवर लोग चाहते थे कि अर्जुन आगे न बढ़े।
उन्हें डर था... "ये लड़का अगर जीत गया, तो हमारे बेटे हार जाएँगे।"
उन्होंने अर्जुन को फॉर्म तक भरने नहीं दिया।
हर जगह उसके रास्ते बंद कर दिए।
---
उसी रात... अर्जुन जब टूटा-हारा घर लौटा…
कुछ गुंडे आए।
उनके पास गन थी।
मकसद था - अर्जुन को हमेशा के लिए ख़त्म कर देना।
लेकिन... जब गोलियाँ चलीं…
अर्जुन की माँ उसके आगे आ गई।
गोली उसकी माँ के सीने में लगी।
माँ ज़मीन पर गिरी…
अर्जुन की गोद में… धीरे-धीरे मरती हुई।
माँ की आख़िरी बात:
> "बेटा... ये दुनिया बस पैसे और ताक़त वालों की है...
तेरा कोई नहीं सुनेगा... तेरी माँ जा रही है... माफ़ करना..."
माँ की साँस टूट गई… अर्जुन की आँखों में कुछ टूट गया…
उसका दिल।
---
...
गुंडों ने समझा अर्जुन भी अब टूटा होगा...
लेकिन अर्जुन का ग़ुस्सा फूटा...
उसने अपनी माँ की लाश के सामने… पहली बार उस असली तायक्वोंडो को दिखाया… जिसे कोई नहीं जानता था।
उसने उन सबको...
Back Kick, Round Kick, Head Kick, Punch…
सबकी हड्डियाँ तोड़ दी…
कोई खून में गिरा… कोई तड़पकर मर गया।
---
...
जब अर्जुन लहूलुहान खड़ा था, तभी वहाँ आया एक आदमी...
भीमसिंह उर्फ़ गामा पहलवान।
सारा मंजर देखकर बोला:
> "मुझे पता था तुम्हें रोकने की कोशिश होगी…
ये सब वो लोग थे जो नहीं चाहते थे कि तुम जीतो।
लेकिन बेटा, अब सब ख़त्म हो गया।
अब एक ही रास्ता है – हमारे साथ आओ।"
अर्जुन (आँखों में आँसू लिए):
> "मेरी माँ मर गई… मेरे सपने मर गए… अब मैं किसके लिए जिऊँ?"
गामा ने कहा:
> "अब तुम्हारे पास बदला लेने का मौका है।
तू हमारे साथ आ, तुझे पैसा मिलेगा… ताक़त मिलेगी…
नाम मिलेगा… और वो लोग भी मरेंगे जिनकी वजह से तेरी माँ मरी।
लेकिन एक शर्त… सारी ज़िंदगी हमारे Boss के लिए काम करना होगा।"
---
अर्जुन की आँखों में बदले की आग जल चुकी थी…
उसने हाँ कर दी।
गामा ने उन लोगों का पता बताया...
अर्जुन ने एक-एक कर सबको ढूँढकर मारा।
Taekwondo के हर उस क़ातिलाना दांव से…
जिससे कोई दोबारा उठ न पाए।
चीखें… खून… आँसू… बदला पूरा हुआ।
---
...
उस दिन के बाद अर्जुन ने खेल का रास्ता छोड़ा और जुर्म की दुनिया में कदम रखा।
आज वो तायक्वोंडो चैंपियन नहीं, एक क़ातिल है... Boss का खास आदमी।
लेकिन उसके दिल में आज भी दर्द है…
"मेरी माँ की मौत, मेरे बाप का सपना… सब इस दुनिया ने छीना।"
---
"ये दुनिया सिर्फ़ ताक़त और पैसे वालों की है…
जो गरीब के पास कुछ नहीं, वो या तो मर जाएगा… या मेरे जैसा बन जाएगा।
अब बस एक बार… वो चाबी मेरे हाथ लगे… सब खत्म कर दूँगा।"
अर्जुन, चुपचाप खड़ा था... उसकी आँखों में कुछ और ही चल रहा था।
गामा ने पूछा:
> "क्या सोच रहा है अर्जुन...?"
---
अर्जुन (धीरे से बोला, जैसे कोई टूटी याद दिल में चुभ रही हो):
> "एक वक़्त था... जब मैं बहुत बड़ा Taekwondo Champion था... लोग मुझे आदर्श मानते थे।
और आज... मैं यहाँ हूँ...
लेकिन जो भी हो... एक बात पक्की है..."
> "हम फिर लौटेंगे... और उस बार... कोई नहीं बचेगा।"
गामा हँसा।
> "हाँ, तभी तो हम S-रैंक अपराधी हैं...!"
बाहर सब चीख-पुकार मची थी। हर कोई यही पूछ रहा था – "क्या हुआ? सब ठीक है ना?"
किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, सिर्फ़ एक ही बात साफ़ थी – "हॉस्पिटल उड़ाया गया है।"
तभी…
भीड़ में से धीरे-धीरे एक लड़की आगे आई…
उसके चेहरे पर चिंता थी… आँखों में आँसू…
वो सीधे Roshan के पास आई, जो अधमरी हालत में ज़मीन पर पड़ा था।
वो लड़की घुटनों के बल बैठी… और रोती हुई बोली –
> "तुम ठीक तो हो ना? पागल… तुम्हें कुछ हो जाता तो…!!"
सभी हैरान थे… Savarbh ने पूछा –
> "आप कौन हैं?"
लड़की ने आँसू पोछते हुए कहा –
> "मैं इसे जानती हूँ… लेकिन मैं नहीं बता सकती कि मैं कौन हूँ।"
तभी Doctor बोले –
> "हमें इसे फिर से हॉस्पिटल ले जाना होगा… इलाज ज़रूरी है।"
Roshan को स्ट्रेचर पर डाला गया… उसकी साँसें धीमी थीं…
---
Roshan को होश आया...
कुछ देर बाद…
Roshan की आँखें खुली…
सामने वही लड़की… उसकी आँखों में वो बेचैनी… वो प्यार… जो शायद सालों पहले अधूरी रह गई थी।
Roshan हैरान… धीरे से बोला –
> "तुम? तुम यहाँ…?"
लड़की हल्के से मुस्कराई… उसकी मुस्कान में अजीब सुकून था।
> "तुम्हें आराम करना चाहिए… यहाँ बहुत कुछ हो चुका है… पर अब सब ठीक होगा।"
---
उस लड़की के लंबे-लंबे खुले बाल… चेहरे पर हल्की मासूम सी मुस्कान… गालों पर हलकी गुलाबी रंगत… और आँखें… जैसे कोई कहकशां।
उसके आँसू उसकी पलकों पर मोती जैसे चमक रहे थे…
वो इतनी खूबसूरत लग रही थी… कि हर कोई उसे देखता ही रह गया।
Rushikesh की वाइफ हैरान रह गई…
> "ये… Angel है? इतनी खूबसूरत… इतनी मासूम… जैसे कोई परी उतरी हो…!"
Savarbh भी चुप था…
> "इतनी प्यारी… और ये Roshan की Angel…!"
---
Angel और Roshan…
दोनों बस एक-दूसरे को देख रहे थे… जैसे दिल में कहने को बहुत कुछ हो… लेकिन लफ़्ज़ नहीं मिल रहे।
Angel के होठों पर हलकी मुस्कान… Roshan के चेहरे पर सुकून…
सालों से बिछड़े, लेकिन उस एक पल में दोनों की आँखों ने सब कह दिया…
Roshan धीमे से बोला –
> "Angel… तुम यहाँ कैसे…?"
Angel ने मुस्कराकर कहा –
> "बस… किसी को तो आना था ना… तुम्हारी जान बचाने।"