akhari muskan in Hindi Love Stories by kajal Thakur books and stories PDF | आख़िरी मुस्कान

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आख़िरी मुस्कान

किरदार:अवनि – एक सीधी-सादी, दिल से प्यार करने वाली लड़की।

ऋषभ – एक समझदार लेकिन उलझा हुआ लड़का, जो प्यार से ज़्यादा अपने डर से घिरा रहता है।


कहानी:सर्दियों की एक शाम थी, जब अवनि पहली बार ऋषभ से मिली थी — एक कॉलेज प्रोजेक्ट के दौरान। ऋषभ शांत था, कम बोलने वाला, लेकिन उसकी आंखों में कुछ था जो अवनि को खींचता चला गया।धीरे-धीरे दोनों के बीच बातें बढ़ीं, मुस्कानें बढ़ीं और फिर वो लम्हा आया जब ऋषभ ने कहा था —

"तुमसे मिलकर मुझे पहली बार लगा, कि दिल भी कुछ होता है।"अवनि मुस्कुरा दी थी। वो रिश्ता जो एक प्रोजेक्ट से शुरू हुआ था, अब उसकी ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत हिस्सा बन चुका था।

ऋषभ के साथ हर छोटी चीज़ बड़ी लगने लगी थी — कैंटीन में बैठकर चाय पीना, रात को देर तक कॉल्स, और वो Goodnight messages जिनमें प्यार छुपा होता था।पर कहते हैं ना, हर कहानी में एक मोड़ आता है।ऋषभ पिछले कुछ दिनों से बदलने लगा था। कॉल्स कम हो गईं, बातें छोटी हो गईं, और वो मुस्कान जो अवनि के लिए थी — अब कहीं खो गई थी।

अवनि ने पूछना चाहा, समझाना चाहा, लेकिन ऋषभ के जवाब में सन्नाटा होता।फिर एक दिन ऋषभ ने कहा —"हम अब पहले जैसे नहीं रहे, अवनि... शायद हमें रुक जाना चाहिए।"अवनि का दिल टूट गया। वो बोली —

"मैंने तो आज भी वही प्यार संभाल कर रखा है, ऋषभ... पर अगर तुमने रास्ता बदल लिया है, तो मैं ज़बरदस्ती नहीं करूंगी।"ऋषभ चुप था... और अवनि की आंखों में आंसू।वो दिन आख़िरी था

ऋषभ चला गया, और पीछे रह गई बस "आख़िरी मुस्कान" — जो अवनि ने उस दिन ऋषभ को दी थी, ताकि उसका आख़िरी लम्हा भी यादगार बन जाए।अब अवनि अकेली है, लेकिन टूटी नहीं।वो जानती है —"

कभी-कभी ब्रेकअप, प्यार की हार नहीं, बल्कि खुद से प्यार करने की शुरुआत होता ह

 ब्रेकअप स्टोरी "आख़िरी मुस्कान" का अगला भाग लिखते हैं —"फिर मुस्कराई अवनि

भाग 2: फिर मुस्कराई अवनि

ब्रेकअप के बाद के कुछ हफ्ते जैसे किसी तूफान से कम नहीं थे।हर जगह ऋषभ की यादें थीं — कॉलेज के गलियारे, वो कॉफी की दुकान, यहां तक कि उसके मोबाइल के वॉलपेपर तक।

पर एक दिन अवनि ने आईना देखा...और खुद से पूछा —"मैं क्यों टूटी हूं? क्या मेरी पूरी पहचान सिर्फ ऋषभ थी?"

उसी दिन, उसने एक नई डायरी खोली और पहले पन्ने पर लिखा —

"अब मैं खुद के लिए जिऊंगी।""जो चला गया, उसका शुक्रिया… लेकिन अब जो आएगा, वो मेरा खुद से किया गया वादा होगा।"

अवनि ने अपने शौक़ फिर से पकड़े —● उसने पेंटिंग करना शुरू किया,● योगा जॉइन किया,● हर सुबह सूरज से बात करने लगी,● और सबसे बड़ी बात — उसने खुद को माफ किया।

उसे एहसास हुआ कि प्यार करना ग़लत नहीं था, लेकिन खुद से प्यार ना करना ग़लती थी।

एक दिन, एक नई क्लास में एक नया चेहरा मिला — अर्जुन।

अर्जुन बिलकुल अलग था — वो अवनि की तकलीफ को बिना पूछे समझ जाता था।उसने ना कभी पुरानी बातें पूछीं, ना ही उसकी उदासी को जज किया।

अर्जुन बस सुनता था, मुस्कराता था… और धीरे-धीरे अवनि की हँसी लौट आई।

अवनि अब पूरी तरह बदल चुकी थी — वो पहले से ज़्यादा मजबूत, खुश और आत्मनिर्भर बन चुकी थी।

और एक दिन... कॉलेज के गेट पर ऋषभ मिला।

उसने देखा —वो वही अवनि थी,पर अब उसकी आंखों में कोई इंतज़ार नहीं था।उसके चेहरे पर शांति थी… और "फिर मुस्कराई अवनि..."

सीख:कभी-कभी लोग हमारी जिंदगी में आते हैं ताकि हम सीख सकें कि प्यार देना जितना ज़रूरी है, खुद को अपनाना उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है।

 तो मैं इसका तीसरा और आख़िरी पार्ट भी लिख सकती हूँ — जिसमें अवनि की नई ज़िंदगी का एक खूबसूरत मोड़ दिखाया जाएगा।