Ishq ki Library - 24 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | इश्क की लाइब्रेरी। - 24

Featured Books
Categories
Share

इश्क की लाइब्रेरी। - 24

24

 पिछले चैप्टर में हम पढ़ते हैं कि माया के घर में नवरात्रि की पहली आरती हो रही थी और वहीं दूसरी तरफ अभय और रोहन माया की बात कर रहे थे जिसकी वजह से इंद्रजीत को बड़ा गुस्सा आ रहा था। 
अब आगे 
इंद्रजीत शावर के नीचे भीगते हुए अपने आप से बोला की क्या हो रहा है मुझे क्यों मैं उस लड़की की तरफ इतना खिंचाव महसूस कर रहा हूं क्या किसी के दो मुलाकात में इतना खिंचाव महसूस होता है क्या?

आखिर क्यों मुझे उस लड़की के आसपास होने पर अपनापन लगता है आखिर क्यों मेरा दिल उसके सामने होने से धड़कने लगता है। 
आखिर क्यों उसका होना मेरे चांद के होने के जैसा एहसास दिलाता है।
ऐसे ही सोचते सोचते इंद्रजीत ने अपने हाथ का मुक्का बनाकर बाथरूम के दीवार पर जोर से मार देता है क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे यह कैसे एहसास हो रहे हैं। 
कुछ देर बाद इंद्रजीत नहा कर बाहर आता है इस वक्त उसने अपने कमर पर एक सफेद कलर का टॉवल लपेटा हुआ था और दूसरे हाथ से सर पहुंच रहा था। 
तभी उसकी नजर आईने पर पड़ी जहां पर उसके सीने पर चांद का टैटू बना हुआ था जिसे देखकर इंद्रजीत के चेहरे पर सुकून छा जाता है। 
वह धीरे से आईने के पास जाकर अपने सीने को छूता है और बोलता है यह जो ऐसास  हो रहा है वह गलत है मेरे एहसासों पर, मेरे चाहतों पर और मेरी सांसों पर सिर्फ और सिर्फ मेरी चांद का हक है। 
इन एहसासों पर किसी का भी हक नहीं है किसी का भी नहीं माया का भी नहीं।
 इतना बोलकर वह अपनी आंखें बंद कर लेता है। 

फ्लैशबैक 

20 साल का इंद्रजीत एक कैफे में बैठकर कुछ सोच रहा था इस वक्त इंद्रजीत के चेहरे पर बहुत ही ज्यादा परेशानी वाली भाव थे।
जिसे देखकर कोई भी आसानी से समझ सकता था कि वह कितना परेशान है। 
इंद्रजीत सोचते सोचते कॉफी पी रहा था कि ,तभी उसके टेबल के सामने वही 15 साल की लड़की बैठी हुई थी जिसने आज भी अपने चेहरे पर बटरफ्लाई वाला मास्क पहना था। 
वह लड़की इंद्रजीत को कुछ देर ऐसे ही निहारती है पर इंद्रजीत का ध्यान तो कुछ सोचने में था जिसकी वजह से उसे एहसास नहीं होता कि कोई उसके सामने बैठा हुआ है।
तभी वह लड़की इंद्रजीत को उसके ध्यान से निकलने के लिए अपने हाथ को टेबल पर टैप करती है जिसकी वजह से इंद्रजीत का ध्यान उसे लड़की के मुस्कुराते हुए चेहरे पर चला जाता है। जिसकी वजह से इंद्रजीत के चेहरे पर भी एक पल के लिए  छोटी सी मुस्कान आ जाती है। 
वह लड़की अपने चेहरे पर मासूमियत सी मुस्कान लाते हुए बोले हेलो हीरो तुमसे फिर से मिलकर बहुत खुशी हुई।

इंद्रजीत उस लड़की को देखकर बोला तुम यहां क्या कर रही हो वह भी अकेले तुम्हें नहीं लगता कि बच्चों को अपने बड़ों के साथ रहना चाहिए जब देखो तब तुम यहां वहां अकेली दिखती हो, क्यों  कहां है तुम्हारे बड़े, वह तुम्हें कुछ नहीं बोलते यूं इस तरह अकेले घूमने पर। (इस वक्त इंद्रजीत के चेहरे पर कठोर और चिंता के मिले-जुले एक्सप्रेशंस है)
जिसे देखकर वह लड़की इंद्रजीत को अपनी प्यारी टिमटिमाती हुई आंखों से देखकर बोली क्या तुम्हें मेरी चिंता हो रही है? 
उसे लड़की की बात सुनकर इंद्रजीत अपने गले को खराशते हुए बोला ऐसे कोई बात नहीं है मैं तुम्हारी चिंता नहीं कर रहा हूं बस तुम्ह से पूछ रहा हूं तुम यहां अकेली आई हो या किसी बड़े के साथ। 
वह लड़की इंद्रजीत की बात सुनकर अपना मुंह बनाते हुए बोली मैं अपने दादू के साथ आई हूं वह अभी किसी काम से किसी के साथ बात कर रहे हैं उनकी बातें सुनकर बड़ा बोर हो रहा था जिसकी वजह से मैं इस कैफे के अंदर आई तो तुम्हें यहां देख कर तुम्हारे पास आकर बैठ गई
 उसे लड़की की बात सुनकर इंद्रजीत कोई जवाब नहीं देता है और फिर से अपना कॉफी पीने लगता है वह लड़की अपने पैरों को इधर-उधर हिलाते हुए कैफे को बड़ी गौर से देखती है तभी उसकी नजर किसी पर जाती है और वह उस चीज को बड़ी शिद्दत के साथ देखती हैं। 
जो इंद्रजीत कॉफी पी रहा था उसे लड़की की कोई भी आवाज न पाकर उसे लड़की की तरफ देखता है 
तो वह लड़की की नजर कहीं और देखकर वह भी उसे नजर का पीछा करने लगता है तो देखता है कि उसे लड़की की नजर एक आइसक्रीम पर थी जिसे देखकर इंद्रजीत के चेहरे पर हंसी आ जाती है और वह उसे लड़की से बोलता है क्या तुम्हें वह आइसक्रीम खाना है वह लड़की उसे आइसक्रीम को देखते हुए ही बोलती है हां बड़ा टेस्टी लग रहा है मुझे भी चाहिए। 
जिसे देखकर इंद्रजीत वेटर को बुलाता है तभी वह लड़की होश में आती है और इंद्रजीत की तरफ देखती है जो वेटर को उसे आइसक्रीम का  ऑर्डर देता है। 
वह लड़की वेटर के जाने के बाद इंद्रजीत को खुश होकर देखाती है और उसे खुशी से थैंक यू बोलती है ।
कुछ ही देर में वह वेटर आइस क्रीम लाता है।
उसे आइसक्रीम को देखकर उसे लड़की की काली आंखों में एक चमक सी आ जाती है वेटर आइसक्रीम टेबल पर रखता है। 
तो वह लड़की झट से उसे आइसक्रीम को लेकर खाने लगती है वह इतने प्यारे तरीके से खा रही थी जिसे देखकर कोई भी मंत्र मुक्त हो सकता था। 

इंद्रजीत कोई ख्याल आता है जिसकी वजह से वह उसे लड़की को बोलता है देखो तुम्हें ना आगे से ध्यान रखना होगा कि किसी भी अनजान से कोई भी चीज नहीं लेते हैं आज मैं हूं इसलिए कुछ नहीं बोला पर ध्यान रखो ठीक है। 
वह लड़की इंद्रजीत की बात सुन रही थी जैसे इंद्रजीत बात खत्म कर कर अपनी कॉफी पीता है तो वह लड़की अपने मुंह में की आइसक्रीम निगलते  हुए एकदम से बोलती है डॉन'टी वरी मैं किसी स्ट्रेंजर से कुछ भी नहीं लेती हूं वह तो तुम मेरे फ्यूचर हसबैंड होना जिसकी वजह से मैंने तुमसे आइसक्रीम लिया है ।

और अपना ध्यान फिर से आइसक्रीम खाने में लगाती है। 
इंद्रजीत उसे लड़की की बात सुनकर अपने मुंह से कॉफी बाहर निकलते निकलते रह जाता है इस वक्त उसे बहुत जोर से खांसी आ रही थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह इस छोटी सी बच्ची को क्या बोले।

तभी  इंद्रजीत के दिमाग में एक बात आती है और वह उसे बच्ची से पूछता है तुम्हारा नाम क्या है तब वह बच्ची कुछ सोच कर इंद्रजीत से बोलती है जो तुम बुलाना चाहो वह बुलाओ मैं अपना नाम तुम्हें तब बताऊंगी जब तुम मुझसे शादी करने के लिए तैयार हो जाओगे। 
इस बार फिर से इंद्रजीत के चेहरे पर शॉकींग एक्सप्रेशन थी क्योंकि इस बच्ची के हर बात आकर शादी पर रुकती थी। 
तभी वेटर बिल लेने के लिए इंद्रजीत की तरफ आता है तो इंद्रजीत बिल भर भी देता है उसके बाद अपने सामने देखता है तो वह लड़की फिर से गायब हो गई थी पर उसने जानें  से पहले एक नोट इंद्रजीत के लिए छोड़कर गई थी जिस पर लिखा था थैंक यू सो मच फर आइसक्रीम माय फ्यूचर हबी बाय-बाय हीरो।

present time इंद्रजीत अपनी आंखें खोलता है तो उसकी नज़र आईने की तरफ जाती है जिसमें वह साफ-साफ अपनी आंखों में सुकून देख पा रहा था वह अपने सीने पर हाथ रखकर खुद से बोलता है चांद जल्दी में तुम्हें ढूंढ लूंगा और तुम्हें अपना बना लूंगा इतना बोलकर वह क्लोज इट रूम की तरफ चला जाता है। 

वहीं दूसरी तरफ रोहन अपने कमरे के खिड़की के पास खड़ा होकर आसमान को निहार रहा था क्योंकि उसके आंखों के सामने बार-बार मोहना की तस्वीर घूम रही थी। इस वक्त रोहन के चेहरे पर एक दिलकश मुस्कान थी। 
तभी अभय रोहन के कमरे में आता है तो देखता है कि रोहन एक टक आसमान को घूर रहा था और मन ही मन मुस्कुरा रहा था जिसे देखकर वह चुपचाप से उसके पीछे जाता है और उसके कानों में धीरे से बोलता है क्या वह लड़की  सच में इतनी खूबसूरत है जिसे सोच कर ही तुम इतना मुस्कुरा रहे हो। 
रोहन खोए हुए लहजे में बोलता है खूबसूरत  भी उसे देखकर शर्मा जाए वह उससे ज्यादा खूबसूरत है ।।।


तभी वह अपने होश में आता है तो अभय के गरदन को अपने कंधे पर देखकर डर के मारे चीलाता है आआआआआआआआआआआआआआआ
जिसे देखकर अभय भी जोर से चिल्लाने लगता है अअअअअअअअअअअअ
तभी उन दोनों की आवाज सुनकर इंद्रजीत भी उनके कमरे में आता है तो देखता है कि दोनों के दोनों पागलो।  की तरह एक दूसरे को देखकर चीला रहे थे। 

कौन है चांद ?
क्या कभी मिलेगी चांद इंद्रजीत को


अब आगे कहानी में क्या होगा जानने के लिए पढ़िए है इश्क की लाइब्रेरी।