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शादी के बाद सब बदल गया।
पहले सुबह उठते ही माँ की आवाज़ सुनाई देती थी –
“बेटा, उठ जा, नाश्ता तैयार है।”
अब अलार्म बजता है… और एक अजनबी घर में चुप्पी गूंजती है।
पहले छोटी-छोटी बातों पर माँ को घंटों सुनाया करती थी,
अब मन भारी होता है, लेकिन कहने को कोई नहीं होता।
हर त्यौहार पर माँ के हाथों का हलवा,
अब बाजार की मिठाई में तलाशती हूँ।
माँ, तू कहती थी ना —
“शादी के बाद लड़की अपने घर चली जाती है…”
पर सच तो ये है माँ,
वो कहीं की भी नहीं रह जाती।
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अब सास के सामने बोलने से डर लगता है,
रोने का मन हो तो तकिए में मुँह छुपा लेती हूँ।
हर काम में अपनी मर्जी नहीं चलती —
और जो अपने थे, वो अब "तेरे घरवालों" कहकर अलग कर दिए जाते हैं।
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माँ, तू समझती है ना?
जब कोई कहता है —
“अब तो तुम्हारा असली घर यही है”,
तो दिल करता है चिल्ला कर कहूं —
"नहीं! मेरा घर वो था जहाँ माँ थी…
जहाँ मैं सिर्फ बेटी थी।"
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तेरे आँचल की वो छाँव…
तेरा डाँटना…
तेरा बिना बोले समझ जाना…
शादी ने मुझे औरत तो बना दिया माँ,
लेकिन तेरी गोद में जो सुकून था —
वो अब इस दुनिया में कहीं नहीं।
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अब समझ में आता है माँ,
जब तू कहती थी —
‘बेटी रानी, जब तू चली जाएगी ना…
तो मेरी दुनिया सूनी हो जाएगी।’
पर माँ —
मेरी भी हो गई है।माँ, तू कहती थी —
"शादी के बाद बेटी अपना घर छोड़ देती है, पर वहां उसे अपना घर मिल जाता है।"
पर माँ, मुझे ना अपना-सा कुछ भी नहीं लगता यहाँ।
तेरा वो आँचल, तेरे हाथों का परांठा, तेरी मीठी डाँट — सब कुछ अब बस यादों में है।
माँ, मैं अब भी वही हूँ…
जो स्कूल से आकर तुझसे लिपट जाती थी,
जो तेरे साथ रसोई में खिलखिलाती थी,
जो बिना बोले तुझे सब कुछ कह देती थी।
पर अब ये शादीशुदा दुनिया — समझौते, जिम्मेदारियाँ और चुप्पियों से भरी हुई है।
हर मुस्कान में नकाब है, हर हँसी के पीछे थकावट।
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कल जब तेरी याद में फोन मिलाया,
तो तूने कहा – "बेटा, सब ठीक है न?"
मैं चुप रही…
कहने को बहुत कुछ था,
पर कह ना सकी।
कभी-कभी सोचती हूँ — क्या बेटियाँ शादी के बाद सिर्फ किसी की बहू बन जाती हैं?
उनकी खुद की पहचान खो जाती है क्या?
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💌 अंतिम पंक्तियाँ:
> माँ, तू जहाँ भी है —
जान ले…
मैं अब भी वही हूँ,
तेरी गोदी में सिसकती,
तेरी रसोई में खेलती,
तेरी वो नादान, ज़िद्दी…
पर तुझसे बेपनाह मोहब्बत करने वाली बेटी।
"ये कहानी हर उस बेटी की है जो शादी के बाद मुस्कराती है… पर अंदर से रोज़ माँ को याद करती है।" 💔यहाँ सब कुछ है — घर, लोग, रिश्ते…
पर तेरे बिना हर रिश्ता अधूरा लगता है।
कभी कभी सोचती हूँ —
क्या एक लड़की सिर्फ एक बार ही बेटी होती है?
क्या शादी के बाद वो हक भी चला जाता है…
तेरे सीने से लगकर बच्ची बन जाने का?
माँ, तू बस इतना जान ले —
तेरे बिना मैं रोज़ ज़िंदा तो रहती हूँ…
पर जीती नहीं हूँ।
क्योंकि मैं आज भी तेरी वही बेटी हूँ…
जो तुझमें खुद को सबसे ज्यादा पूरा महसूस करती है।"और मां तेरे लिए कुछ गा रही हु मां के दिल से बड़ा दुनिया में कोई दिल नहीं ।तेरी बहुत याद आ रही मां मन कर रहा है बहुत रोती मै तेरे से लिपटकर पास होती तो।मेरी प्यारी मां ।