लव स्टोरी टाइटल: "तुम्हारी चाहत में"मुख्य किरदार:
गौतम: शांत, समझदार और दिल से बेहद सच्चा।
कायरा: चंचल, हंसमुख और दिल से बहुत गहरी।
"तुम्हारी चाहत में" — एक अनकही मोहब्बत की दास्तान
कॉलेज का पहला दिन था। भीड़ में बहुत से चेहरे थे, लेकिन गौतम की नजर सिर्फ कायरा पर जाकर रुकी। वो गुलाबी दुपट्टा उड़ाती, हँसती हुई क्लासरूम की तरफ बढ़ रही थी। उसके हँसने का अंदाज़ जैसे गौतम के दिल में घंटियाँ बजा गया।
गौतम, जो अब तक किसी लड़की से ठीक से बात नहीं कर पाया था, उसे देखता ही रह गया। पहली बार किसी की मौजूदगी इतनी खास लगी।
कायरा को भी गौतम में कुछ अलग सा दिखा। उसकी आँखों में सच्चाई थी, और एक ऐसा सुकून जो आजकल की दुनिया में कम ही मिलता है।धीरे-धीरे दोस्ती का रंग मोहब्बत में बदलने लगा।
कभी साथ लाइब्रेरी जाना, कभी कैंटीन में कॉफ़ी पीना, और कभी बस खामोश बैठकर एक-दूसरे को महसूस करना...
गौतम की डायरी में एक लाइन रोज़ लिखी जाती:“तुम्हारी चाहत में मैं खुद को खोता जा रहा हूँ, और ये खो जाना मुझे बेहद पसंद है।”पर हर कहानी में एक मोड़ आता है...
कायरा के घरवाले उसकी शादी तय कर चुके थे, और वो भी किसी ऐसे लड़के से जिसे उसने कभी देखा तक नहीं था। जब कायरा ने ये बात गौतम को बताई, उसकी आँखें भर आईं। लेकिन गौतम ने उसका हाथ थामकर कहा —
"अगर तुम्हारी खुशी उसमें है... तो मैं तुम्हारे लिए दर्द भी मुस्कुराकर सह लूंगा।"
कायरा रो पड़ी। लेकिन यही प्यार तो सच्चा था, बिना शर्तों के।फिर क्या हुआ...?
शादी के दिन, कायरा ने एक चिट्ठी छोड़ी:
"गौतम, तुमसे दूर जाना मेरी मजबूरी थी, लेकिन तुमसे मोहब्बत मेरी पहचान बन गई है। मेरी हर दुआ में तुम हो... और हमेशा रहोगे। तुम्हारी चाहत में मैं जी रही हूँ... हमेशा के लिए।"3 साल बाद...
एक कॉन्फ्रेंस में दो आँखें फिर मिलीं। वही गहराई, वही मुस्कान — कायरा और गौतम फिर एक-दूसरे के सामने थे।
पर इस बार कायरा आज़ाद थी… और गौतम अब भी अकेला था।
और फिर, उसी शाम दोनों ने एक साथ कॉफी पी।बिना कोई वादा किए, बिना कोई कसमें खाए... बस एक नजर ने सब कह दिया —
"अब हमारी मोहब्बत को किसी चिट्ठी में नहीं… ज़िंदगी में जीना है।"
"तुम्हारी चाहत में" अब एक अधूरी कहानी नहीं रही...बल्कि एक मुकम्मल मोहब्बत बन गई।
"तुम्हारी चाहत में - भाग 2" लिखती हूँ, जहाँ कायरा और गौतम की ज़िंदगी प्यार से आगे बढ़ती है — लेकिन नए मोड़ और इम्तहान भी सामने आते हैं..."तुम्हारी चाहत में – भाग 2: मोहब्बत की नई सुबह"
3 साल बाद की उस शाम ने सब बदल दिया था। कायरा और गौतम, जो एक बार बिछड़ चुके थे, अब फिर से साथ थे। इस बार कोई मजबूरी नहीं थी, कोई दीवार नहीं थी... सिर्फ दो दिल थे, जो अब एक ज़िंदगी बनाना चाहते थे।नई शुरुआत...
गौतम ने कायरा से कहा,
"चलो कहीं दूर चलें, जहाँ सिर्फ तुम और मैं हों, और हमारी अधूरी मोहब्बत पूरी हो।"
कायरा मुस्कुराई और बोली,
"मैं तो कब से इसी पल का इंतज़ार कर रही थी।"
उन्होंने एक छोटे शहर में साथ रहना शुरू किया, जहाँ वो दोनों टीचिंग का काम करने लगे। उनका घर छोटा था, मगर उसमें प्यार की खुशबू बड़ी थी।मगर ज़िंदगी हमेशा आसान कहाँ होती है...
कायरा को एक दिन अचानक चक्कर आने लगे। जब डॉक्टर के पास गई, तो रिपोर्ट में पता चला — वो मां बनने वाली थी।
गौतम खुशी से झूम उठा। उसने कायरा को गोद में उठाते हुए कहा —
"अब हमारी मोहब्बत का एक और हिस्सा इस दुनिया में आने वाला है।"पर सब कुछ इतना आसान नहीं था...
डॉक्टर ने बताया कि कायरा की प्रेग्नेंसी "हाई रिस्क" है। उसे बहुत ध्यान रखना होगा, तनाव से दूर रहना होगा। गौतम ने अपनी जॉब छोड़ दी, और पूरा समय कायरा की देखभाल में लगाने लगा।
वो खुद खाना बनाता, दवाई देता, हर रात उसका माथा चूम कर कहता —
"तुम्हारी चाहत में मैं हर इम्तहान से लड़ जाऊँगा..."9 महीने बाद...
एक नन्ही सी जान ने इस दुनिया में कदम रखा — एक बेटी, जिसका नाम उन्होंने रखा — "चाहत" ❤️
कायरा की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे। गौतम की गोद में जब पहली बार चाहत ने आंखें खोलीं, तो उसे लगा जैसे उसकी पूरी दुनिया अब उसी नन्ही मुस्कान में समा गई।अब उनकी ज़िंदगी में एक नया चैप्टर शुरू हो चुका था —
"तुम्हारी चाहत में..." अब सिर्फ एक एहसास नहीं, बल्कि उनकी बेटी की पहचान बन चुकी थी।
अगर तुम चाहो तो इसका भाग 3 भी बना सकती हूँ — जिसमें चाहत बड़ी होती है, नया प्यार आता है