Soundarya ek Abhishap - 8 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 8

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सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 8

"सौंदर्य एक अभिशाप!"(पार्ट -८)

राजकुमारी चित्रा और सुवर्णा छिपे हुए सूरज सिंह की ओर आ रही हैं।
तो युवा सूरज सिंह फुसफुसाता है कि अरे दोस्त.. अब तुम जल्दी आओ। नहीं तो सैनिक मुझे कैद कर लेंगे। राजकुमारी चित्रा की सहेली ने मुझे देख लिया है। छिपने की कोई जगह नहीं है और भागने का कोई रास्ता नहीं है।

इसी बीच एक खरगोश छलांग लगाकर युवा सूरज सिंह के पास आता है। तो सूरज सिंह उठ जाता है।

सुवर्णा और राजकुमारी चित्रा देखती हैं।
राजकुमारी चित्रा..
तुम कौन हो? तुम यहाँ क्यों आये हो? क्या तुम्हें नहीं पता कि कोई साधारण व्यक्ति इस बगीचे में नहीं आ सकता।

सुवर्णा ने युवक को देखा। वह बहुत सुंदर लग रहा था। वह किसी कुलीन परिवार का राजपूत लग रहा है। हमें देखना होगा कि कुछ गलत न हो, अन्यथा दुश्मनी हो जाएगी।

सुवर्णा ने राजकुमारी चित्रा के कान में कहा कि राजकुमारी, यह युवक किसी कुलीन परिवार का राजपूत लग रहा है। शायद वह तुम्हारा कोई रिश्तेदार या किसी सेनापति का बेटा हो। इसकी भुजाएँ देखो। कितना सुंदर लग रहा है। हम उसका सामना नहीं कर पाएँगे। हमारे सैनिक तो दिखाई भी नहीं दे रहे हैं। अगर हम उससे पूछें!

राजकुमारी ने सिर हिलाया।

राजकुमारी चित्रा..
अरे युवक, तुम कौन हो? अपना परिचय दो। तुम्हारे परिचय का उद्देश्य क्या है?

युवक सूरज सिंह के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

उसने कहा..

ओ परियों की परी, ओ सुन्दर परी। तुम्हें मेरा नमस्कार, राजकुमारी जो राज्य की अप्सरा जैसी दिखती है। जिसके आने से अँधेरा दूर हो जाता है। सुन्दर फूल भी खिल उठते हैं।तुम्हारी आवाज़ से दुश्मन भी डरकर भाग जाते हैं।

सुवर्णा को हँसने का मन हुआ। वह जोर-जोर से हँसने लगी।

राजकुमारी चित्रा..
तुम्हें हँसने का मन क्यों हो रहा है, सखी?

सुवर्णा..
हँसने का मन हो रहा है। यह युवक राजपूत नहीं दिखता। हो सकता है कि यह राजपूत हो, पर यह कवि है। यह तुम्हारी सुन्दरता की प्रशंसा करता है।

राजकुमारी चित्रा यह सुनकर खुश हो गई।
राजकुमारी चित्रा..
मैं सुन्दर हूँ। मेरी खूबसूरती देखकर अच्छा लगता है।  बोलने में माहिर हैं । अरे, युवक, तुमने अपना परिचय नहीं कराया।

युवक सूरज सिंह..
मैंने उसका परिचय कराया पर तुम दोनों समझ नहीं पाए। मुझे इस बगीचे में एक और सुंदर लड़की मिली। वह मेरा नाम तुरन्त जान गई थी।

सुवर्णा..

तो तुमने सखी लता को देखा? वह सुरक्षित है, है न! तुमने उसे कोई नुकसान नहीं पहुँचाया, है न!

सूरज सिंह..
जब मैं उससे मिला तो वह सुरक्षित थी। पर मैंने उससे कहा कि सावधान रहना। तुम्हारे राज्य के बगीचे में एक जादूगर घुस आया है। अपने जादू से वह किसी व्यक्ति को पशु या पक्षी में बदल देता है। तुम दोनों सावधान रहना। तुम्हारे सैनिक दिखाई नहीं दे रहे हैं, इसलिए तुम्हारे बगीचे में कुछ अजीब हो रहा है।
अगर सैनिक नहीं हैं, तो क्या हुआ.. मैं ही हूँ। मैं राजपूत हूँ। महिलाओं की रक्षा करना मेरा कर्तव्य है। मैं तुम्हें अपना नाम बता दूँ।

सुवर्णा..
ओह..मैंने ही सोचा था कि तुम एक बहादुर राजपूत हो। जैसा तुमने कहा, तुम्हारा नाम प्रकाश सिंह होगा। तुम्हारी आवाज़ भी बहुत शानदार है। लेकिन तुम खरगोश से डरकर छिप गई और खड़े हो गये।चलो, अच्छा हुआ। वरना मेरा भाई तुम्हें मार देते।

सूरज सिंह..
सूरज सिंह को मारना आसान नहीं है..अरे..परी।
सूरज सिंह को लगा कि अब तारीफ़ करना ही अच्छा है।
(नये पार्ट में लता के साथ क्या हुआ।)
- कौशिक दवे