Soundarya ek Abhishap - 3 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 3

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सौंदर्य एक अभिशाप! - पार्ट 3

"सौंदर्य एक अभिशाप!"

(भाग-3)

विक्रम नगर की राजकुमारी चित्रा को अपने रूप पर गर्व है। उसकी सहेलियाँ लता और सुवर्णा उसे समझाती हैं कि अपने रूप पर गर्व करना अच्छा नहीं है। आज उसका रूप है, कल समय के साथ उसका रूप कम होता जाता है।समय चलते वृद्धावस्था आ जाती है और सौंदर्य कम हो जाता है।
अभिमान रखना अच्छी बात नहीं है।

यह सुनकर राजकुमारी चित्रा अपनी दासियों के साथ बगीचे से चली जाती है। सुवर्णा भी चली जाती है।

लता अकेली रह जाती है।

लता सोचती है कि मैंने अच्छी सलाह दी थी फिर भी!

लता धीरे से बुदबुदाती है।
दिल अच्छा होना चाहिए 
चाहें सुंदर हो या न हो 
अच्छा स्वभाव ही सुंदरता को निखारता है।

बाहरी सुंदरता से ज़्यादा ज़रूरी है आंतरिक सुंदरता।

तभी बगीचे में ताली बजने की आवाज़ सुनाई देती है।

लता आश्चर्य से देखती है।

थोड़ी दूर पर एक युवक खड़ा होकर ताली बजा रहा था।

लता सोचती है कि बगीचे में कोई अजनबी नहीं आ सकता। शाही बगियन में अनजान लोगों को प्रवेश नहीं मिलता।अगर राजकुमारी और दासियाँ चली गई हैं, तो यह अनजान युवक कौन हो सकता है?

युवक लता के पास आया।

उसने कहा.. तुम्हारी सोच बहुत अच्छी है। सुंदरता क्या होती है? मैं तुम्हारे विचारों से सहमत हूँ। बाह्य सुंदरता से ज्यादा जरूरी है कि इन्सान की आंतरिक सुंदरता।

लता..
तुम्हारी तारीफ़ से मुझे खुशी नहीं होगी। तुम कौन हो? इस राज्य के बगीचे में अजनबियों को आने की अनुमति नहीं है। कोई भी अजनबी आता है तो उसे सजा मिलती है। क्या तुम जानते हो? तुम इस राज्य के नहीं हो।

युवक हंसा..
 अनुमति लेने के लिए क्या करना चाहिए? इश्वर की संपदा है। ईश्वरीय संपदा में हर कोई इन्सान आ जा सकता है।
प्रकृति ने ही इस संसार को बनाया है
मनुष्य भी कैसे बन गया
प्रकृति की संपदा में अनुमति लेनी चाहिए?

लता को हंसी आ गई।

उसे लगा कि यह युवक राज्य का नहीं है। अगर किसी सैनिक को पता चल गया तो उसे सजा मिलेगी। निश्चित रूप से उसे नियम नहीं पता। वैसे यह युवक ठीक ठाक है और दिखने में भोला पर भोला नहीं है।

लता..
प्रकृति की एक दुनिया है लेकिन हमारे राजा ने यह बगीचा उसके लिए बनाया है।

युवक..
ओह...मुझे पता नहीं था।तो तुम राजकुमारी हो? राजकुमारी जैसी दिखती हो।मैं पहली बार इतनी सुंदर राजकुमारी को इतने करीब से देख रहा हूँ।

लता..
तुम गलत समझ रहे हो। तुमने गलत समझा है। मैं राजकुमारी नहीं हूँ। लेकिन मैं एक राजकुमारी की दोस्त हूँ। मैं इतनी सुंदर भी नहीं हूं। मेरी प्रशंसा मत करना। वैसे तुम हो कौन? तुमने अपना परिचय नहीं दिया।

युवक..
लेकिन तुम राजकुमारी की तरह राजसी दिखती हो। और तुम्हारी सोच अच्छी है। दूसरे लोगों से बेहतर।

एक तरफ सौंदर्य है और दूसरी तरफ अच्छी सोच 
दोनों साथ में हैं ऐसी तुम खूबसूरत परी हो या राजकुमारी।

तुम्हारी सुंदरता देखकर बगियन के फ़ूल भी शर्म से झुक गये है ।
ऐसी अद्भुत सुंदरता कैसे कायम रह सकती है!

प्रकृति की गोद में एक फूल खिला है
अपनी खुशबू फैलाता हुआ, मनमोहक हो जाता है।

मेरा परिचय जानकर क्या करोगी? वैसे टहलते टहलते यहां आ गया हूं।
क्या राय है आपकी मैं सोचता हूं
गुलाब को देखकर आप के बारे में सोचूंगा 
(राजकीय उद्यान में आया युवक कौन होगा? उसका उद्देश्य क्या होगा? अधिक जानने के लिए पढ़िए मेरी कहानी सौंदर्य एक अभिशाप!)
- कौशिक दवे