🕯️ एपिसोड 2: "आईना जो साँसें रोक दे"
विक्रम के कदम अब 13 नंबर फ्लैट की दहलीज़ लांघ चुके थे। दीवारें सीलन से भरी थीं और हर कोना सन्नाटे से भरा हुआ। लेकिन सबसे अजीब बात थी — ड्रॉइंग रूम में रखा एक पुराना टूटा हुआ आईना, जो बाकी सब से बिलकुल अलग चमक रहा था।
आईने में विक्रम ने खुद को देखा... पर अक्स थोड़ा हिला हुआ था, मानो वो खुद उसकी परछाई न होकर कोई और हो। अचानक आईने में एक लड़की की छवि उभरी — वही लड़की जिसकी लाश पहली रात उसने देखी थी, लेकिन अब वो हँस रही थी... और कह रही थी:
> "तू आ गया... अब तुझे भी रहना होगा... यहीं... हमेशा के लिए।"
विक्रम ने आँखें मलीं। पीछे देखा — कोई नहीं। फिर से आईने में देखा — अब उसका खुद का अक्स भी गायब था।
कमरे की घड़ी की सूइयाँ उल्टी चलने लगीं।
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📖 रहस्यमयी डायरी
टेबल पर एक फटी-पुरानी डायरी पड़ी थी, जिस पर लिखा था:
"रागिनी की अंतिम बातें"
विक्रम ने पढ़ना शुरू किया:
> "13 नंबर फ्लैट में जो भी आता है, वो लौटकर नहीं जाता... मेरी मंगनी राकेश से हुई थी, पर प्यार विक्रम से था... हाँ, वही विक्रम जो अब इस डायरी को पढ़ रहा है…"
विक्रम का हाथ काँप उठा।
“मैं? ये क्या बकवास है?”
“मैं रागिनी को जानता तक नहीं!”
तभी उसके फ़ोन में खुद से एक वीडियो रिकॉर्ड चालू हो गया। स्क्रीन पर वही आईना और उसमें खड़ी एक लड़की — रागिनी!
> “विक्रम… तुझसे बदला बाकी है। तू भूल सकता है, पर मैं नहीं…”
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🚨 TWIST: "असली विक्रम कौन?"
विक्रम डर के मारे भागा और पुलिस को कॉल किया। पुलिस आई, फ्लैट की तलाशी ली... और अंदर से जो मिला, उसने सबको हिला दिया।
बाथरूम की दीवार में सीमेंट के अंदर दबी एक लाश मिली। उसके पास एक आईडी थी — नाम था "विक्रम शर्मा"।
अब सवाल उठा:
“अगर असली विक्रम मर चुका है… तो ये जो खुद को विक्रम कह रहा है, ये कौन है?”
वह शख्स जो खुद को विक्रम कहता आया था, अब आईने के सामने खड़ा था।
आईना टूटा... और उसके अंदर से वही लड़की निकली जिसने धीमे स्वर में कहा:
> "तेरा नाम कभी विक्रम था ही नहीं… तू तो वही है जिसने मुझे मारा… अब तेरी बारी है!"
आईना फर्श पर गिरा — और उसके पीछे कोई भी नहीं था।
कमरा खाली... लेकिन आईने में अभी भी दो परछाइयाँ थीं — रागिनी और वो शख्स जिसे हम सब विक्रम समझते रहे।
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जारी रहेगा....आईना गिरते ही ज़मीन पर एक गुप्त तहख़ाने का दरवाज़ा खुल गया।
विक्रम (या जो भी वो था) नीचे उतरता है। सीढ़ियाँ अँधेरे में डूबी थीं। नीचे एक कमरे में टेबल पर पुरानी VHS टेप्स पड़ी थीं। हर टेप पर एक नाम लिखा था —
"राघव", "नेहा", "आरव", "रागिनी"... और आख़िरी टेप — "विक्रम?"
वो चौंका।
“ये सब लोग कौन हैं? ये सब मर चुके हैं क्या?”
उसने टेप प्ले की —
स्क्रीन पर दिखा एक वीडियो, जहाँ कोई शख्स कमरे में एक लड़की (रागिनी) को बंद करके टॉर्चर कर रहा था।
लड़की चिल्ला रही थी:
> "कृपा करके छोड़ दो... मैंने किसी से कुछ नहीं कहा!"
लेकिन उस टॉर्चर करने वाले शख्स का चेहरा... कैमरे की रौशनी में धीरे-धीरे साफ़ हुआ... और वो था खुद 'विक्रम'!
"ये क्या है? मैं तो ये नहीं कर सकता... ये मैं नहीं हूँ..."
उसकी सांसें तेज़ हो गईं।
लेकिन तभी पीछे किसी ने फुसफुसाकर कहा:
> "याद कर, तू वही है... तुझे सब याद आ जाएगा।"
वो मुड़ा — वहां कोई भी नहीं था।
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🚪 आख़िरी झटका:
जैसे ही वो वापस ऊपर जाने लगा, दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।
दीवार पर खून से लिखा था —
> "13 नंबर फ्लैट छोड़ने वाला कोई नहीं होता..."
अब सब कुछ घूमने लगा।
विक्रम के दिमाग में अचानक फ्लैशबैक आया —
उसने रागिनी को धोखा दिया था। राकेश को रास्ते से हटाया था। रागिनी की हत्या की थी। और फिर अपनी पहचान मिटाकर 'विक्रम' बन गया।
लेकिन असली विक्रम तो... वही था जिसने रागिनी से प्यार किया था!
तो ये इंसान कौन है?
कहानी में जो अब तक 'हीरो' लग रहा था, असल में 'हत्यारा' निकला?
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अंतिम दृश्य:
आईने के पास की दीवार से एक बच्ची की आवाज़ आती है:
> "पापा… आप मम्मी को क्यों मार दिए?"
वो चौंकता है।
"बच्ची? मेरी?"
अगले पल दीवार से खून टपकता है... और दीवार फटती है —
अंदर से वही छोटी बच्ची बाहर निकलती है, पर उसकी आँखें बिल्कुल काली हैं।
> "अब तेरी बारी है… पापा!"
अब क्या होगा?
Episode 3 में जानिए — क्या विक्रम खुद को बचा पाएगा या ये फ्लैट उसे भी खा जाएगा?
"जारी रहेगा…"