Flat No. 13 - 1 in Hindi Thriller by Vijay books and stories PDF | 13 नंबर फ्लैट - 1

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13 नंबर फ्लैट - 1

एपिसोड 1: डोरबेल जो खुद बजी थी

रात के 11:42 हो चुके थे। सोसाइटी की सारी लाइटें बुझ चुकी थीं। हवा में अजीब सी सर्दी थी, जो जून की गर्मी में भी अजनबी लग रही थी।

अर्जुन एक नया डिलीवरी बॉय था। आज उसे एक ऑर्डर मिला था — "13 नंबर फ्लैट" में। लेकिन मज़े की बात ये थी कि उस सोसाइटी में कोई 13 नंबर फ्लैट था ही नहीं।

"शायद किसी ने मज़ाक किया है," उसने सोचा, लेकिन ऐप पर पूरा एड्रेस था। वो गया।

सीढ़ियाँ चढ़ते ही, फ्लैट नंबर 12 के बाद एक दरवाज़ा मिला... बिना नंबर का।
कॉल बेल बजी — पर उसने अभी तक बटन छुआ भी नहीं था।

दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला...
एक लड़की सामने खड़ी थी। सफेद कपड़े, बिखरे बाल और आँखों में अजीब सी चमक।
"तुम्हीं अर्जुन हो ना?" उसने पूछा।

अर्जुन को हैरानी हुई — उसने नाम बताया ही नहीं था।
"हाँ... पर आपको कैसे पता?"

"तुम मुझे पहचान नहीं पाए न?"
वो मुस्कराई — पर उस मुस्कान में कुछ था जो इंसानी नहीं लग रहा था।

अंदर बुलाते ही सबकुछ बदल गया।
कमरे में दीवारों पर अर्जुन की तस्वीरें थीं।
कुछ ऐसी भी जो उसने कभी खिंचवाई ही नहीं थी।
टेबल पर एक फोटो रखी थी — एक सेल्फी... अर्जुन और वही लड़की साथ में। लेकिन अर्जुन को उसकी याद नहीं थी।

"ये सब क्या है?" वो चिल्लाया।

लड़की धीरे से बोली —
"यही तो तुम्हारा प्यार था अर्जुन... पर तुमने मुझे छोड़ा। अब मैं तुम्हें हमेशा के लिए यहीं रखूंगी।"

अर्जुन ने घबराकर बाहर की तरफ दौड़ने की कोशिश की, लेकिन दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।
बत्ती गुल हो गई।

चारों तरफ अंधेरा...
सिर्फ लड़की की आवाज़ गूंज रही थी, "तुम मुझसे बच नहीं सकते अर्जुन... इस फ्लैट से कोई नहीं निकलता।"

अर्जुन ने फोन निकाला — कोई नेटवर्क नहीं।

अब कमरे की दीवारों से खून रिसने लगा था।
एक कोना तो ऐसा भी था जहाँ लिखा था —
“जो भी यहाँ आया, लौटकर कभी नहीं गया।”

अर्जुन की साँसे तेज़ हो गईं।
वो पीछे मुड़ा तो लड़की सामने थी — लेकिन अब उसका चेहरा इंसानी नहीं था।
आँखों से खून टपक रहा था, होंठ फटे हुए और मुस्कान अब हड्डियों तक कंपकंपाने वाली थी।

"अब तुम्हारी बारी है अर्जुन..."

अर्जुन चीख पड़ा।

दरवाज़ा फिर से खुद बजी — पर इस बार बाहर कोई नहीं था।


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🧨 एंड लाइन :

> "क्या अर्जुन ज़िंदा बचेगा या वो भी 13 नंबर फ्लैट का हिस्सा बन जाएगा?"
🔪 एपिसोड 2: 'आईना जो असली चेहरा दिखाता है' — जल्द आ रहा है।
3 दिन बाद
सोसाइटी में एक नया डिलीवरी बॉय आया। उसी कंपनी से — वही बैग, वही यूनिफॉर्म।

उसका नाम था राहुल।

GPS ने फिर वही लोकेशन पकड़ी — "13 नंबर फ्लैट", ब्लॉक C।

राहुल सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर पहुँचा, तो देखा एक बंद दरवाज़ा।
कुछ लिखा नहीं था... लेकिन एक अजीब बात हुई — दरवाज़े के बाहर एक पुराना फोटो पड़ा था... अर्जुन का।

वो फोटो उठाने ही वाला था कि दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला।

अंदर से अर्जुन निकला...
लेकिन अब वो वैसा अर्जुन नहीं था।

उसकी आँखों में लाल रौशनी थी, चेहरे पर सूजन और होंठों पर वही मुस्कान — जो इंसानों में नहीं होती।

"तुम्हें अंदर बुलाया गया है..." अर्जुन ने धीमी आवाज़ में कहा।

राहुल हैरान: "भाई... आप अर्जुन हो ना? अरे आप तो लापता थे!"

"अब मैं यहाँ का हिस्सा हूँ। और अब तुम भी होगे..."

और तभी पीछे से वही लड़की फिर दिखी — लेकिन इस बार उसकी आँखों में तीन लोग और थे... तीन आत्माएं।

अब खेल शुरू हो चुका था।


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🔥 आगे क्या हो सकता है?

अर्जुन अब खुद शिकार करने वाला बन चुका है

13 नंबर फ्लैट एक portal बन गया है — एक बार जो गया, या तो मरा… या बुराई का हिस्सा बन गया

Rahul अब अगला target है — लेकिन शायद उसके पास कोई रहस्य है जो कहानी को पलट सकता है