Veera Humari Bahadur Mukhiya - 24 in Hindi Women Focused by Pooja Singh books and stories PDF | वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 22

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 22

... मैं हूँ....

सब हैरानी से उसे देखते है लेकिन इशिता उसे देखकर खिल उठती है और जल्दी से उसके पास जाकर उसे गले लगाती है और रुंधे गले से कहती है..... " तुम कहाँ थे ध्रुव...?.... मैंने तुम्हारा कितना इंतज़ार किया...?... " ध्रुव उसके माथे पर किश करते हुए कहता है.... " इशू.. तुम्हे पता था न मैं सीक्रेट मिशन पर था , और तुम इतने रिस्क पर इस गॉव में आगई... इतने खतरे की क्या जरूत थी तुम्हे... वो तो अच्छा हुआ मैं टाइम से पहले वापस आगया... " इशिता कोल्ड वॉइस में कहती है.... " मैं जानती थी यहां रिस्क था लेकिन मुझे तुम्हारे प्यार और तुहारी दी हुई ट्रेनिंग पर पूरा भरोसा था... " ध्रुव उसे डाटते हुए कहता है.... " तुम अकेली नहीं थी हमारा बच्चा भी तो था, तुमने उसका ध्यान नहीं दिया.... " इशिता मासूमियत से कहती है.... " आई ऍम सॉरी.... " ध्रुव नाराज होते हुए उनसबके सामने पहुँचता है और रांगा को देखते हुए कहता है.... " आप सब यही सोच रहे होंगे मैं कौन हूँ...?.... मैं इशिता का पति हूँ... " सब एकटक उसकी बात सुन रहे थे लेकिन ये बात सुनकर आगबबूला हो जाता हैऔऱ वहाँ से बिना कुछ बोले चला जाता है 

लेकिन निराली इशिता के पास आकर उसके गालों पर हाथ फेरते हुए पुछती है.... "वीरा तुमने कभी बताया क्यू नहीं की तुम्हारी शादी हो रखी है और गर्भ से हो....?..." इशिता गहरी सांस लेते हुए कहती है... " आपने कभी पूछा हीं नहीं और रांगा को मैंने बताया इसलिए नहीं ताकि वो आपको नुकसान नहीं पंहुचा सके.. वो बस इसी मुझे पाने की कोशिश में लगा रहे ताकि मैं उसको भी उन डाकुओ की तरह सबक सीखा सकूँ... " 

ध्रुव से मिलकर सब ख़ुश थे औऱ सबसे बढ़ी ख़ुशी उनकी मुखिया के लिये थी जो की एक नयी जिंदगी जो जन्म देने वाली थी.. सबके कहने पर ध्रुव औऱ इशिता अपने रूम पर चले गए थे.. लेकिन ध्रुव अभी भी इशिता से नाराज़ था जिससे इशिता उसे हग करते हुए कहती है.... " क्या तुम इतने टाइम बाद भी मुझसे बात नहीं करोगे...?.. " ध्रुव उसे पीछे करता हुए कहता है.... " तुम मुझे बिना बताये बिना कुछ पूछे यहां क्यू आगई..?.. " इशिता उसे समझाते हुए कहती है.... " मैंने तुमसे कांटेक्ट करने की बहुत कोशिश की थी लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ... " ध्रुव चिल्लाते हुए कहता है... " तो इसका मतलब तुम अपनी मर्जी से कुछ भी करोगी.... " इशिता की आँखो में नमी छा गई, इशिता बिना कुछ बोले बाहर चली गई....

तो वही रांगा अपने कबीले में पहुंचकर अपने पाल में पहुंचकर सामान को इधर उधर फेकने लगता है..जिसे सुनकर ऊमी भागते हुए वहाँ पहुँचती है , रांगा को गुस्से में देख पुछती है... " सरदार आप इतनी गुस्से में क्यू है...?... " रांगा उसे देखकर गुस्से भारी आवाज़ में कहता है... " वो वीरा, धोखा दिया उसने...उने शादी की .. उसके लिये मैं उससे माफ़ कर देता लेकिन वो तो बच्चे को भी पैदा करने वाली है... " ऊमी रांगा की बात से ख़ुश हो चुकी थी लेकिन वही गुस्से में कहती है... " ये तो गलत किया उन्होंने.. आप कितना प्यार करते थे उनसे औऱ वो... " रांगा दांतो को भिचते हुए कहता है.... " मैं अब उससे जिन्दा नहीं रहने दूंगा... वो मेरी नहीं तो किसी की भी नहीं... मुझे पता है मुझे क्या करना है.... "