कॉलेज की म्यूज़िकल नाइट के बाद आरव और मीरा की दोस्ती और गहरी हो गई थी।
अब वो हर दिन साथ मिलते – कभी लाइब्रेरी में, कभी कैंटीन में, और कभी-कभी कॉलेज के गार्डन में चुपचाप बैठकर बातें करते।
आरव को अब मीरा की आदत सी हो गई थी।
वो उसकी हर छोटी-बड़ी बात याद रखता – मीरा को किस तरह की कॉफी पसंद है, कौन-सी किताब वो पढ़ रही है, या फिर उसका पसंदीदा गाना कौन-सा है।
मीरा भी अब पहले से ज़्यादा खुल गई थी।
वो आरव के साथ हँसती, अपने मन की बातें करती, और कभी-कभी उसकी आँखों में चुपचाप देखती रहती।
आरव उस नज़र को पढ़ना चाहता था – क्या उसमें भी कुछ था जो उसके दिल में था?
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दिल की उलझन
एक शाम कॉलेज के गार्डन में दोनों साथ बैठे थे।
हल्की-हल्की ठंडी हवा चल रही थी।
चारों तरफ़ हरियाली और शांत माहौल था।
मीरा ने पूछा, "आरव, क्या तुम्हें कभी किसी से प्यार हुआ है?"
आरव थोड़ा चौंक गया।
उसके होंठों तक कई जवाब आए… लेकिन वो बस मुस्कुरा कर रह गया।
"शायद… एक बार," – उसने धीरे से कहा।
मीरा ने उसकी तरफ़ देखा, "और अब?"
आरव ने उसकी आंखों में देखा, दिल में हिम्मत जुटाई… पर फिर भी चुप रहा।
मीरा ने उसकी चुप्पी को समझा या नहीं – ये आरव नहीं जानता था।
पर उसके सवालों ने आरव को बेचैन कर दिया था।
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दोस्तों की बातें
अगले दिन आरव अपने दोस्तों के साथ बैठा था।
उसने पहली बार अपने जज़्बात खुले शब्दों में कहे।
"यार, मुझे लगता है मैं मीरा से प्यार करने लगा हूं," – उसने कहा।
दोस्तों ने चौंककर उसकी तरफ देखा।
"क्या तूने उसे बताया?"
"नहीं… डर लगता है। कहीं दोस्ती भी न टूट जाए।"
एक दोस्त ने कहा, "कभी-कभी जो बात दिल में हो, वो कह देना ही सही होता है। वरना वो दिल में ही रह जाती है – और फिर पछतावा ज़िंदगी भर का बन जाता है।"
आरव चुप हो गया।
उसने तय किया – अब और नहीं, अब मीरा को सब कुछ बता देगा।
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इजहार-ए-मोहब्बत
एक दिन मीरा कैंटीन में अकेली बैठी थी।
आरव उसके पास पहुंचा।
"मीरा, तुम्हारे लिए कुछ लाया हूं।"
उसने एक छोटा सा गिफ्ट बॉक्स आगे बढ़ाया।
मीरा ने मुस्कुराते हुए पूछा, "ये क्या है?"
"खोलो तो सही," – आरव बोला।
मीरा ने बॉक्स खोला – उसमें एक छोटी सी डायरी थी।
उसके पहले पन्ने पर लिखा था:
"तुमसे मिलकर ज़िंदगी खूबसूरत लगने लगी है।
शायद ये दोस्ती से कुछ ज़्यादा है।
क्या तुम्हें भी ऐसा ही महसूस होता है?"
मीरा कुछ देर चुप रही।
उसकी आंखें नम हो गईं… और फिर उसने हल्के से कहा – "मैं भी कुछ समय से यही सोच रही थी।"
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आख़िरी पंक्तियाँ – भाग 3
आरव को यकीन नहीं हुआ – उसका डर, उसकी बेचैनी… सब खत्म हो गई थी।
उस दिन दोनों की आंखों ने कहा, जो लफ़्ज़ नहीं कह पाए थे।
अब ये सिर्फ़ एक "कॉलेज क्रश" नहीं था – ये एक नई मोहब्बत की शुरुआत थी।
भाग 4 की झलक:
इज़हार के बाद उनकी मोहब्बत और गहरी हो गई।
लेकिन कॉलेज की इस मीठी कहानी में एक नया किरदार आने वाला है – करण, मीरा का बचपन का दोस्त, जो अचानक कॉलेज ट्रांसफर होकर आ गया है।
क्या करण की वापसी से आरव और मीरा के रिश्ते में दरार आएगी?
या ये मोहब्बत पहले से और मज़बूत होगी?
जानिए आगे भाग 4 में... ❤️📖