घर की सजावट और चित्रों का महत्व: अवचेतन मन पर प्रभाव
घर की सजावट का हमारे जीवन में गहरा महत्व है। यह न केवल हमारे रहने की जगह को सुंदर बनाती है, बल्कि हमारी मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर भी प्रभाव डालती है। प्राचीन काल से ही दीवारों को विशेष महत्व दिया जाता रहा है। उस समय घरों की दीवारों पर हाथ से चित्रित पेंटिंग और भित्तिचित्र बनाए जाते थे, जो न केवल वास्तुकला को बढ़ाते थे, बल्कि उसे एक व्यवस्थित रूप भी देते थे। मांगलिक अवसरों पर तो दीवारों पर देवताओं की छवियों की प्रधानता होती थी। विवाह और अंत्येष्टि जैसे महत्वपूर्ण आयोजनों से लौटने वाले कलाकारों को पेंटिंग बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता था, माना जाता था कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ये पेंटिंग्स घर में शुभता का स्रोत मानी जाती थीं।
आज भी घर को सजाते समय पेंटिंग का महत्वपूर्ण स्थान है। हालांकि, पेंटिंग चुनते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। किसी भी प्रकार की विकृत पेंटिंग या रंगहीन चित्र कभी भी दीवार पर नहीं टांगना चाहिए। वास्तुशास्त्र के प्राचीन ग्रंथों जैसे मायामतम्, समरांगण सूत्रधार और मनसार में चित्रकला के संबंध में अनेक निर्देश दिए गए हैं। इन्हीं आधारों पर अपराजितप्रच्छा, वास्तुमण्डन और राजवल्लभ जैसे ग्रंथों में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि घर में विकृत, कटे-फटे, युद्ध दृश्य, घृणित चित्र, नग्न, अश्लील, मांसाहारी जानवरों (जैसे कुत्ते, सांप, हाथी, सिंह) आदि के चित्र वर्जित हैं।
हमें अपने घरों में ऐसे चित्रों का उपयोग करना चाहिए जो सकारात्मक भावनाओं जैसे प्रेम, सहिष्णुता और विश्वास को प्रेरित करें। प्रेरक चित्र अत्यंत शुभ माने जाते हैं। ऐसे धार्मिक चित्रों में भगवान श्री कृष्ण के मनमोहक चित्र, अजन्मा (ब्रह्मा), देवताओं की भूमि के दृश्य, शिव का ध्यान करते हुए चित्र, सौम्य रूप में विष्णु के चित्र और किसी पवित्र तीर्थ स्थान के चित्र शुभ होते हैं। प्रकृति की सुंदरता दर्शाने वाले हरियाली, झरने और पानी के प्राकृतिक दृश्य भी घर में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं। यदि आप अपने परिवार के पूर्वजों की तस्वीर लगाना चाहते हैं, तो उसे घर में ऐसी जगह पर लगाएं जहां से आप पूरे घर को देख सकें। नरसिंह पुराण में भी देवताओं की पूजा और उनकी प्रतिमा के दर्शन से सौभाग्य प्राप्त होने का उल्लेख है।
अब बात करते हैं कि पेंटिंग कब बनानी चाहिए और उन्हें कहाँ लगाना शुभ होता है। पेंटिंग और पेंटिंग की व्यवस्था के लिए अश्विनी, पुष्य, हस्त, अभिजीत, मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा नक्षत्र और बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन शुभ माने जाते हैं। इसके अतिरिक्त, बीज (दूज), पंचमी, सप्तमी, दशमी और पूर्णिमा तिथियां भी पेंटिंग लगाने के लिए अच्छी होती हैं। यदि आप देवी-देवताओं के चित्र लगाना चाहते हैं तो इन देवताओं से संबंधित तिथि और समय का भी ध्यान रखना चाहिए।
किस प्रकार के चित्र घर और व्यावसायिक स्थानों के लिए उपयुक्त होते हैं, यह भी जानना महत्वपूर्ण है। एक दुकान में बैठी हुई देवी लक्ष्मी का चित्र, उनके साथ जल से स्नान करते हुए हाथी, एक श्रीयंत्र और बैठे हुए लेखक के चित्र व्यापार में वृद्धि और ज्ञान प्राप्ति के लिए शुभ माने जाते हैं। व्यावसायिक स्थानों पर दुनिया का नक्शा, एक झरना, एक बहती हुई नदी या तैरती हुई मछली के चित्र सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। अध्ययन कक्षों और शैक्षिक संस्थानों में ऋषियों और महापुरुषों के उपदेश देते हुए चित्र, सुंदर सुलेख और धार्मिक लेख (जैसे शाक्यों की लिपि) पूर्व से दक्षिण दिशा की दीवारों पर लगाना शुभ होता है।
अवचेतन मन और चित्रों का प्रभाव:
यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि हमारे आसपास की चीजें, खासकर वे चित्र जिन्हें हम नियमित रूप से देखते हैं, हमारे अवचेतन मन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। अवचेतन मन हमारी भावनाओं, विचारों और व्यवहारों का एक शक्तिशाली भंडार है। जब हम किसी विशेष प्रकार के चित्र को बार-बार देखते हैं, तो वह हमारे अवचेतन मन में गहराई से समा जाता है और हमारे दृष्टिकोण और ऊर्जा को प्रभावित करता है।
उदाहरण के लिए, यदि हम अपने घर में शांतिपूर्ण प्राकृतिक दृश्यों की पेंटिंग लगाते हैं, तो यह हमारे मन को शांत और स्थिर रखने में मदद कर सकती है। इसके विपरीत, यदि हम हिंसा या नकारात्मकता दर्शाने वाले चित्र लगाते हैं, तो यह हमारे मन में अशांति और नकारात्मक विचारों को जन्म दे सकता है।
धार्मिक और प्रेरक चित्र हमारे अवचेतन मन में सकारात्मक विश्वासों और मूल्यों को स्थापित करने में मदद करते हैं। श्री कृष्ण या अन्य देवताओं के शांत और सौम्य चित्र देखने से मन में शांति और भक्ति की भावना जागृत होती है। इसी प्रकार, प्रकृति के सुंदर दृश्य हमें प्रकृति से जुड़ने और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करते हैं।
पूर्वजों की तस्वीरों को ऐसी जगह पर लगाने का महत्व इसलिए है क्योंकि यह हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है और हमें अपने पारिवारिक मूल्यों और परंपराओं की याद दिलाता है। यह हमारे अवचेतन मन में अपनेपन और सुरक्षा की भावना को मजबूत करता है।
इसलिए, घर की सजावट में चित्रों का चुनाव करते समय न केवल उनकी सुंदरता पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि वे हमारे अवचेतन मन पर कैसा प्रभाव डालेंगे। सोच-समझकर चुने गए चित्र हमारे घर को न केवल सुंदर बनाएंगे बल्कि हमारे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी लाएंगे।