vo akari khat in Hindi Love Stories by kajal Thakur books and stories PDF | वो आखरी खत

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वो आखरी खत

"वो आखिरी ख़त"किरदार:आरव – एक शांत, गहराई से भरा लड़का, जो अपने जज़्बात छिपाकर रखता है।काव्या – चुलबुली, मुस्कुराहटों से भरी, मगर दिल की बेहद सच्ची लड़की।

सर्दियों की एक हल्की धूप थी। कॉलेज का आख़िरी दिन। सब दोस्त गले मिल रहे थे, फेयरवेल की तस्वीरें खिंचवा रहे थे। और एक कोना था… जहां आरव चुपचाप खड़ा था, उसकी नज़रें काव्या को ढूंढ़ रही थीं।

काव्या, वही लड़की जो पहले दिन से उसके दिल में थी। जो हंसती थी तो आरव की दुनिया रोशन हो जाती थी, मगर जिसे कभी उसने बता नहीं पाया कि वो उससे कितना प्यार करता है।

वो चार साल… क्लास के बाद कॉफी पीना, लाइब्रेरी में एक-दूसरे को चुपचाप देखना, बारिश में भीगते हुए भागना — सब कुछ था, बस एक इज़हार नहीं।

और उस दिन, काव्या आई… आरव के पास… और मुस्कुराकर बोली,"पता है आरव, मैं जा रही हूं दिल्ली, जॉब के लिए… शायद दोबारा मिलना ना हो।"

आरव ने बस एक हल्की मुस्कान दी, और एक लिफ़ाफ़ा उसे थमा दिया —"इस ख़त को तब खोलना जब बहुत अकेली महसूस करो।"

काव्या चली गई।आरव वहीं खड़ा रहा, आंखों में वो आंसू जो कभी कह नहीं पाए कि,"मैं तुमसे प्यार करता हूं, काव्या… बहुत।"2 साल बाद...

दिल्ली की एक बरसात भरी शाम। काव्या अकेली खिड़की के पास बैठी थी। जिंदगी में बहुत कुछ था — काम, शोहरत, लोग — पर वो ख़ुशी नहीं थी।

अचानक, उसकी निगाह उस पुराने लिफ़ाफ़े पर पड़ी।

कांपते हाथों से उसने खोला।

"काव्या,

शायद जब तुम ये पढ़ रही हो, मैं तुम्हारी ज़िंदगी से कहीं बहुत दूर हो चुका हूं।

पर तुम्हें जानना चाहिए — तुम्हारी हर हंसी मेरी साँस थी, हर बात मेरी धड़कन।

मैं तुमसे बेपनाह मोहब्बत करता हूं…पर तुम्हारी ज़िंदगी में कोई रुकावट न बनूं, इसलिए चुप रहा।

मैं बस यही चाहता हूं कि तुम खुश रहो…

तुम्हारा हमेशा के लिए,आरव"

काव्या की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। वो चीख पड़ी,"क्यों नहीं बताया आरव! क्यों!"

अगले दिन, उसने बहुत ढूंढा… आरव के पुराने दोस्तों से, कॉलेज से… पर कोई खबर नहीं थी।

और एक दिन, एक मेल आया —"Recipient not found. The email ID no longer exists."

शायद आरव वाकई अब इस दुनिया में नहीं था।कहानी का अंत…

काव्या आज भी हर बरसात में आरव का वो ख़त पढ़ती है…और कहती है,"अगर दोबारा जनम हुआ… तो आरव, बस तुझसे ही प्यार होगा…"

जरूर Kajal,यहाँ "वो आखिरी ख़त" कहानी का दूसरा भाग है — और इस बार कहानी और भी गहराई में जाती है, जहाँ अधूरे प्यार को उम्मीद की एक रोशनी फिर से छूती है...🌧️ "वो आखिरी ख़त – भाग 2: लौट आया वो"4 साल बाद…

दिल्ली की वही खिड़की… वही बरसात…पर अब काव्या बिल्कुल बदल चुकी थी। चेहरे पर मुस्कान कम, और आंखों में गहराई ज़्यादा। ज़िंदगी चल रही थी, पर दिल कहीं चार साल पहले रुक गया था।

वो अब एक नामी न्यूज़ चैनल में पत्रकार थी। एक दिन ऑफिस में उसे एक मेल आया —

"Missing People: Special Series – क्या आप अपने किसी खास को ढूंढ रहे हैं?"साथ में एक लिंक था।

काव्या यूं ही क्लिक कर बैठी… और स्क्रीन पर एक चेहरा आया —गहरी आंखें… वही मुस्कान… आरव!वो कौन था…?

उस विडियो में बताया गया —"इस युवक को लखनऊ की एक संस्था के बाहर बेसुध हालत में पाया गया। ये अपना नाम भूल चुका है, पहचान नहीं बता पा रहा। डॉक्टर्स का मानना है कि इसे गहरी मानसिक चोट लगी है…"

काव्या की सांसें थम गईं।"नहीं… ये मेरा आरव नहीं हो सकता… या शायद… है?"सफर की शुरुआत…

काव्या ने बिना एक पल गंवाए लखनऊ की ट्रेन पकड़ी। रास्ते भर उसे वही पुरानी बातें याद आती रहीं। आरव की चुप्पी, उसकी मुस्कान, और वो आखिरी ख़त…

अगले दिन, वह उस संस्था पहुंची।

और… सामने आरव था।लेकिन… वो उसकी आंखों में देखकर भी उसे पहचान नहीं पाया।उसकी यादें…

काव्या का दिल टूट गया।वो रोज़ उसके पास बैठती, उसे कहानियां सुनाती, पुरानी बातें बताती —"याद है आरव, लाइब्रेरी का वो कोना जहां मैं झूठ बोलती थी कि बुक नहीं मिली, ताकि तुम आओ और ढूंढो?"

"याद है जब पहली बारिश में भीग कर तुमने कहा था — मुझे बारिश में तुमसे मोहब्बत हो गई?"

आरव बस सुनता, चुप रहता…

और एक दिन… उसने उसकी ओर देखा… बहुत ध्यान से… और बोला:"तुम काव्या हो… ना?"

काव्या की आंखें भर आईं।"हां… आरव, मैं ही हूं।"उस एक झप्पी में सब लौट आया…

आरव की आंखों में आंसू आ गए।"मैं तुमसे बहुत प्यार करता था… और करता हूं। मैंने कभी कहा नहीं… पर तुम्हें कभी भूल नहीं पाया…"

काव्या दौड़कर उसके गले लग गई…"अब मत जाना… इस बार मैं कह रही हूं — मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं आरव।"6 महीने बाद…

काव्या और आरव एक पहाड़ी गाँव में एक छोटी सी शादी करते हैं।ना कोई दिखावा, ना कोई भीड़… बस प्यार… बहुत सच्चा।

💌 कहानी का संदेश:

सच्चा प्यार कभी खोता नहीं…वो वक़्त मांगता है, इंतज़ार मांगता है… पर लौटता जरूर है।