### भाग 5: कल के बीज ,1 जून 2025 की सुबह रफाह पर एक भारी शांति के साथ शुरू हुई, जो गाजा पट्टी में 20 महीनों से चल रहे इजरायल-हमास युद्ध की तबाही के बीच एक भ्रामक सन्नाटा था। आमिना, 28, अपने तंबू-स्कूल के सामने खड़ी थी, जिसके कैनवास की दीवारें बच्चों के चित्रों—जैतून के पेड़, सूरज, और समुद्र—से सजी थीं। स्कूल, मार्च 2025 के हवाई हमलों में ध्वस्त होने के बाद तिरपाल और लकड़ी से फिर से बनाया गया, अब 50 बच्चों का आश्रय था। उनके चेहरे भूख से सूखे थे, लेकिन उनकी आँखें आशा की चमक लिए थीं। “आज हम अपने सपनों को लिखेंगे,” आमिना ने कहा, उसकी आवाज़ भूख और थकान के बावजूद दृढ़ थी। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय ने 55,223 मौतें दर्ज की थीं, और संयुक्त राष्ट्र ने 80,000 आघात मृत्यु की चेतावनी दी थी, फिर भी आमिना का स्कूल एक विद्रोह था। “हम संख्याएँ नहीं हैं,” उसने बच्चों से कहा, एक पत्रकार की रेडियो पर सुनी बात को दोहराते हुए।रेड क्रॉस फील्ड अस्पताल में, मिस्र की सीमा के पास तंबुओं का एक समूह, डॉ. सामी, 42, सौर लैंप की मंद रोशनी में काम कर रहे थे। अस्पताल गाजा का आखिरी चिकित्सा गढ़ था। “हमारे पास बैंडेज खत्म हो रहे हैं,” उन्होंने नर्स आयशा को बताया, उनके हाथ एक बच्चे की टूटी बाँह पर सिवन करते हुए। अवरोध ने सहायता ट्रकों को 20 प्रतिदिन तक सीमित कर दिया था, जो युद्ध-पूर्व के 500 से नगण्य था। संयुक्त राष्ट्र ने 133,000 लोगों के लिए भुखमरी की चेतावनी दी थी। सामी ने सिवार को देखा, एक बच्ची जिसे उन्होंने 2023 में बचाया था, अब कमज़ोर, उसकी माँ अमल मई में संक्रमण से मर चुकी थी। “हम कोशिश करते हैं,” सामी ने आयशा से कहा, उनकी आँखें थकान से भारी थीं।शिविर में, फातिमा, 60, अपने तंबू के बाहर बैठी थी, अपने 1948 की नकबा चाबी को पकड़े हुए, जो जाफा के उनके घर की थी। उसकी कहानियाँ—1948, 1967, 2008, 2014 की तबाही—आमिना और यूसुफ, उसके 16 वर्षीय भाई, को बाँधे रखती थीं। यूसुफ का गुस्सा, जो 2023 में उसके दोस्त उमर की मौत से भड़का था, अब नरम पड़ चुका था। मार्च के हमलों में लैला के घायल होने ने उसे हिला दिया था, और उसने हमास में शामिल होने के अहमद के निमंत्रण को ठुकरा दिया था। “मैं बनाना चाहता हूँ,” उसने आमिना से कहा, उसकी पेंसिल नोटबुक में जैतून के पेड़ और एक नए गाजा—स्कूल, अस्पताल, बिना अवरोध का समुद्र—के स्केच बनाती थी।सीमा के पार, मीरा, 35, एक इजरायली-अमेरिकी स्वयंसेवी, रेड क्रॉस चेकपॉइंट पर थी, दवाओं के क्रेट उतार रही थी। 2023 में हमास के हमले—1,706 इजरायली मौतें, 251 बंधक—ने उसे इजरायल खींचा था, लेकिन गाजा में 70% नागरिक मौतें (महिलाएँ और बच्चे) उसे सता रही थीं। उसने मई में सामी से एक बंधक रिहाई मिशन में मुलाकात की थी। “यह युद्ध हमें सबको मार रहा है,” उसने कहा था, और सामी ने सहमति में सिर हिलाया था। अब, जून में, वह ड्रोन की छाया में काम कर रही थी। “वे रोटी के बिना मर रहे हैं,” समन्वयक खालिद ने कहा। मीरा ने X पर रफाह की सहायता साइट पर हमले की पोस्ट पढ़ी—मई में 31 मरे—और अपराधबोध महसूस किया।आमिना का स्कूल एक आशा की किरण था। उसने बच्चों को कविता सिखाई, “हम जीवन से प्यार करते हैं,” दरवेश की पंक्तियाँ गूँज रही थीं। बच्चे, कुछ अनाथ, अपने सपने लिख रहे थे—घर, स्कूल, आज़ादी। लैला ने एक सूरज बनाया, उसकी किरणें तंबू में चमक रही थीं। “यह हमारा भविष्य है,” उसने कहा। आमिना ने अपनी रोटी का टुकड़ा नूर, एक अनाथ बच्ची, के साथ बाँटा। “हम परिवार हैं,” उसने कहा। शिविर में एकजुटता थी—महिलाएँ कपड़े सिल रही थीं, पुरुष मलबा हटा रहे थे, बच्चे फटे गेंद से खेल रहे थे। आमिना ने खाद्य वितरण का आयोजन किया, पड़ोसियों से चावल और दाल इकट्ठा किए। “हम एक साथ जीवित रहते हैं,” उसने कहा, उसकी आवाज़ भीड़ में गूँज रही थी।सामी ने आपूर्ति के लिए अपनी जान जोखिम में डाली, खान यूनिस के एक गोदाम तक ड्रोन निगरानी वाले चेकपॉइंट को पार करते हुए। एक रेड क्रॉस ट्रक हाल ही में नष्ट हुआ था, और वह स्मृति उसे सता रही थी। उन्होंने सलाइन और प्रोटीन बार पाए। “50 मरीजों के लिए काफी है,” उन्होंने ड्राइवर से कहा। अस्पताल में, उन्होंने सिवार को बचाया, लेकिन दो अन्य मरीज मरे। “उनके नाम मेरे साथ रहते हैं,” उन्होंने आयशा से कहा। उनकी बेटी, मिस्र में सुरक्षित, उनकी प्रेरणा थी।यूसुफ ने आमिना की कक्षा में पढ़ाना शुरू किया, बच्चों को “गाज” लिखना सिखाया। “तुम मेरे नायक हो,” आमिना ने कहा। उसने जैतून के पेड़ बनाए, उसका गुस्सा कागज पर पिघल रहा था। अहमद ने फिर कोशिश की: “हमास को तुम जैसे चाहिए।” यूसुफ ने मना कर दिया। “मैं बनाऊँगा,” उसने कहा। फातिमा ने बच्चों को 1948 की कहानियाँ सुनाईं। “हमने अंधेरे में बीज बोए,” उसने कहा, उसकी चाबी चमक रही थी। उसने रेत में एक बीज बोया, “कल के लिए।” महिलाओं ने उसका अनुसरण किया, सूखी मिट्टी में बीज बोए।मीरा ने एक और बंधक रिहाई मिशन में सामी से मुलाकात की। छह बंधक रिहा हुए। “हम कोशिश करते हैं,” सामी ने कहा। ड्रोन की छाया में, उन्होंने आपूर्ति उतारी। युद्धविराम वार्ताएँ रुकीं—हमास स्थायी शांति चाहता था, इजरायल अस्थायी शर्तों पर अड़ा था। आमिना का स्कूल बढ़ा, सामी ने मरीज बचाए, यूसुफ ने पढ़ाया, फातिमा का बीज अंकुरित हुआ, मीरा ने शांति की अपील की। गाजा के लोग, युद्ध और भूख के बीच, अपने विद्रोह—एक बीज, एक शब्द—के साथ खड़े रहे, उनकी जड़ें मलबे में गहरी थीं।--
लेखक सुहेल अंसारी सनम
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