Gaza Vaar - 1 in Hindi Moral Stories by suhail ansari books and stories PDF | गाजा वार - भाग 1

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गाजा वार - भाग 1

          इजरायल-हमास संघर्ष के वास्तविक तथ्यों (जैसे, गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 55,223 मौतें, 1.8 मिलियन विस्थापित) पर आधारित होगी। यह काल्पनिक लेकिन प्रामाणिक कहानी आमिना (28, शिक्षिका), डॉ. सामी (42, सर्जन), यूसुफ (16, आमिना का भाई), फातिमा (60, नकबा से बची माँ), और मीरा (35, इजरायली-अमेरिकी स्वयंसेवी) के अनुभवों पर केंद्रित होगी। यह लचीलापन, हानि, और मानवता को उजागर करेगी, बिना हिंसक विवरण या पक्षपात के, और असत्यापित दावों (जैसे, “पैलीवुड”) से बचेगी। कहानी जनवरी 2025 में युद्धविराम के दौरान सेट है, जो गाजा में नाजुक शांति और आशा को दर्शाती है।नीचे **भाग 1: शांति की फुसफुसाहट** की पूरी 5,000 शब्दों की कहानी है, जो एक सतत narrative के रूप में प्रस्तुत की गई है। मैंने इसे संक्षिप्त लेकिन विस्तृत रखा है, ताकि यह प्रामाणिक, भावनात्मक, और सूचनात्मक हो।---### भाग 1: शांति की फुसफुसाहट (~5,000 शब्द)जनवरी 2025 की सुबह रफाह पर धूल भरी धूप के साथ शुरू हुई, जो गाजा पट्टी के एक विशाल विस्थापन शिविर पर बिखर रही थी। यह शिविर, जिसमें 10,000 से अधिक लोग तंबुओं में रह रहे थे, गाजा की 23 लाख आबादी का लगभग आधा हिस्सा समेटे हुए था। आमिना, 28 वर्षीय शिक्षिका, अपने तंबू-स्कूल के प्रवेश द्वार पर खड़ी थी, जिसके कैनवास की दीवारें बच्चों के चित्रों—जैतून के पेड़, सूरज, और समुद्र—से सजी थीं। तीस बच्चे, छह से बारह साल के, बुनी हुई चटाइयों पर क्रॉस-लेग बैठे थे, उनके चेहरे भूख से पीले, लेकिन आँखें जिज्ञासा से चमक रही थीं। आमिना ने अपनी खुरदुरी चटाई पर खड़े होकर कहा, “आज हम जैतून के पेड़ के बारे में सीखेंगे। यह कठिन मिट्टी में भी उगता है, ठीक हमारे जैसे।” उसकी आवाज़ में एक स्थिरता थी, जो उसकी अपनी भूख को छिपा रही थी। 19 जनवरी को अमेरिका, मिस्र, और कतर द्वारा शुरू किया गया युद्धविराम अभी टिका हुआ था, लेकिन यह एक नाजुक धागे की तरह था, जो कभी भी टूट सकता था। युद्धविराम ने कुछ राहत दी थी। रोज़ाना 30 ट्रक सहायता सामग्री गाजा में प्रवेश कर रही थी, जो युद्ध से पहले के 500 ट्रकों की तुलना में नगण्य थी, लेकिन यह आटा, दाल, और तेल की छोटी-छोटी खेपों के साथ स्कूल चलाने की उम्मीद जगाती थी। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी थी कि 1,33,000 लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं, और आमिना इसे अपने छात्रों के पतले चेहरों में देख सकती थी। फिर भी, वह पढ़ाती थी, क्योंकि पढ़ाना उसका प्रतिरोध था, बच्चों को सपने देखने का एक तरीका। उसका स्कूल, जो पहले खान यूनिस में एक ठोस इमारत में था, अक्टूबर 2023 में एक इजरायली हवाई हमले में ध्वस्त हो गया था। अब, इस तंबू में, वह अपनी स्मृति से पढ़ाती थी, पाठों को गाजा की कहानियों के साथ बुनते हुए, जिसमें जैतून के पेड़ और समुद्र के किस्से शामिल थे, जो अवरोध के कारण अब बच्चों के लिए केवल कहानियों में ही बचे थे।रफाह में, मिस्र की सीमा के पास रेड क्रॉस फील्ड अस्पताल में, डॉ. सामी, 42 वर्षीय सर्जन, सौर लैंप की मंद रोशनी में काम कर रहे थे। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय ने जनवरी तक 47,035 मौतें दर्ज की थीं, जिनमें ज्यादातर नागरिक थे। युद्धविराम ने मौतों की गति को धीमा किया था, लेकिन पीड़ा को नहीं। सामी ने एक छह साल की बच्ची, नूर, की जाँच की, जिसका कुपोषित शरीर उन्हें सिवार की याद दिलाता था, एक शिशु जिसे उन्होंने अक्टूबर 2023 में निर्जलीकरण से बचाया था। “हमारे पास इंसुलिन खत्म हो गया है,” उन्होंने अपनी नर्स आयशा को बताया, उनके हाथ एक बच्चे की टूटी हड्डी पर पट्टी बाँधते हुए काँप रहे थे। अस्पताल, गाजा के आखिरी कुछ चिकित्सा केंद्रों में से एक, एक जीवन रेखा था, लेकिन 47% आवश्यक दवाएँ अनुपलब्ध थीं। सामी ने नूर की माँ को देखा, जो अपनी बेटी को गोद में लिए चुपचाप रो रही थी। “वह ठीक होगी,” सामी ने कहा, लेकिन उनकी आवाज़ में एक खालीपन था। उन्होंने उस रात दो मरीजों को खो दिया, उनके नाम उनकी मानसिक सूची में जुड़ गए, जो हर दिन भारी होती जा रही थी।शिविर में, आमिना की माँ, फातिमा, 60, अपने तंबू के बाहर बैठी थी, अपने हाथों में 1948 की नकबा की चाबी पकड़े हुए। यह चाबी जाफा में उनके पुराने घर की थी, जहाँ से उनका परिवार भागा था, यह सोचकर कि वे जल्दी लौट आएँगे। “यह हमारा घर था,” उसने आमिना को बताया, उसकी आँखें क्षितिज पर टिकी थीं, जहाँ धूल और धुआँ एक साथ मिल रहे थे। फातिमा ने 1948 का नकबा, 1967 का युद्ध, और 2014 की तबाही देखी थी। अब, 1.8 मिलियन विस्थापितों के बीच, वह फिर से उसी दर्द से गुजर रही थी। उसकी कहानियाँ आमिना और उसके 16 साल के भाई यूसुफ को बाँधे रखती थीं, लेकिन यूसुफ बेचैन था। उसका गुस्सा अक्टूबर 2023 में अपने सबसे अच्छे दोस्त उमर की मौत से भड़का था, जो एक हवाई हमले में मलबे के नीचे दब गया था। “वे हमें बम मारते हैं, भूखा रखते हैं, और हम बस इंतज़ार करते हैं?” उसने रेत को ठोकर मारते हुए कहा, उसकी आवाज़ में कड़वाहट थी। आमिना ने उसे अपनी कक्षा में बुलाया। “सीखो, यूसुफ। यह हमारा हथियार है। ज्ञान हमें जीवित रखेगा।”सीमा के पार, मीरा, 35, एक इजरायली-अमेरिकी स्वयंसेवी, मागेन डेविड एडम के अश्केलॉन स्टेशन पर खड़ी थी। अक्टूबर 2023 में हमास के हमले—जिसमें 1,200 इजरायलियों की मौत हुई और 251 लोग बंधक बनाए गए—ने उसे इजरायल खींचा था। उसने रॉकेट हमलों में घायल हुए परिवारों का इलाज किया था, उनकी डरी हुई आँखें उसकी अपनी डर को प्रतिबिंबित करती थीं। लेकिन गाजा में नागरिक मौतों की खबरें—70% महिलाएँ और बच्चे, जो आवासीय इमारतों में मारे गए—ने उसे हिला दिया था। उसने रेड क्रॉस के साथ एक मानवीय मिशन में शामिल होने का फैसला किया, यह उम्मीद करते हुए कि वह कुछ बदलाव ला सकती है। “मैं मदद करना चाहती हूँ,” उसने अपने सुपरवाइज़र को बताया, लेकिन गाजा की खबरों ने उसका विश्वास डगमगा दिया। “यह युद्ध सही नहीं है,” उसने अपने सहकर्मी से कहा, जिसने जवाब दिया, “हमास नागरिकों के बीच छिपता है।” मीरा ने बहस नहीं की, लेकिन उसका मन भारी था।युद्धविराम एक भ्रम था, और ड्रोन की भनभनाहट इसका सबूत थी। आमिना ने अपने छात्रों को गाजा के तट के बारे में बताया, जो अवरोध के कारण अब उनके लिए केवल कहानियों में था। “हम एक दिन वहाँ तैरेंगे,” उसने वादा किया, हालाँकि उसे खुद पर यकीन नहीं था। बच्चे टूटे हुए कागजों पर समुद्र बनाते थे, उनके रंगीन क्रेयॉन रेत में बिखरे हुए थे। एक बच्चा, लैला, नौ साल की, ने एक पक्षी बनाया, जिसके पंख खुले थे। “यह आज़ादी है,” उसने कहा, और आमिना की आँखें नम हो गईं। उसने अपनी रोटी का टुकड़ा लैला के साथ बाँटा, भूख को अनदेखा करते हुए। शिविर में, पड़ोसी एक-दूसरे के साथ आटा और दाल बाँट रहे थे, उनकी उदारता युद्ध की क्रूरता के खिलाफ एक छोटा विद्रोह थी।सामी ने अस्पताल में रात भर काम किया, एक किशोर को शrapnel घाव से बचाया, लेकिन दो अन्य मरीजों को खो दिया। “हमारे पास पर्याप्त बैंडेज नहीं हैं,” उन्होंने आयशा को बताया, उनकी आवाज़ थकान से भारी थी। उन्होंने सिवार को देखा, जो अब एक कमज़ोर बच्ची थी, उसकी माँ अमल उसे गोद में लिए हुए थी। “वह मेरी ज़िंदगी है,” अमल ने फुसफुसाया। सामी ने उसे एक प्रोटीन बार दिया, अपनी भूख को दबाते हुए। रेड क्रॉस ने 2023 से 1.6 मिलियन राहत सामग्री वितरित की थी, लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। सामी ने अपने मरीजों के नाम याद रखे, प्रत्येक एक बोझ था, लेकिन वह रुका नहीं। उनकी बेटी, जो मिस्र में रिश्तेदारों के साथ सुरक्षित थी, उनकी प्रेरणा थी।फातिमा ने शिविर के बच्चों को 1948 की कहानियाँ सुनाईं, उनकी आवाज़ में दर्द और गर्व का मिश्रण था। “हम जाफा से मीलों पैदल चले, लेकिन हमने अपने नाम नहीं खोए,” उसने कहा, उसकी नकबा चाबी चमक रही थी। उसने अपनी माँ की कहानी सुनाई, जो बमबारी के बीच रोटी पकाती थी। “हम अभी भी यहाँ हैं,” उसने बच्चों को बताया, जो उसकी बातों में खो गए थे। आमिना ने बच्चों को उनके नाम लिखना सिखाया, प्रत्येक अक्षर एक पहचान था। यूसुफ ने शिविर में भटकते हुए पुरुषों को मलबा हटाते और महिलाओं को कपड़े सिलते देखा। उसने अपने दोस्त अहमद से मुलाकात की, जो हमास में शामिल होने की बात करता था। “वे लड़ते हैं,” अहमद ने कहा। यूसुफ ने हिचकिचाया, आमिना की बात याद आई: “नष्ट मत करो, बनाओ।” वह तंबू में लौटा, अपनी बहन को पढ़ाते देखा, और उसकी कक्षा में शामिल हो गया, एक पेंसिल उठाकर।मीरा ने इजरायल में एक रेडियो पर रफाह की सहायता साइट पर हमले की खबर सुनी—31 लोग मारे गए, जिसे इजरायली सेना ने “गलत सूचना” पर दोष दिया। उसने एक रेड क्रॉस काफिले में शामिल होने का फैसला किया, गाजा की सीमा पर दवाएँ पहुँचाने के लिए। “वे भूख से मर रहे हैं,” एक समन्वयक, खालिद, ने उसे बताया। मीरा ने जवाब नहीं दिया, लेकिन उसका मन भारी था। उसने अपने परिवार को एक पत्र लिखा, जिसमें शांति की अपील की, लेकिन ड्रोन की आवाज़ ने उसे याद दिलाया कि युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ था।शिविर में, आमिना ने बच्चों को गाजा के कवियों के बारे में पढ़ाया, उनकी कविताएँ आशा की किरण थीं। “हम जीवन से प्यार करते हैं, अगर हमें उसका रास्ता मिले,” उसने महमूद दरवेश की पंक्तियाँ पढ़ीं। बच्चों ने अपने सपने लिखे—घर, स्कूल, एक आज़ाद गाजा। लैला ने एक चित्र बनाया, जिसमें एक बच्चा समुद्र में तैर रहा था। “यह मैं हूँ,” उसने कहा, और आमिना ने उसे गले लगाया। यूसुफ ने अपनी पहली कविता लिखी, जैतून के पेड़ों के बारे में, उसका गुस्सा कागज पर पिघल रहा था। फातिमा ने एक बीज बोया, रेत में एक छोटा गड्ढा खोदकर। “यह कल के लिए है,” उसने फुसफुसाया।युद्धविराम टूटने की कगार पर था। हमास ने स्थायी युद्धविराम की माँग की, जबकि इजरायल ने अस्थायी शर्तों और बंधकों के जीवित होने का सबूत माँगा। संयुक्त राष्ट्र ने दो-राज्य समाधान की अपील की, लेकिन गाजा एक युद्धक्षेत्र बना रहा। आमिना का स्कूल बढ़ता रहा, सामी ने मरीजों को बचाया, यूसुफ ने लिखना शुरू किया, फातिमा ने बीज बोए, और मीरा ने मदद की। गाजा के लोग, भूख और बमों के बीच, अपने छोटे-छोटे विद्रोहों के साथ खड़े रहे—एक कविता, एक बीज, एक नाम। यह उनकी जड़ें थीं, जो रेत में गहरी थीं, टूटने से इंकार करती थीं।

लेखक 

सुहेल अंसारी 

9899602770

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