Traas Khanan in Hindi Classic Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | त्रास खनन - 4

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त्रास खनन - 4

वह अब लड़के का फ़ोन उठाने से बचता। कई बार फ़ोन आने पर ही किसी मज़बूरी में उसे उठाता और जल्दी से जल्दी रख देने की फ़िराक़ में रहता। सत्रह- अठारह साल के उस लड़के की सच्चाई जान कर वह उससे पीछा छुड़ाने की बात पर भी द्रवित हो जाता। पर मन विलगने लगे थे।उसे लगता था कि लड़का धीरे- धीरे ख़ुद ही समझ जाएगा कि वह उसमें दिलचस्पी नहीं लेता है और उससे पीछा छुड़ाना चाहता है तो वो ख़ुद ही उसे फ़ोन करना बंद कर देगा और उसे ब्लॉक करने जैसे उपाय करने का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। आख़िर बिना पिता के एक मासूम लड़के को इस तरह दुत्कारने से उसके भीतर भी एक अपराध बोध तो आ ही जाता।

उसने अब लड़के के "पिताजी" बोलने पर भी अपनी नापसंदगी जतानी शुरू कर दी।
लेकिन इसका असर उल्टा हुआ। लड़का और भी भावुक होकर उसे बार- बार पिता कहता। उसे भी खीज होती।
और तभी अचानक एक दिन आई वो आंधी, जिसने उसके होश ही उड़ा दिए।
वह सुबह की चाय के साथ अपने कमरे में बैठा हुआ अख़बार देख रहा था कि सहसा उसकी नज़र एक ख़बर पर पड़ी जो काफ़ी प्रमुखता से मुख्य पृष्ठ पर ही विस्तार से अंकित थी।
ख़बर देश के एक बड़े और लोकप्रिय नेता के बारे में थी।
कई महीनों से लोग सुनते आ रहे थे कि उन बड़े और प्रभावशाली राजनीतिज्ञ पर एक अज्ञात निर्धन सा युवक लगातार यह आरोप लगा रहा था कि वह उनका ही पुत्र है पर उसका जन्म अवैध रूप से एक बिनब्याही मां के गर्भ से होने के कारण उसके ये नैसर्गिक पिता उसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इस सनसनी खेज प्रकरण ने सबका ध्यान आकर्षित किया था और न्याय के लिए निरंतर गुहार लगाने वाले इस युवक ने मामले को इस मोड़ पर पहुंचा दिया था कि उसके उन संदिग्ध तथाकथित पिता को कानून द्वारा डी. एन. ए. टेस्ट के लिए बाध्य कर दिया गया था।
और आज उसकी करुण पुकार रंग लाई थी। सचमुच पिता के शरीर के जींस की वैज्ञानिक जांच से प्रामाणिक रूप से यह सिद्ध हो गया था कि सचमुच उस युवक की रगों में उनका ही खून है। उन्हें लाचार होकर सच्चाई स्वीकार करके प्रायश्चित करना पड़ा।
...इस ख़बर को पढ़ कर वह जैसे कहीं भीतर से बेचैन हो गया। उसे दिन में तारे नज़र आने लगे। 
कहने को तो यह एक बचकानी सी बात थी। परंतु उसे ख्याल आया कि क्या उस लड़के के मन में भी ऐसी ही कोई खुराफात पनप रही है जिसने पहले उससे मित्रता की और अब उसे कई महीनों से पिता पुकारने की गुहार लगा रहा है।
धत! कहीं ऐसा हो सकता है कि कोई भी किसी को भी इस तरह ब्लैकमेल करने का प्लान बना ले। आख़िर ऐसी बातों का कहीं कोई आधार भी तो होना चाहिए। केवल किसी के कह देने भर से तो बात प्रमाणित नहीं हो जाती।
उसे अपने इस ख्याल पर हंसी तो आई किंतु न जाने क्यों, वह अपने दिल में आई इस बात को सहज होकर भुला भी नहीं सका। अब उसे ऐसा लगता था कि उसे नियति ने सचमुच एक ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है जहां उसका जीवन दुर्भाग्य की भेंट चढ़ जाएगा। उसके साथ भी कोई न कोई अनहोनी होगी। शायद इस विडंबना को भांप कर ही उसकी पत्नी उसे छोड़ कर दुनिया से दूर चली गई है। वह लगातार यही सोचता रहता कि आने वाले समय ने उसे ज़रूर कोई काला संकेत दे दिया है। उसे अजीब से दौरे पड़ने लगे। कभी- कभी उसे लगता कि वह पागल होता जा रहा है। उसकी इंद्रियां उसका साथ छोड़ रही हैं। वह किसी ऐसी गर्त में गिरने - पड़ने लगा है जहां कोई उसके साथ नहीं होगा और वो एक दर्दनाक अंत को प्राप्त करेगा। 
उसने फ़िर लोगों से मिलना- जुलना बंद कर दिया। अब वह घर से बाहर भी नहीं निकलता था।