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"और कौन है वह, तुम्हारा क्रश?" आकाश ने फिर पूछा।
काव्या ने कोई उत्तर दिए बिना बोतल घुमा दी।
जय ने आकाश को श्रेया के पास बैठने का इशारा किया और खुद काव्या के पास में आकर बैठ गया। आकाश भी बिना कुछ कहे श्रेया के पास में जाकर बैठ गया।
इस तरह सुबह के चार बज गए, और सब हँसी-ठिठोली करते हुए खेलते रहे। गेम के खत्म होने पर आदित्य हार गया था। उसे सबसे अधिक — पूरे पाँच ग्लास — करेला जूस पीना पड़ा था।
"तो आदित्य, तैयार हो?" रॉनित ने पूछा।
"अगर तुम अपना मुँह बंद रखो, तभी।" आदित्य ने चिढ़कर उत्तर दिया।
"तुम्हें यह ऑप्शन नहीं मिल सकता, डार्लिंग। वैसे भी, मैं पिछले साल का हिसाब बराबर करने वाला हूँ — अच्छी तरह से।" रॉनित ने मुस्कराते हुए कहा। उसकी बात सुनकर आदित्य ने अपनी आँखें घुमा दीं।
"तो मिस्टर आदित्य वर्मा..."
"हाँ, मिस सेहगल... यह नाम कहीं सुना-सुना लग रहा है, है न?" आदित्य ने उसे छेड़ते हुए कहा।
काव्या समाज गई थी कि आदित्य किस बारे में बात कर रहा है। उसने जय की तरफ देखा, पर उसका ध्यान अपने फोन में था। यह देख कहिन कही काव्या के मन को शांति महसूस हुई।
"तुझे कल सुबह अंकल से बात करनी होगी — यानी तेरे पिताजी से।" रॉनित ने घोषणा की।
उसकी बात सुन आदित्य थोड़ी देर के लिए ही सही पर चौक गया। उसने हल्की आवाज में अपने नाक के नीचे कहा, आज यह मेरे पीछे हाथ धोखे पड़ा है। पूरा प्रीप्लेन्ड था सब।
"ओह!! मैं यह नहीं करने वाला। कुछ और बोलो। लेकिन मैं डैड से बात नहीं करूँगा। यार, वह फिर से अपने भाषण शुरू कर देंगे और मैं उन्हें सुनने के मूड में बिलकुल भी नहीं हूँ। मेरा बहुत काम बाकी है। और अगर मैं उनके सामने गया, तो मेरे सारे काम अधूरे ही रह जाएंगे। वह मुझे कही नहीं जाने देंगे।" आदित्य ने अपने पापा की फरियाद करते हुए कहा।
"भाई... प्लीज़।" सुहानी ने अनुरोध किया।
"आदी... इट्स हाइ टाइम कि तुम अपने पापा से बात करो।" आकाश ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उसे समझाने का प्रयास किया।
"यार, तुझे पता है... यह बात काम नहीं करने वाली। झगड़ा ही होगा हमारा।"
"वह किसी बात को लेकर टैंशन हैं।" आकाश ने बीच में बोलते हुए कहा। "ऐसा मुझे महसूस हो रहा है। अच्छा होगा कि तु उनसे जाकर मिल। और इस बार अगर तु बिना बताए शहर छोड़कर गया ना, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। इसलिए... जाओ और बात करो। कल ही।"
"ठीक है।" आदित्य ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा। "और कोई ऑप्शन भी तो नहीं है। और मेरी सोहा चाहती है कि मैं बात करूँ, तो करना ही पड़ेगा, ना?" आदित्य ने पास खड़ी अपने बहन सुहानी की तरफ देखते हुए कहा।
"थैंक यू भाई!" सुहानी ने अपने भाई को गले लगाते हुए कहा।
"चलो, एक समस्या तो हल हुई।" काव्या ने मुस्कराते हुए कहा।
"एक समस्या? मतलब?" आदित्य ने आश्चर्य से पूछा।
"जीवन में कुछ समस्याएँ हैं... क्यों नहीं हो सकतीं? क्या सारी समस्याओं का ठेका सिर्फ तुमने ही ले रखा है?" काव्य ने उसे ताना देते हुए कहा।
"समस्याओं का तो पता नहीं, लेकिन पूछ तो सिर्फ तुम्हारे पास है। और आज वह दिखाई नहीं दे रहा..." आदित्य ने फिर से उसे छेड़ते हुए कहा।
"ब्रो की गर्लफ्रेंड है।" काव्या ने मुस्कराते हुए आदित्य को चिढ़ाया। "तेरा तो कुछ अता-पता नहीं, अब तक भी... पूअर गाय.. त्च त्च.."
"आकाश?" आदित्य ने अपना शक दूर करने के लिये आकाश की ओर देखा।
"डॉक्टर... पढ़ाई जारी है।" रॉनित ने उसकी जानकारी दी।
"जैकपॉट, है न...?" आदित्य ने कहा।
"जो भी हो... सैलरी तो हमेशा दानिश की ही ज़्यादा रहेगी" काव्या ने कुछ घमंडी अंदाज़ में कहा।
"अगर वह तेरे पास रहा तो... वरना इतनी तनख्वाह कौन देता है अपने असिस्टेंट को?"
जय ने आदित्य की बात बीच में काटते हुए कहा, "क्या बेकार की बातें ले बैठे हो सब? खैर, तुम लोग जारी रखो... मुझे तो निकलना है। हॉस्पिटल जाना है — दोपहर की शिफ्ट है, यू नो..।"
"कठिन काम है..." काव्या ने टिप्पणी की।
"हम तो कल सोएँगे। एक दिन की छुट्टी।" रॉनित ने उबासी लेते हुए कहा।
"कम सैलरी के साथ।" जय ने ताना कसते हुए कहा।
"और हम ऑफिस जाएंगे..." काव्या ने कहा। "सुबह... सुबह..." आकाश और काव्या ने एक साथ कहा।
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श्रेया और जय कार में सफर कर रहे थे। जय ड्राइविंग सीट पर था, और श्रेया सामने वाली पैसेंजर सीट पर बैठी हुई थी। पीछे की सीट पर विद्या गहरी नींद में सोई हुई थी।
"जय?" श्रेया ने कोमल स्वर में पूछा।
जय ने हल्की हम्म की आवाज़ में उत्तर दिया।
"तुझे क्या लगता है... काव्या का क्रश कौन है?"
अचानक पूछे गए इस प्रश्न से जय कुछ पल के लिए भ्रमित हो गया। उसे समझ नहीं आया कि वह क्या जवाब दे।
"जय..?"
श्रेय की आवाज़ सुनकर वह अपनी सोच से बाहर आया।
"मैं... मुझे नहीं पता। मैं.. मैं कैसे जान सकता हूँ?"
जय ने हड़बड़ाते हुए कहा।
"तो फिर इतना घबरा क्यों रहा है? ऐसा लग रहा है जैसे मैंने तेरा कोई राज़ पकड़ लिया हो।"
श्रेय की बात सुनकर जय ने पूछा,
"को... कौन, सा राज़?"
"जय... डू यू लाइक हर?"
श्रेया ने थोड़े संकोच के साथ पूछा।
जय ने एक बार रियर व्यू मिरर से पीछे देखा। अपनी बहन को शांति से सोते हुए देखकर, उसने श्रेया की ओर देखा और फिर धीरे से उत्तर दिया,
"पहले दिन से..."
"हुंह?" श्रेया उसकी बात समझ नहीं पाई।
जय ने अपनी बात चालू रखी। "जब मैंने उसे पहली बार देखा था उसी दिन से... जब पहली बार किसी ने मुझसे इतनी रूखाई से बात की थी... उसी दिन से। लेकिन मुझे लगा कि उसका पहले से कोई बॉयफ्रेंड है... और जब ये क्लियर हुआ कि ऐसा कुछ नहीं है, तब मुझे उसकी ज़िंदगी की ऐसी दर्द भरी बात का पता चला कि... अब मुझे डर लगता है... अगर मैंने कुछ कहा और वह हर्ट हो गई, तो?"
जय ने थोड़ी देर रुकने के बात कहा, "तब वह मेरी क्रश थी। बट आई लाइक हर नाऊ।"
जय की बातों में श्रेया को प्रेम से अधिक डर दिखाई दे रहा था। जैसे जय कुछ पाने से पहले ही उसे खो देने के डर में जी रहा हो... और इसी डर के कारण वह कभी काव्या को पाने की कोशिश ही नहीं कर रहा।
कुछ पलो की खामोशी के बाद, श्रेया ने धीमे स्वर में कहा,
"जय... मुझे लगता है, उसे भी तुम्हारे लिए कुछ फील होता है। में बी समथिंग जस्ट लाइक यू।"
इतना सुनते ही जय ने अचानक कार के ब्रेक ज़ोर से दबा दिए।
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Let's continue in the next episode........
Till then byeeee....
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Glimpse of next chapter
"व्हॉट अबाउट यू श्रेया? तू मुझे कह रहीं है.. पर तू अपने प्यार के लिए कब फाइट करेगी? तुझे दूसरा मौका मिला है, फोकस ऑन धात, तेरे रास्ते में आने वाली हर मुश्किल से में लडूंगा। आई विल प्रोटेक्ट यू बट, एटलीस्ट ट्राय..
तू अपने साथ साथ उसकी भी हॉप को मार रहीं है। उसे मत तड़पा। अब में फोर्स तुम दोनों में से एक को चूस नहीं कर पाऊंगा।
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Guess.. woh is this?