"तो... स्कूल टाइम में तुम्हारी क्रश कौन थी?"
"यस।" विद्या ने खुशी से कहा।
"ह...ह।" आकाश ने लंबी साँस छोड़ते हुए कहा।
एक बार श्रेया की ओर नज़रें चुराने के बाद आकाश कुछ सोचने लगा और अचानक बोला, "श्री।"
"क्या?" जय चौंकते हुए बोला।
वहाँ बैठे किसी ने भी यह उम्मीद नहीं की थी कि आकाश इस सवाल का जवाब देगा।
"तेरी क्रश तो श्रेया थी ना? हमारे क्लास में तो कोई श्री नहीं थी।" जय ने हैरानी से कहा।
"उसका निकनेम 'श्री' है।" आकाश ने श्रेया की ओर देखकर कहा।
वहाँ बैठे रॉनित और काव्या तो पहले ही जानते थे, अब जय को भी समझ आ गया था कि आकाश उसी की दोस्त श्रेया की बात कर रहा है।
"मैं तो अब कन्फ्यूज हो गया हूँ।" आदित्य ने आकाश की ओर देखते हुए कहा।
उसकी इस नौटंकी को नज़रअंदाज़ करते हुए जय श्रेया की ओर मुड़ा और बोला, "यह तुझे 'श्री' कब से बुलाने लगा? बात इतनी आगे बढ़ गई और मुझे पता ही नहीं चला?"
"तुझे जानकर करना भी क्या है?" आकाश ने कहा। उसके चेहरे पर एक गर्व भरी मुस्कान थी। वह अपने हाथ से काव्या के बाल सहला रहा था।
अब काव्या ने श्रेया की तरफ देखकर मुस्कुराया। जो कुछ समय पहले उसकी हालत थी, अब शायद वही श्रेया महसूस कर रही थी। सबकी निगाहें अब श्रेया पर टिकी थीं और उसकी नज़रें झुकी हुई थीं। उसके गाल शर्म से लाल हो गए थे। होंठ कुछ कहना चाहते थे पर शब्द नहीं निकल रहे थे।
जय की बातों को सुनकर बाकी सब भी चौंक गए।
"श्रेया दी... ओह सॉरी... श्री दी..." विद्या ने उसे छेड़ते हुए कहा, "आपने तो कभी कुछ बताया ही नहीं।"
"मुझे भी कहाँ पता था? तुम्हें क्या बताती?" श्रेया ने एक पल के लिए आकाश की ओर देखा और फिर विद्या की तरफ देखा।
उसकी यह बात सुनकर काव्या ने जय की ओर देखा और आँखों के इशारे से पूछा, ‘क्या चल रहा है यहाँ?’
जय ने अपना सिर ना में हिलाते हुए इशारे में कहा, ‘पता नहीं।’
"चलो, गेम को आगे बढ़ाते हैं।" जय ने माहौल हल्का करते हुए कहा।
अब बोतल काव्या पर आकर रुकी।
"तो दी... एक ऐसी बात बताइए जो अंकल को नहीं पता।"
"Oops..." काव्या ने शरारत भरे अंदाज़ में कहा। आकाश की ओर देखकर वह मुस्कुराई और बोली, "वैसे तो यह बात डैड को ही क्या, किसी को भी नहीं पता। मुझे बताने का मन नहीं था... लेकिन यही एक बात है जो डैड को नहीं पता।"
"काव्स??" रॉनित ने दाईं भौं ऊपर उठाकर पूछा।
"सुन ले..." आकाश ने कहा और रॉनित को चुप करवा दिया।
"मुझे किसी पर क्रश है।" काव्या ने धीमे से कहा और चुप हो गई।
"व्हाट द..." आकाश ने अविश्वास से कहा, लेकिन तभी रॉनित ने टोका, "हेल... यार! कौन है वो?"
जय को अंदर ही अंदर कुछ अजीब सा महसूस हुआ। वह बस काव्या को देखता रहा, जो अपने दो दोस्तों को समझा रही थी कि यह सिर्फ एक क्रश है... उसे पहले खुद यह समझने देना चाहिए।
"कौन है वो? पहले बता।" रॉनित की आवाज सुनकर जय अपने ख़यालों से बाहर आया।
"मैं नहीं बताऊँगी।" अचानक से हिलने की वजह से काव्या को दर्द हुआ। "आउच..."
कोई कुछ कर पाता, इससे पहले ही जय उसके पास आया और उसे बैठने में मदद की।
"आपको मैंने कितनी बार कहा है, सारे काम संभालकर किया कीजिए। लेकिन आप सुनती ही नहीं हैं। मैं सब सख्त कर दूँगा अब..."
काव्या बस उसे देखती रही। आज तक उसे अपने डैड और आकाश के अलावा किसी और ने इस तरह नहीं डांटा था। रॉनित को तो वह खुद डांट देती थी।
"आई वाज़ जस्ट..." काव्या कुछ कहने ही वाली थी कि जय ने उसे बीच में ही टोकते हुए कहा, "रियली...? आप इसे हल्के में नहीं ले सकतीं... और तू..." जय ने आकाश की ओर देखा, "तुझे समझ नहीं आता? कितनी बार तुझे बोला है, छोटी चोट भी बड़ी दिक्कत बन सकती है।"
फिर वह वापस काव्या की ओर मुड़ा और सामान्य लहजे में पूछा, "ठीक हो?"
"हो गया आपका डाँटना?" काव्या ने उस पर हल्का सा गुस्सा दिखाते हुए कहा।
"ठीक है... लेकिन अब से आपको ध्यान रखना पड़ेगा।" जय ने कहा।
"मैं रखती हूँ। लेकिन बात मेरी क्रश की थी... थोड़ी बहुत एक्साइटमेंट तो बनती है ना!" काव्या ने उत्साह से कहा।
"और कौन है वो... आपकी क्रश?" आकाश ने थोड़ी सख्त आवाज़ में पूछा।
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